चार लोग
चार लोग.. क्या कहेंगे 4 लोग, क्या सोचेंगे 4 लोग... कौन हैं ये चार लोग???? सारी ज़िंदगी जिनका सोच हम रह जाते हैं.. बुरे वक्त में वही अपना रंग दिखाते हैं। क्यूं सोचते हम इतना है? क्यूं खुद को खोजते हम इतना है? बंदिशों में बांध खुद को क्यूं रुक जाते हैं? क्यूं तमन्नाओं के दीए दिल में ही बुझ जाते हैं? क्या वह 4 लोग हमारी जिंदगी में इतना महत्व पाते हैं? फिर क्यूं हम अपनी जिंदगी उनके हिसाब से चलाते हैं? जब जब आई कोई दुविधा है। तब तब उनसे मिली न कोई सुविधा है।। कहां गए विपत्ति में क्यों नहीं आते सामने हैं। क्या अब नहीं इज्जत के पैमाने उन्हें आंकने हैं। तोड़ दो ये बंदिशें, जी लो ये दिन... न सोचो इन 4 की,सोच लो रह लेंगे हम इन बिन।। ये वक्त ना वापस आएगा, समय फिर ना इन चिरागों को जलाएगा.. कुछ घड़ियां अभी भी बाकी हैं,जी लो.. फिर ना ये वक्त यूं थम पायेगा।।
Chaar Log
Chaar Log..
Kya Kahenge 4 Log, Kya
Sochenge 4 Log...
Kaun Hain Ye Chaar
Log????
Saaree Zindagee Jinaka
Soch Ham Rah Jaate Hain..
Bure Vakt Mein Vahee
Apana Rang Dikhaate Hain.
Kyoon Sochate Ham
Itana Hai?
Kyoon Khud Ko Khojate
Ham Itana Hai?
Bandishon Mein Baandh
Khud Ko Kyoon Ruk Jaate Hain?
Kyoon Tamannaon Ke
Deee Dil Mein Hee Bujh Jaate Hain?
Kya Vah 4 Log Hamaaree
Jindagee Mein Itana Mahatv Paate Hain?
Phir Kyoon Ham Apanee
Jindagee Unake Hisaab Se Chalaate Hain?
Jab Jab Aaee Koee
Duvidha Hai.
Tab Tab Unase Milee Na
Koee Suvidha Hai..
Kahaan Gae Vipatti
Mein Kyon Nahin Aate Saamane Hain.
Kya Ab Nahin Ijjat Ke
Paimaane Unhen Aankane Hain.
Tod Do Ye Bandishen,
Jee Lo Ye Din...
Na Socho In 4 Kee,Soch
Lo Rah Lenge Ham In Bin..
Ye Vakt Na Vaapas
Aaega, Samay Phir Na In Chiraagon Ko Jalaega..
Kuchh Ghadiyaan Abhee
Bhee Baakee Hain,Jee Lo..
Phir Na Ye Vakt Yoon
Tham Paayega..
Written By - Ms. Nikhlesh Sejwar
From - Uttar Pradesh
- हमें विश्वास है कि हमारे पाठक स्वरचित रचनाएं ही इस कॉलम के तहत प्रकाशित होने के लिए भेजते हैं। हमारे इस सम्मानित पाठक का भी दावा है कि यह रचना स्वरचित है।
आपकी रचनात्मकता को हम देंगे नया मुक़ाम, रचना भेजने के लिए यहां क्लिक करें।