किन्नर
मैं भी इंसान तू भी इंसान.. फिर तेरा सम्मान और मेरा अपमान.. ऐसा क्यूँ है भगवान.. भले ही न देते धन धान्य, पर दे देते सम्मान, ये किन्नर जन्म ही है हमारे लिए सबसे बड़ा अपमान, मौत के बाद आत्मा की आजादी के लिए किये जाते हैं अनुष्ठान.. ये तेरा कैसा न्याय है भगवान? तू जग से लड़ा, तेरे आगे है भगवान खड़ा, तेरे आशीष से है भंडार भरा, नजर उतारने को बुलाते हैं तुझे लोग अपरिचित, तू दुआ दे उनका उद्धार करता है निश्चित, तू मेरी एक अनोखी रचना है तुझे काल्पनिक अस्त्रों से बचना है, मैं हर जगह आशीष नहीं दे सकता, इसलिए मैंने तुझे बनाई अपनी एक खास संरचना है|| तू मेरा आशीर्वाद पाकर किन्नर बना.. . मैंने तुझे खास कर्मों के लिए है गढा ||
Kinnar
Main bhee insaan tu bhee insaan..
Phir tera sammaan aur mera apamaan..
Aisa kyoon hai bhagavaan..
Bhale hee na dete dhan dhaany, par de dete sammaan,
Ye kinnar janm hee hai hamaare lie sabase bada apamaan,
Maut ke baad aatma kee aajaadee ke lie kiye jaate hain anushthaan..
ye tera kaisa nyaay hai bhagavaan?
Tu jag se lada, tere aage hai bhagavaan khada,
Tere aasheesh se hai bhandaar bhara,
Najar utaarane ko bulaate hain tujhe log aparichit,
Tu dua de unaka uddhaar karata hai nishchit,
Tu meree ek anokhee rachana hai
Tujhe kaalpanik astron se bachana hai,
Main har jagah aasheesh nahin de sakata,
Isalie mainne tujhe banaee apanee ek khaas sanrachana hai ||
Tu mera aasheervaad paakar kinnar bana.. .
Mainne tujhe khaas karmon ke lie hai gadha ||
Written By - Ms. Nikhlesh Sejwar 'Nik'
From - Uttar Pradesh
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