क्या बोलूँ तेरो नाम। कृष्ण, कन्हैया या भगवान।।
क्या बोलूँ तेरो नाम। कृष्ण, कन्हैया या भगवान।। सावली सूरत, नैन कजरारे। तेज मेरे कृष्ण के मुख पर अति साजे।। मोर मुकुट पीताम्बर जब सोहे। कान्हा मोरे मन को मोहे।। क्या बोलूँ तेरो नाम । जगन्नाथ,जगदीश या भगवान।। निद्रा उड़ाए तेरी बांसुरी की तान । प्रीत लगी संग तेरी मुस्कान ।। राधा मीरा गोपियाँ सब जपे तेरो नाम । तेरे संग ऐसी प्रीत लगी मेरे श्याम ।। क्या बोलूँ तेरो नाम । मुरली मनोहर, मुरलीधर या गोपाल।। ज्ञानियों का गूँथन, गाय का है ग्वाला । कंस के लिए विष, भक्तों के लिए है वो अमृत का प्याला।। प्रेम का सागर है वो, प्रीत की गागर है वो, जिसके मुख में समाए समस्त संसार । वो हैं माँ यशोदा को नंदलाल ।। क्या बोलूँ तेरो नाम । पार्थ सारथी, सर्वेश्वर या भगवान ।। बढ़ते अन्याय, अधर्म का तुमने किया समापन भगवान श्री कृष्ण का ले अवतार। समस्त संसार मे प्रेम और अपनापन का किया प्रसार।। कर्म के प्रति किया मार्ग दर्शन। हुआ ओत प्रोत प्रदर्शन ।। क्या बोलूँ उनके नाम । मुरलीधर,नंद गोपाल या भगवान ।। जब दुर्योधन अपना सिर उठाए। अन्याय धरती पर बढ़ता जाए । तब श्रीकृष्ण ज्ञान का पाठ पढ़ाए । अर्जुन को अपना धर्म बतलाए। अधर्म रूपी दानव को मार भगाए ।। क्या बोलूँ उनके नाम । गोविंदा, गोपाल या भगवान ।। सरल स्वभाव वाले कृष्ण जब महाभारत का मार्ग दिखाए । द्रोपदी की लाज के लिए जो स्वयं आए । धर्म की हानि तुम समझ लेना । नेक कर्म करने की तुम शपथ लेना।। क्या बोलूं मैं तेरो नाम। कृष्ण कन्हैया या गोपाल।।🙏🙏
Written By - Ms. Nikhlesh Sejwar 'Nik'
From - Uttar Pradesh
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