क्या कमाल का वक्त आया है
क्या कमाल का वक्त आया है... अपनों को पराया और परायो को अपना बनाया है.... पशु - पक्षियों को कैद किया था जिस मानव ने.... आज स्वयं को कैद उसने पाया है.... क्या कमाल का वक्त आया है.... ज्ञान को विज्ञान से जोड़ने वालों.... भूगर्भ में छेद करने वालों.... यह वायरस ज्ञान ने नहीं विज्ञान ने फैलाया है.... क्या कमाल का वक्त आया है.... कौन राजपूत, कौन क्षत्रिय, कौन ब्राह्मण, कौन शूद्र.... सभी को एक साथ श्मशान में जलाया है.... मानवता और एकता का पाठ एक वायरस ने पढ़ाया है.... क्या कमाल का वक्त आया है... कमी हुई जब प्राणवायु की मारे- मारे फिरा वो.... ले कुल्हाड़ी हाथों में पेड़ों को काटकर जिया वो.... बिना रुपए की चीज मिले तो कद्र समझ नहीं आती है.... मुंह उतर जाता है लोगों का.... जब खुद के रुपयों से चीज आती है..... मैं मालिक हूं इस धरती का बोलने वालों... विज्ञान झूठा पड़ रहा है.... ज्ञान हमारा छूट रहा है.... आजा मेरे मालिक फिर से इस धरती पर.... सभी का सब्र का बांध अब टूट रहा है.... क्या कमाल का वक्त आया है
Kya Kamal Ka Waqt Aaya Hai
Kya Kamaal Ka Vakt Aaya Hai...
Apanon Ko Paraaya Aur Paraayo Ko Apana Banaaya Hai....
Pashu - Pakshiyon Ko Kaid Kiya Tha Jis Maanav Ne....
Aaj Svayan Ko Kaid Usane Paaya Hai....
Kya Kamaal Ka Vakt Aaya Hai....
Gyaan Ko Vigyaan Se Jodane Vaalon....
Bhoogarbh Mein Chhed Karane Vaalon....
Yah Vaayaras Gyaan Ne Nahin Vigyaan Ne Phailaaya Hai....
Kya Kamaal Ka Vakt Aaya Hai....
Kaun Raajapoot, Kaun Kshatriy, Kaun Braahman, Kaun Shoodr...
Sabhee Ko Ek Saath Shmashaan Mein Jalaaya Hai....
Maanavata Aur Ekata Ka Paath
Ek Vaayaras Ne Padhaaya Hai....
Kya Kamaal Ka Vakt Aaya Hai...
Kamee Huee Jab Praanavaayu Kee
Maare- Maare Phira Vo....
Le Kulhaadee Haathon Mein Pedon Ko Kaatakar Jiya Vo....
Bina Rupe Kee Cheej Mile To
Kadr Samajh Nahin Aatee Hai....
Munh Utar Jaata Hai Logon Ka....
Jab Khud Ke Rupayon Se Cheej Aatee Hai.....
Main Maalik Hoon Is Dharatee Ka
Bolane Vaalon...
Vigyaan Jhootha Pad Raha Hai....
Gyaan Hamaara Chhoot Raha Hai....
Aaja Mere Maalik Phir Se Is Dharatee Par....
Sabhee Ka Sabr Ka Baandh
Ab Toot Raha Hai....
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