Jury of Online Poetry Contest 2021

Shankar Sahani, Eminent Punjabi Singer, Music Composer, Bollywood, shabdfactory, shabd factory, online poetry contest,

Mr. Shankar Sahani

Eminent Punjabi Singer,
Music Composer, Bollywood

Online Poetry Contest 2021

Participants Poetry (Work)

यहां आप इस प्रतियोगिता में भेजे गए सभी प्रतिभागियों की रचनाएं पढ़ सकते हैं। इस ऑनलाइन कविता प्रतियोगिता में पूरे भारत से 250 से अधिक लोगों ने भाग लिया। जिन प्रतियोगियों के कार्य प्रतियोगिता के नियमानुसार नहीं थे उन प्रतियोगियों के कार्यों को इस सूचि में सम्मलित नहीं किया गया।

Here you can read the compositions of all the participants sent in this competition. More than 250 people from all over India participated in this Online Poetry Contest.The work of the participants whose work was not according to the rules of the competition was not included in this list.

 Winners of Online Poetry Contest 2021

Frist Prize
वक्त

इंद्रासन की खातिर,बहु बार छल करते देखा है,
भंग करने को यज्ञ बली का,वामन रूप धरते देखा है,
ये वक्त है जनाब,
इसने बहुतों को बदलते देखा है।।
उसूलों पर अपने ,प्राण लुटाते देखा है,
अपनो को अपनो से उलझते देखा है,
रेत के मानिंद हाथ से फिसलते देखा है,
अजेय राणा को,चित्तौड़ हारते देखा है,
ये वक्त है जनाब,
इसने बहुतों को बदलते देखा है।।
सदा जीत चखने वाले को,मुंह की खाते देखा है,
विश्व विजेता सिकंदर को भी,व्यास से लौटते देखा है,
अंग्रेजों को देखा है,फ्रांसिसीयों को देखा है,
भिखारी बन आने वालों को,अधिपति बनते देखा है,
ये वक्त है जनाब,
इसने बहुतों को बदलते देखा है।।
कठिन से कठिन दौर को, बदलते देखा है,
बड़ी से बड़ी खुशी को भी, गुजरते देखा है,
ये वक्त है जनाब,
इसने बहुतों को बदलते देखा है।।...

Title: Waqt
Written By: Ambrish Dwivedi
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC2021061
Second Prize
अब तो सावन बरसने दो

क्या खुश्क फूलों को आहा भरने दे
क्या प्यासी जमी को यूं तरसने दे
अरे कर दुआ खुदा से ए खुदा के बंदे जी तोड़ कर अब तो सावन बरसने दे
जी तोड़ के अब तो सावन बरसने दे

वक्त बनकर मेहमा आया है घर मेरे कम से कम मुझे आज तो मेजबानी करने दे
जी तोड़कर अब तो सावन बरसने दे
जी तोड़कर अब तो सावन बरसने दे

सिमटा हूं एक मुद्दत से खुदा की तस्बी में
समेट लूं खुदा को आज खुद को बिखरने दे
जी तोड़ के अब तो सावन बरसने दे
जी तोड़ के अब तो सावन बरसने दे

जी भर के हंसा जब अहसास था ना मुझ में
अहसास में हूं आज बस तिनका भर हंसने दे
जी तोड़ के अब तो सावन बरसने दे
जी तोड़ के अब तो सावन बरसने दे

मुखातिब तो था कीमतें वक्त से भुला मगर
वक्त लगता है बहुत सच्चे नदीम बनाने में
जी तोड़कर अब तो सावन बरसने दे
जी तोड़कर अब तो सावन बरसने दे

क्या कलयुग के रावण और कंस को यूं ही गरजने दे
अरे कर दुआ खुदा से ए खुदा के बंदे जी तोड़ कर अब तो सावन बरसने दे
जी तोड़कर अब तो सावन बरसने दे


Title: Ab To Sawan Barasne Do
Written By: Moksh Sharma
From: Uttar Pardesh
Regn No: SFOPC2021025
Third Prize
सफर लंबा है थक न जाना

सफर लंबा है थक न जाना
मां-बाप का तुमको कर्ज है चुकाना
कहीं मिलेंगे कांटो से भरे रास्ते
तो कहीं मिलेंगे फूलों से रास्ते
बस तुमको रुकना नहीं चलते जाना है
सफर लंबा है थक न जाना

आज पापा हाथ पकड़ ले जाएंगे स्कूल
तो कल तुमको हाथ पकड़ उन्हें कहलाना है
आज वह पूरी कर रहे हैं तुम्हारी हर ख्वाहिश
कल तुम्हें उनकी आंखों को रोशनी पहनाना है
सफर लंबा है तक न जाना

आज मां खिला रही है तुम्हें प्यार से खाना
कल तुम बिना कहे चैन की दो रोटी खिलाना
आज मां दे रही है तुम्हें प्यार भरा वक्त अपना
कल तुम प्यार भरी दो घड़ी उनके साथ बिताना
आज जिसने तुम्हें चलना है सिखाया
कल उसके कांपते हाथों का सहारा है बन जाना
सफर लंबा है थक न जाना

आज जो गुरु बना रहा है भविष्य तुम्हारा
कल तुम उसे मत भुलाना
जो हर मुश्किल में साथ दे रहा है तुम्हारा
कल जरूरत पर उसका भी सहारा बन जाना
हर मुमकिन कोशिश कर उसको गर्व कराना
सफर लंबा है थक न जाना

पापा का संघर्ष मां का त्याग मत बुलाना
मां का जेवर तो बाप की ख्वाहिश है ना भुलाना
सफर में थकावट लगे तो मां के आंचल में सो जाना
सफर लंबा है थक न जाना

जो आए वक्त ए रुखसत मां बाप के साए का
तो प्यार से उन्हें विदा कराना
जो हो अंतिम ख्वाहिश उनकी वह पूरी कराना
सफर लंबा है थक न जाना

और न करना कुछ ऐसा जो बाद में पछताना
उनका आशीष लेकर ही घर से बाहर जाना
यही इस कलम की सीख है
इसे दिलो दिमाग में बैठाना
सफर तो लंबा है थक न जाना
मां-बाप का कर्ज है तुमको चुकाना

Title: Safar Lamba Hai Thak Na Jana
Written By: Harshit Soni
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC2021027
Consolation 01
कली

रौशन फ़ानूस जड़ी गलियों की सैर कराती हूँ तुमको ,
कुचली मुरझाई कलियों की मै व्यथा सुनाती हूँ तुमको ,
खिलती हर सुबह वह सूर्यमुखी सी,शाम ढले वो मुरझा जाती है,
सीने मे दबा कर दर्द सभी,आँसू पीकर मुस्काती है।

मानव का चोला ओढ़े जो शैतान दिखाती हूँ तुमको ,
उजियारी गलियों के काले सब राज़ बताती हूँ तुमको,
पानी न बचा जहाँ आँखों में मानवता तार-तार हुई ,
जिस्मों की तपती मण्डी के गालीचें दिखाती हूँ तुमको ।

मजबूरी की जंजीरों में जकड़ी जब नन्ही कली यहाँ आया थी ,
पिता के उम्र के साहब ने जब ऊँची बोली लगाई थी ,
आसमां भी रोया था तब और ईश्वर भी शर्मिन्दा था ,
वासना से अंधा हो चुका इंसान नहीं वो दरिंदा था ।

क्या तनिक भी हदय कचोटा न , क्या लाज भी न तुम्हे आई थी,
क्या उसको देख के घर मे बैठी बेटी की सुधि न आयी थी ,
तुम्हारे कृत्य को देख के तो महा पाप भी हाँ शर्मिन्दा थे ,
बस पूछतीं हूँ एक प्रश्न यही उस वक्त भी क्या तुम जिन्दा थे ।

Title: Kalee
Written By: Deepti Pandey
From: Madhya Pradesh
Regn No: SFOPC20210188
Consolation 02
किन्नर कुदरत की रचना

क्या कुसूर था हमारा
हमें भी तो कुदरत ने ही बनाया
जन्म लेते ही दुनिया में
फेंक दिया हमें अभिशाप समझकर
हमारे ही भाग्यविधाताओ ने
ये कैसा तौहफा हमने जिन्दगी का पाया
दुनिया ने कहा किन्नर
तो किसी ने ताली बजाकर
खैरात मांगना
हमारा काम बताया
हाथ नहीं थामा किसी ने कभी
न ही अपनेपन का भाव दिखाया
एक इंसान होने का दर्जा तो क्या
बेबस होना हमारा कर्म बनाया
गुजरे जब गलियों सड़कों से
तो हीन दृष्टि से लोगों ने नीचा दिखाया
अरे समझते तो हो तुम बखुबी धर्म मजहब की बातें
तो क्यूं नहीं मान पाए ये
कि अर्धनारीश्वर हमें उस कुदरत ने ही बनाया
हजारों तिरस्कार सहकर भी
देते हैं हम दुआएं तुम्हें खैरात की
समझते हैं अपना हर किसी को हम तो
शायद इसलिए कुदरत ने तुमसे अलग है हमको बनाया!!


Title: Kinner Kudrat Ki Rachana
Written By: Seema Saundarya Sharma
From: Delhi
Regn No: SFOPC2021052
Consolation 03
बोझ

सागर की गहराई से भी अधिक
सहनशीलता उसके अंदर है....
हुनर पाया है उसने एक ऐसा,
पलकों पर भी रखती वो समंदर है....
देखों सारी जिम्मेदारियों को उसने अपने जुडें में बांधा है....
पैरों में पायल है, मगर घुघरूओं को बंधनों ने जकड़ा है....
रखती है पाई - पाई का हिसाब, मगर रहता
खुद की उम्र का भी नहीं है जिसें होश....
नाम जिसका रखा है दुनिया ने बोझ.....
नाम जिसका रखा है दुनिया ने बोझ.....

कभी किसी की बेटी है....
तो कभी किसी की पत्नी है....
कभी किसी की माँ है....
तो कभी किसी की सास है....
अनेक है, अलौकिक है, अनंत है उसके रूप....
सब को आँचल की छाया में बिठाकर, खुद सहती है धूप....
समझ लेती है सभी को अपने ऐसा,
एक यही भी है उसमें दोष....
नाम जिसका रखा है दुनिया ने बोझ.....
नाम जिसका रखा है दुनिया ने बोझ.....

कतल कर देती है.... अपनी सारी इच्छाओं का,
लग जाती है अपनी सन्तान की ख्वाहिशें पूरी करने में....
कह नहीं पाती अपने मन की बात कभी ओरों के सामने,
अंदर ही अंदर घूट जाती है,
छोड़ती नहीं कोई कमी सहने में....
आगे अंजाम इसका क्या होगा, पता होकर भी
छुपाकर रखा है ओर एक बोझ अपनी कौख में....
जमाने से अलग रखती है वो अपनी सोच....
नाम जिसका रखा है दुनिया ने बोझ.....
नाम जिसका रखा है दुनिया ने बोझ.....

रचियता नें बड़ी अजीब सी रचीं है प्रीत....
कहा होती है अब बहू को बेटी बनाने की रीत....
हार कर खुद से, जो परिवार का मन लेती है जीत....
ज्यादा कुछ नहीं, चाहें थोड़ा सम्मान बस, ऐसा हो मनमीत....
एक घर ने नाम रखा है, ये तो परायी है....
तो दूजा घर कहता है ये तो परायें घर से आयीं है....
खामोश नदियां सी बह रही है....
अपने मन को हमेशा रखती है साफ....
धौना होतो धौ लो तुम अपने सारे पाप....
जब प्रलय करेगीं, तो आ जायेगी समुद्र में मौज....
नाम जिसका रखा है दुनिया ने बोझ.....
नाम जिसका रखा है दुनिया ने बोझ.....

Title: Bojh
Written By: Aarti Sirsat
From: Madhya Pradesh
Regn No: SFOPC20210172



All Participants Poetry (Work)


मेरी प्यारी माँ

दुनिया ने क्या कुछ नही कहा,
फिर भी मेरी माँ ने हमारे लिए सब कुछ सहा।।
जो माँगती भी भगवान से हमारे खुश रहने की मन्नत,
माँ तु ही है वो हमारी जन्नत।।
मेरी माँ कहती थी कि कुछ बड़े बनो पढ़कर,
मेरे लिए माँ तु ही है भगवान से बढकर |।
माँ तुने ही मुझे चलना सिखाया था,
माँ तुने ही मुझे रोटी का पहला टुकड़ा खिलाया था,
माँ तुने ही मुझे सबसे पहले बोलना सिखाया था,
माँ तुने ही मुझे ये धरती आसमान दिखाया था।।
माँ भले ही खुद रहे दुख में,
मगर अपने बच्चे को हमेशा रखती है सुख में ।।
देख माँ आज में कामयाब हो गया क्योकि बचपन में कुछ खोया था कुछ पाया था,
कोई कुछ भी कहे माँ बचपन में बस मुझे तेरा हि साया था।।
माँ तुझे जब भी याद करू ये आँखे नम हो जाती है,
माँ वापस आ जाओ तुम्हारी बहुत याद आती है

Written By: Sonu prajapati
From: Rajasthan
Regn No: SFOPC202103
FOSSILIZED

Time tides,
Like a handful of sand
Slipping through my fingers
For, I saw my world in a grain of sand
And an utopia in a wild flowerDreaming to spend an eternity with it.

A mirage it was,
I was running after
With an anticipation to find my oasis
With a delusion of ""forever"".

I held the particles, tightly in my hand
Losing cents of hope
Of reclaiming those missing particles
That belonged to our love and land.

And by the golden barrel, I stop.
It stands against all adversity
Tolerating the frizzling sun
It's a cactus flower that bloom
Delights the beauty forever more
And dresses the desert's forest floor.

And my long run interrogation
Finally stops,
When blown by storm of dust
Waiting for my sculptor
To animate me again,
I stand there, fossilized
With a handful of mushrooms
Of dead emotions and feelings.


Written By: Swetaleena Mahana
From: Odisha
Regn No: SFOPC202105
ढलता सूरज

निकला जब घर से, सूरज के प्रचंड ताप में
कह बैठा ऐसा क्यों किया, अपने ही आप से
भरी दोपहर गर्माहट से गुजरने के बाद
शाम को उसी सूरज को ढलते देखा है
आज मैंने ढलता सूरज देखा है

चल रहा था, जहाँ से होकर जिस डगर पर
हजारों शोलों को लेकर अपने जिगर पर
रूक रूक कर चलने से मन व्याकुल हो गया
राहत मिली, संध्या को आकाश चढ़ते देखा है
आज मैंने ढलता सूरज देखा है

बची हुई थी कुछ बूँदे, जो रास्ता अपना भूल गई
पहुँच नहीं पाई लबों तक, भाप बन कर उड़ गई
कंठ में कबसे प्यास जगी थी जो बुझी पर थोड़ी
अपने ही घूँट से खुदका गला भरते देखा है
आज मैंने ढलता सूरज देखा है

बह रही है लेकिन जो है वो सारी कड़वी हवाएँ
तन को ऐसे छूकर जाती जैसे मिलती सभी दिशाएँ
उसी समय अचानक आया एक हल्का झोंका
मुख को गरमाहट में थोड़ा ठंडक पाते देखा है
आज मैंने ढलता सूरज देखा है

Written By: Ayush Mondal
From: West Bengal
Regn No: SFOPC202106
खामोशी

बातों में थी खामोशी तुम्हारे
कुछ तो था जो छुपा रहे थे तुम,
ये सब क्यूं और किसलिये था
शायद यही समझा रहे थे तुम,

मगर अब इन खामोशियों को भी
पढ़ना सिख लिया था मैंने,
दुबारा से गिर कर
ठना सिख लिया था मैंने।

Written By: Kundali Baranwal
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC202107
तब मैं तुमे दोस्त कहूंगा

आधी रात्रि को जब मै तूमे पुकारू
और तुम दौड़ के मेरे पास आ जाओ
तब मैं तुमे दोस्त कहूंगा
तब मैं तूमे दोस्त कहूंगा
मेरे साथ जब तुम दूर पहाड़ों पर घूमने चलोगे
तब मैं तूमे दोस्त कहूंगा

मेरे पीड़ा को जब तुम बिना कोई शब्द दिए
समझ जाओगे
तब मैं तूमे दोस्त कहूंगा

सफ़ेद बाल और गालों पर झुरियां पड़ी
हांथ कपकपाते आंखों की रोशनी धुंधली
बुढ़ापे मे धीरे धीरे चल कर
जब तुम मेरे पास आओगे और बोलोगे
चलो राज चाय पीने चलते हैं
तब मैं तुमे दोस्त कहूंगा

जब तक मैं जीवित रहूंगा तब तक तुम
साथ निभाओगे
तब मैं तुमे दोस्त कहूंगा


Written By: Raj Singh
From: West Bengal
Regn No: SFOPC202108
The Beginning of A New Day of Life

When I am sleeping in my greenish garden,
when I waked up I observed the stars in the sky...

Written By: K.Yasaswini
From: Andhra Pradesh
Regn No: SFOPC202109
Meeting The Night

Feeling low?

Sit under the night sky
Staring at the moon
I swear you will feel
relaxed soon
Dance under the stars
Sing by yourself
Hug yourself in your own arms.

Cry,scream
Let the light be dim
As its silence is deep
Confess yourself before you sleep.
It will bring you peace
and make you smile
Hearing the silence will make you feel fine.

Written By: Sneha Sah
From: Assam
Regn No: SFOPC2021010
Heart Broken

Pata nahi aaj ye kyun suni suni raat hai,
Lagta hai is raat me kuch baat hai.
Mera dil jagta raha us raat ko,
Subah uth kar dekha to uske ghar aayi uski baraat hai.

Lagta hai uske ghar khushiyon ki saugaat hai,
Bahot puchne par bhi na kahi unse us baat ko.
Jab jakar dekha to wo apne yaar ke sath hai.

Andhi tufaan aa chuka tha us raat ko,
Lakin wo khushi khushi apne yaar ke sath hai.

Wo dono to apni apni khushi me magan the,
Na jane ek raat humne bitayi saat hai.

Haan, mai janta hun wo sare wade jhoote nikle,
Lakin wo sare wade sunaigi hogi us raat ko.

Haan use yaad to aayi hogi us raat ko,
Wo sare kisse sunaigi hogi us raat ko.

Wo sunne magan thi, aur wo sunane me magan thi us raat ko,
Lakin mai na rok paya ansuoun ki baraat ko.

Lakin mai kuch kar na paya us raat ko,
Bus rota raha us raat ko.

Ek baar to keh liya hota mere bare me,
Phir na aati andhi tufaan us raat ko.

Aab to sub kuch khatam ho chuka hai,
Lakin mai na bhool paounga us baat ko.

Mai na bhool paounga us raat ko.
Lakin Mai na bhool paounga us baat ko.

Written By: Shaik Danish Ahmed
From: Karnataka
Regn No: SFOPC2021011
मर्द क्यों तय करेंगे की औरतें क्या पहनेगी?

"मर्द क्यों तय करेंगे की औरतें क्या पहनेगी?

ये शरिया किसने लिखा है? ये क़ानून किसने बनाया है कि औरतें बुर्क़ा-नक़ाब पहनें?

औरतें सिर से पाँव तक क्यों ढकी रहें? क्यों औरतें सैंडल न पहनें?

औरतें मस्जिद में क्यों न जाएँ नमाज़ पढ़ने?

औरतें मर्दों के बिना अकेली घर से बाहर क्यों न निकलें? क्या औरतों का अपना वजूद नहीं है?

क्यों पिरीयड आते ही किसी भी मुस्लिम लड़की की शादी कर देने की उम्र तय कर दी गयी है?

ये सवाल क्यों नहीं पूछे जाते हैं? क्यों जो खुद को फ़ेमिनिस्ट कहती हैं वो इन मुस्लिम औरतों के हक़ के लिए आवाज़ उठाती नज़र नहीं आती हैं?

किस बात से डरती हैं ये? इनको सीता-राम, राधा-कृष्ण सबके ख़िलाफ़ बोलना होता है. साड़ी पहनी औरतें इन्हें सतायी हुई लगती हैं लेकिन शरिया वाले क़ानून पर चुप्पी क्यों?

मुझे आज़ादी सभी स्त्रियों के लिए चाहिए. मुझे एक ऐसी दुनिया चाहिए जहाँ हर स्त्री को समान अधिकार हो जीने में, खाने में, कपड़े पहनने में. सिलेक्टिव आज़ादी नहीं चाहिए.

मैं डंके की चोट पर कहती हूँ कि मैं फ़ेमिनिस्ट हूँ और मुझे बराबरी सभी क़ौम की औरतों के लिए चाहिए!

बाक़ी ये लॉजिक तो देने मत आइएगा कि, ‘माई बुर्क़ा माई च्वाईस!’

Written By: Chaahat.K.Arya
From: Gujarat
Regn No: SFOPC2021012
इश्क

ना गुनाह हैं, ना ही गुलामी हैं।
ये इश्क नाम में ही कुछ खराबी हैं।
ना हद हैं, ना ही बेहद हैं।
ये प्यार की व्यापारी बड़ी बेरोजगारी हैं।
ना चाहत खत्म होती है, ना ही बैचैनी।
ये इश्क हैं बर्बादी की निशानियाँ।
ना ख्वाब मिटती हैं, ना ही घबराहट।
ये प्यार है सबसे बड़ी नादानी।
ना चैन से जीने देती हैं ,ना ही चैन से मरने देती हैं।
ये मोहब्बत हर बार खुद की वास्ता देके रोक लेती हैं।

Written By: Muskan Jha
From: Bihar
Regn No: SFOPC2021013
बात दिल की

किस से कहोगे बात दिल की,
हर कोई यहाँ समझदार नहीं है!
बातें तो सब करते हैं निभाने की,
पर हर कोई यह वफ़ादार नहीं है!
बाहर से तो सब अच्छे हैं,
पर अंदर से वैसे ही किरदार नहीं है!
गरीब की मजबूरी समझ ले,
अब वो सरकार नहीं है!
हर किसी पर कर सको विश्वास,
अब वो संसार नहीं है!
बेटी की शादी करने के बाद,
बाप ही बेटी का हकदार नहीं है!
बातें तो सब करते हैं जमाने की,
पर हर कोई यह खुद्दार नहीं है!
रिश्ते भी दिमाग से निभाते हैं,
लोग ये नहीं समझते रिश्ते व्यापार नहीं है!
बेटे चाहे जो कर सकते हैं,
पर बेटियो को सारे अधिकार नहीं है!
मिले सब प्रेम से,
यहाँ अब ऐसा परिवार नहीं है!
किस से कहोगे बात दिल की,
हर कोई यहाँ समझदार नहीं है!

Written By: Riya Bhilware
From: Madhya Pradesh
Regn No: SFOPC2021014
जरूरी है क्या

जिसे हम चाहते है उसे पाना जरूरी है क्या ,

जो हमने खो दिया उसे भुलाना जरूरी है क्या।


किसी की याद में दिल को दुखाना जरूरी है क्या,

किसी दूसरे को खुद से जरूरी समझ के, खुदी को गवाना जरूरी है क्या।


आप किसी से नाराज़ हो इस बात का शोर मचाना जरूरी है क्या,

अपनी ख़ामोशी को भी भला बोलकर बताना जरूरी है क्या


सीधी साधी बातों को जलेबी की तरह घुमाना जरूरी है क्या,

झूठ अगर भला करे तो सच बताना जरूरी है क्या।


खुशबू अगर किरदार से है तो इत्र का लगाना जरूरी है क्या,
ये दिल अगर पागल अच्छा है तो इसे समझदार बनाना जरूरी है क्या।

Written By: Sakshi
From: Haryana
Regn No: SFOPC2021015
Love Shayari

1.सुरत 😊उसकी खयालों से जाती कयों नहीं
नींद है आंखों 👀 में मगर आती कयों नहीं
वो साथ थे तो मौत का खौफ 😱था मुझे
अब मैं तन्हा हूँ तो मौत आती कयों नहीं

2.निगाहें आपकी पहचान है हमारी
मुशकुराहट आपकी शान है हमारी
रखना हिफाजत आप अपने आपको
कयुंकि सांसें आपकी अब जान है हमारी

3. कभी कोई अपना अंजान हो जाता है😍
कभी किसी अंजान से प्यार हो जाता है🥰😇
ये जरूरी नहीं कि जो खूशी दे उसी से प्यार हो😀😌
अक्सर दिल तोड़ने 💔वालों पर भी दिल निसार हो जाता है

4.फूलों सा कोमल चेहरा तेरा
तु संग मर मर की मूरत है
तेरी सादगी की क्या तारीफ
क्युकी तु इतनी खूबसूरत है 😍🤗


5.ऐसा नहीं है कि दिन नहीं गुजरता
या फिर रात नही होती
बस सब कुछ अधुरा सा लगता है
जब तुमसे बात नहीं होती|

Written By: Somil Srivastav
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC2021016
तकनीक और विज्ञान

भारत कर रहा है उत्थान।
तकनीक और विज्ञान की क्षेत्र मे
कमा रहा है ज्ञान।
इनकी बात करे तो,
उड़ा था हमारा मंगलयान
जिसकी बना पहली प्रयास
का, अभिनेता हिन्दोस्तान

भारत का रहा है उत्थान ।
तकनीक और विज्ञान के क्षेत्र में,
कम आ रहा है ज्ञान। यही वह देश है,
जहां हुआ था शून्य का अनुसंधान।

भारत का रहा है उत्थान।
तकनीक और विज्ञान के क्षेत्र में,
कमा रहा है ज्ञान।
यही वह माटी है जहां,
जन्म थे कलाम।
उन्होंने हमें सिखाया।
असफलता में से सफलता चुराने का ज्ञान।
अग्नि को सफल बनाया ,
इनकी ही जुबानो ने।
भले ही दुनिया छोड़ गए।
लेकिन लोगों के दिलों में हैं ,
अब भी उनके लिए सम्मान।

भारत का रहा है उत्थान।
तकनीक और विज्ञान के क्षेत्र में,
कमा रहा है ज्ञान।"

Written By: Aditya Raj Kumar
From: Bihar
Regn No: SFOPC2021017
Nature- Tis' the Ardor

I see those rains as the shivering of pearls,
Intricate coiffure- the twigs, with prettily whorls;
The petrichor- tis’ incessant of any hassle in the world,
O earth a witness- a cascade, it swirled.
Eccentric it grows, all pluviophiles at chance,
To see dripping patterns, art fairies in dance;
To feel the enticing sullenness- ephemeral tis’ presence,
Ah! The cuckoo, tis’ cooing- an ethereal existence.
Iridescent, mine eyne- to vision the utopia,
With flowers too at bloom, am thrown in anhedonia.
Unblemished ye beauty, art inimitable any way;
Elysian ye painting, the agape- tis’ for ye.
Eunoia- Am transcended to, with hygge in mind,
Alpas now I, from the wandering of blind;
Goetic- invoking angels, to annihilate from the darker,
Nature, tis’ the ardor- with me as a belamour.

Written By: Ritabrata Ghosh
From: West Bengal
Regn No: SFOPC2021018
ज़िंदगी की दास्तां

ज़िंदगी की ये दास्तां बहुत कुछ सीखा रही हैं,
देखते ही देखते और मजबूत मुझे बना रही हैं।

आकर इस दुनिया के बहकावे में,
अपनों का साथ छुट रहा था।
देख ये नजारा कोई फायदा बड़ा उठा रहा था,
कर रहा था कुछ इस कदर पीठ पर वार...
कि अपनों को ही मुझसे छीन रहा था।

इस झूठी दुनिया की दोस्ती को सच्चा मान
उनके रंग में रंगती मैं जा रही थी,
और अपने प्यारे परिवार से दूर होती जा रही थी।
दुनिया के झूठे प्यार का इजहार था,
माँ- बाप के सच्चे प्यार का इकरार था।

कुछ इस तरह सितम कर रही थी ज़िंदगी,
कि मुझको भी मुझसे दूर कर रही थी ज़िंदगी।
पर फिर भी ज़िंदगी ने कुछ इस तरह सिखाया मुझको,
इस मतलबी दुनिया से बचाया मुझको।

आखिर ठोकर खा- खाकर संभल गई ये शायरा,
और माँ- बाप के सच्चे प्यार को भी समझ गई ये शायरा,
और जख्म तो बहोत थे इस ' सोनिया ' के दिल में,
पर अपने परिवार की मुस्कान देख...
फिर से सवर गई ये ' सोनिया ' ।

आखिर माफ़ी मांगती हूँ मैं,
अपनी भूल मानती हूँ मैं।
हाँ, गलतियाँ की हैं मैंनें, मार भी खाई हैं,
आपकी डाट से बचने के लिए...
दुनिया के बहकावे में भी आई हूँ।
पर दुनिया की ठोकरों ने ही मुझे इतना सिखाया हैं,
कि भीगी बिल्ली नहीं पापा,
बल्कि शेरनी बनकर वापस पास आपके आई हूँ...।

Written By: Soniya Sharma
From: Haryana
Regn No: SFOPC2021019
Living With My Fears

When I was young, all I wanted was to grow up,
Now that I’m growing old, all I want to do is throw up.

I felt that it would be great to move out and live on my own when I was old enough,
But did I realise I’ll have to take care of myself when I have a cold or a cough?

I used to dream about getting into a college and not worrying about the attendance,
I thought all of it will be so lovely, oh someone bless my common sense.

I would think about being independent, and paying my own bills,
I would think about cleaning my own dishes and making my own meals.

I felt happy because very soon I would be free from all restrictions,
And there would be nobody to control my actions.

I would go for late night parties,
And would wear shorts which didn’t have to reach my knees.

All this, back then, I thought would be a fairy tale,
If only I knew what it actually would be like, from growing up I’d have bailed.

I wish I listened to my parents when they asked me not to go,
But that time I wasn’t ready to listen to anybody, especially if it was a no.

I messed my childhood thinking about growing up,
Milk glasses were soon replaced with coffee mugs.

I sometimes wish I hadn’t grown up at all,
At least to meet my parents I wouldn’t have to wait till fall.

I wish I played some more,
I wish I stayed some more.

I always wanted to be a big girl,
But now I forever want to be their little girl.

I’m getting ready to leave for work,
All I had for breakfast was a piece of perk.

I want my mom to come and kiss me goodbye,
And I want my dad to stop me from going because I start to cry.

“None of this will happen”
My inner voice called out to me when someone dropped a pen.

I go back home and have no one to talk about my day with,
“You’ll be so happy when you live alone” is definitely a myth.

My eyes well up and I can no longer control myself,
I get up and bring my childhood album from the topmost shelf.

I finally felt happy looking at the memories I’ve made over the years,
But then it struck me, I’ll have to live with my fears.

I fell asleep with the album resting against my chest,
My time spent as a child, will forever be the best.

Written By: Aarushi Giria
From: West Bengal
Regn No: SFOPC2021020
Nightmare

Drunk promises made at night
Without love as you betrayed me
It’s hard to wake up from a nightmare When the nightmare is real.

You and I thought of being together
And promised not leave each other
You became my habit and addiction but
Now smiling feels like crime.

I was very busy just to build us
You somehow forgot I exist in that us
Now all the memories became nightmare
And my nights became very painful to survive.

Written By: Srija Sadhukhan
From: West Bengal
Regn No: SFOPC2021021
एक कागज़ तुम ही हो जिससे दिल की बात होती है

एक कागज़ तुम ही हो
जिससे दिल की बात होती है,
तुम ही हो
जिसपे मेरे सच्चे बेफिक्र एहसास उतरते है,
तुम ही हो
जिससे मेरे शब्दों को आवाज मिलती है,
नाबाद,
बेपरवाह उन अनकहें किस्सों को
तुमसे ही जुबान मिलती है...

हमारा ना कभी वक्त पे जोर चला
ना हालातो को काबू कर सके,
एक कागज़ तुम ही हो
जिसे बिन पूछे हम रंग रहें,
सारे सवालों जवाबों को लेकर
मुस्कुराते रहें हम हमेशा,
ना कभी कोई शिकवा ना गीला
तुमने तो बस अपना कहा,
एक कागज़ तुम ही हो
जिससे दिल की बात होती है..."

Written By: Akshra
From: Haryana
Regn No: SFOPC2021022
मंजिलों में रुकावटें तो मिलेंगी मुसाफिर

सोचो रुकावटे कहाँ नहीं?
देखा जाए तो हर जगह ही रुकावटें है!
ये रास्ता ही रुकावटों वाला है
अगर इनसे दूर जाना चाहोगे तो आगे नहीं बढ़ पाओगे
मगर रास्ते पर चलना तो ज़रूरी है
सोचो अगर एक बार चल पड़े तो क्या पीछे हट पाओगे
शायद नहीं...
अब तुम्हारे पास दो रास्ते हैं
आगे चलो या वही रुक जाओ
ठहर जाना सही नहीं
इसलिए रास्ते पर चलना तो पड़ेगा ही
बस इतना जानना है की मुस्कुराते हुए या मन मार के
बस यही हाथ में है!!"

Written By: Prachi Saxena
From: Madhya Pradesh
Regn No: SFOPC2021023
मेरे राम

आज के युग में कोई ना जाने रामनाम का मतलब राम
राम कथा का बौध कराने फिर कब आओगे मेरे राम

मानवता का सार धर्म है धर्म का सुंदर सपना राम
कुंठित जन क्यों तेरे नाम से धर्म को खंडित करते राम

राम प्रतीक जीवन दर्शन के युग नायक हैं मेरे राम
जन मानस के विदलित दल के हैं वो रक्षक मेरे राम

राम करूणा में राम शांति में प्रगति का संकेत है राम
राम है उत्तम राम पुरुषोत्तम सूरज सा एक तेज हैं राम

राजमहल को छोड़ गए वो बनने को राजा से राम
वनमानुष की फौज बनाई पैदल चले वो मेरे राम

एक वानर जो हवा मे उड़ता लेकर तेरा नाम श्री राम
पानी पर पत्थर तहरा दे ऐसा तेरा प्रेम है मेरे राम

कोई ज्ञानी रावण आजाऐ चिल्लाए तुम कहां हो राम
अब राम जाने रावण को हरने फिर से आजाए मेरे राम

Written By: Lalit
From: UP
Regn No: SFOPC2021024
अब तो सावन बरसने दो

क्या खुश्क फूलों को आहा भरने दे
क्या प्यासी जमी को यूं तरसने दे
अरे कर दुआ खुदा से ए खुदा के बंदे जी तोड़ कर अब तो सावन बरसने दे
जी तोड़ के अब तो सावन बरसने दे

वक्त बनकर मेहमा आया है घर मेरे कम से कम मुझे आज तो मेजबानी करने दे
जी तोड़कर अब तो सावन बरसने दे
जी तोड़कर अब तो सावन बरसने दे

सिमटा हूं एक मुद्दत से खुदा की तस्बी में
समेट लूं खुदा को आज खुद को बिखरने दे
जी तोड़ के अब तो सावन बरसने दे
जी तोड़ के अब तो सावन बरसने दे

जी भर के हंसा जब अहसास था ना मुझ में
अहसास में हूं आज बस तिनका भर हंसने दे
जी तोड़ के अब तो सावन बरसने दे
जी तोड़ के अब तो सावन बरसने दे

मुखातिब तो था कीमतें वक्त से भुला मगर
वक्त लगता है बहुत सच्चे नदीम बनाने में
जी तोड़कर अब तो सावन बरसने दे
जी तोड़कर अब तो सावन बरसने दे

क्या कलयुग के रावण और कंस को यूं ही गरजने दे
अरे कर दुआ खुदा से ए खुदा के बंदे जी तोड़ कर अब तो सावन बरसने दे
जी तोड़कर अब तो सावन बरसने दे

Written By: Moksh Sharma
From: Uttar Pardesh
Regn No: SFOPC2021025
Expedition

Life is daunting,pinpricky and throny road named dystopia,
Hundred stony gravels are strewn over the path,
Harsh challenging stormy winds are also standing midst,
No companion is on right,No chum is on left side,
But,I commenced the expedition
My feet are blood drenched,
Although my face has tear smear yet my eyes are tearless,
This road is long but it can't stand before my valarous long,
Since my blood,toil,tears and sweat is holding my fragile hand,
And has promised my frightened soul to take him to dream utopia.

Written By: Fehmina Siddiqui
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC2021026
सफर लंबा है थक न जाना

सफर लंबा है थक न जाना
मां-बाप का तुमको कर्ज है चुकाना
कहीं मिलेंगे कांटो से भरे रास्ते
तो कहीं मिलेंगे फूलों से रास्ते
बस तुमको रुकना नहीं चलते जाना है
सफर लंबा है थक न जाना

आज पापा हाथ पकड़ ले जाएंगे स्कूल
तो कल तुमको हाथ पकड़ उन्हें कहलाना है
आज वह पूरी कर रहे हैं तुम्हारी हर ख्वाहिश
कल तुम्हें उनकी आंखों को रोशनी पहनाना है
सफर लंबा है तक न जाना

आज मां खिला रही है तुम्हें प्यार से खाना
कल तुम बिना कहे चैन की दो रोटी खिलाना
आज मां दे रही है तुम्हें प्यार भरा वक्त अपना
कल तुम प्यार भरी दो घड़ी उनके साथ बिताना
आज जिसने तुम्हें चलना है सिखाया
कल उसके कांपते हाथों का सहारा है बन जाना
सफर लंबा है थक न जाना

आज जो गुरु बना रहा है भविष्य तुम्हारा
कल तुम उसे मत भुलाना
जो हर मुश्किल में साथ दे रहा है तुम्हारा
कल जरूरत पर उसका भी सहारा बन जाना
हर मुमकिन कोशिश कर उसको गर्व कराना
सफर लंबा है थक न जाना

पापा का संघर्ष मां का त्याग मत बुलाना
मां का जेवर तो बाप की ख्वाहिश है ना भुलाना
सफर में थकावट लगे तो मां के आंचल में सो जाना
सफर लंबा है थक न जाना

जो आए वक्त ए रुखसत मां बाप के साए का
तो प्यार से उन्हें विदा कराना
जो हो अंतिम ख्वाहिश उनकी वह पूरी कराना
सफर लंबा है थक न जाना

और न करना कुछ ऐसा जो बाद में पछताना
उनका आशीष लेकर ही घर से बाहर जाना
यही इस कलम की सीख है
इसे दिलो दिमाग में बैठाना
सफर तो लंबा है थक न जाना
मां-बाप का कर्ज है तुमको चुकाना

Written By: Harshit Soni
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC2021027
कलयुग की द्रौपदी

होगा यदि दुष्कर्म भी तो
हर कोई अंधा हो जाएगा
कलयुग की द्रौपदी हो तुम प्रिये
पर कोई कृष्ण न बन पाएगा

कहेंगे सब,
गई थी माँ बाप का नाम रोशन करने
पर अब मुँह काला कर आई हो
गलती तो उसकी थी प्रिये
तुम स्वयं को क्यूं कोसती आई हो

मांगोगी न्याय भी तो
न्याय न मिल पायेगा
कलयुग की द्रौपदी हो तुम प्रिये
पर कोई कृष्ण न बन पाएगा

हुआ था तुम्हारा शीलभंग जब
केवल बदन था उसके काम का
आवाज़ उठाने की बारी आई है अब
तो न दो नाम उसे तुम प्यार का

रख हौसला उठा कदम
कोई न कोई रास्ता जरूर निकल आएगा
कृष्ण स्वयं नहीं भी आ पाया तो क्या ........
अरे! कृष्ण स्वयं नहीं भी आ पाया तो क्या.....
वह झांसी तुझे बनाएगा..
कलयुग की द्रौपदी हो तुम प्रिये
पर कोई कृष्ण न बन पाएगा!

Written By: Dishika Talreja
From: Madhya Pradesh
Regn No: SFOPC2021028
Best Friend

जिंदगी जीने का सही तरीका सिखाया था तुमने ।
हर सुख और दुख में मेरा साथ दिया था तुमने ।
जब भी कभी में उदास होता था, अपनी खुशियों को बांटकर सहारा भी दिया था तुमने ।
जब भी कभी में ख्यालों में खो जाता था ,असली जिंदगी में भी वापिस लाया था तुमने ।
हर छोटी से छोटी गलती को नजरंदाज भी किया था तुमने ।
अपनी गलती सुधारने का मौका भी दिया था तुमने।
विश्वास करके अपना प्रियमित्र भी बनाया था तुमने
बिना बोले मेरे दिल की बात को भी समझा था तुमने
अपने गानों की मधुर धुन से ,गम की यादों को भी दूर किया था तुमने।
दोस्ती ना फर्ज भी निभाया था तुमने ।
दुनिया को देखने का अलग नजरिए दिखाया था तुमने ।
जीरो से हीरो भी बनाया था तुमने ।
तुम्हारा शुक्रिया अदा में किस तरह से करू ।
मेरी साधारण सी ज़िन्दगी को जन्नत बनाया था तुमने ।

Written By: Bhavya Surana
From: Madhya Pradesh
Regn No: SFOPC2021029
मजदूर

बेगुनाह{मजदूर}

 गुनहगार नही जो सजा आज पा रहे
जाने किस ग़ुनाह की कीमत चुका रहे।
दूरिया तोड़ी तय करने निकले रास्ते।
मौत की फिक्र नही बच्चो के वास्ते

 कोई नही मददगार आस बस पाव पर
पहले ही जख्म लाखो फिर मार रहे घाव पर।।
आँखों मे अश्क़ है जुबान पर न ला रहे
सजा अमीरों की गरीब क्यो पा रहे।

सरकार न दे कुछ भी मंजूर है उनको
गाँव याद आ रहा वो राह पे निकल पड़े।
 राह में है काटे ओर काटो पे पाव है।
काटे को तोड़ के आज उनपे खड़े।।

गम है लाखो लेकिन वो खुशमिजाज है।
हौसला दे रहा कोई  तो एजाज़ है।

सर पे बोझ अपना ओर आखो में सपना।
करना पार समंदर ये उनका मिजाज है।

Written By: महेश वर्मा 'माँझी'
From: Rajasthan
Regn No: SFOPC2021031
Yaad

अरसे बिते जा रहे हैं
पर हमारी बात नही होती
मिलते तो हम रोज है
बस अब मुलाकात नही होती
उन्हें इन निगाह से देखे एक जमाना हो गया
उनके बिन ही ये दिल उनका ही दिवाना हो गया
उनकी बाते मन को यू भा गई
नापसन्द चिजे भी मुझे पसन्द आ गई
मंदिर मे उनका नाम लेके मैनै माथा टेका है
बहोत बार मैने उन्हें अपने सपनो मे देखा है
दिमाग का तो पता नहीं , पर दिल हमेशा कहता हैं
मेरे हाथो मे उनके नाम की रेखा है
वह पास थे तो खास नहीं
अब खास है ,तो पास नही
उनसे बात करने को हम इतना मजबूर हो गये
यकीनन हम खुद से पुरी तरह दूर हो गये
हजारो लोग मिलते है रोज फिर भी दिल सबसे अंजान रहता है
भूलना भी चाहू तो भी दिल पे बस उनका ही नाम रहता है
उन्हें हमारी याद नही आती
और हमारे दिल से उनकी याद नही जाती
इश्क होता तो एक तलक भूलना लाजमी था
ऐ रब्बा क्या करू दोस्ती थी ना
मुझसे भूलाई नही जाती
उन्हें हमारी याद नही आती
और हमसे उनकी दोस्ती भूलाई नही जाती |

Written By: Manasvi Sharma
From: Madhya Pradesh
Regn No: SFOPC2021032
My Great India

Every night we stands like a knight for India.

Every Olympian is a champion in India.

Every scientist is a gold medalist from India.

Every history has a mystery in India.

Every army is like a tsunami for India.

Every teacher can dream the future of India.

Every writer is too brighter to write about India.

Every force can win all wars for India.

Every holy place is with peace in India.

All lakes flows without breaks in India.

Every wonder shines like a thunder in India.

Written By: The Indian
From: Telangana
Regn No: SFOPC2021033
थोड़ा ठहर जाते अगर घर में तुम हमारे

थोड़ा ठहर जाते अगर घर में तुम हमारे
तो बदनाम हम ना होते शहर मे तुम्हारे

कुछ दिन सुकू से जी लेते तुम्हारे लौट आने की आस में
तलाक की अर्जी ना आती अगर घर से तुम्हारे

हम भी बन जाते किसी दफ्तर के सरकारी कर्मचारी
अगर पड़ते ना इश्क के चक्कर में हम तुम्हारे

ना बनाते अपने घर को मयखाना हम सनम
सुकू से रहना सीख लेते अगर घर में तुम हमारे

टूटकर ना बिखरते इस जवानी के सफर में
हमें मोहब्बत ना होती अगर दिल से तुम्हारे

झोडकर ना जाते इस तन्हाई में मुझे
समझ लेते अगर जसबातो को तुम हमारे

हमें अफसोस है उस कालेज में अडमिशन के लिए
जहां पहेली दफा मिली थी नजरें हमारी

Written By: Vikash Pal
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC2021034
Mere Dil

A eventually corners connect with trees,
A path of road is wet smoothy,
A sudden climate changes occurs,
Not a sunny eve not a rainy eve !

My heart scars more fear for being alone,
Yet the path as beautiful sight,
But it also a strange to walk alone !

My heart depends on the one who knows,
Mine fear and needs well enough !

Yet also I dreamt to walk ....
With my dream partner,
But while opening eyes,
It wasn't real !

Mere dil wasn't lost in someone,
Unless finding for someone,
Who can protect my heart !

Written By: Rofina Ashraffali
From: Tamil Nadu
Regn No: SFOPC2021035
पिता की पुकार बेटी ना आए मेरे दुआर

ए खुदा मुझे माफ़ करना
मुझे भूल कर भी बेटी मत देना
तेरी इस दुनिया की नजरो में खोट है
तेरी उस नन्ही जान को में ना संभाल पाऊंगा

दिल देहेल जाता है
जब किसी कि बेटी के साथ गलत होता है
अरे रूह तक कांप उठती है
जब उस कि को दर्द भारी कहानी हमारे कानों में आती है
माना के मै मर्द हूं पर उस दर्द को ना सेह पाऊंगा
मुझे माफ़ करना खुदा पर तेरी उस नन्ही जान की रक्षा में ना कर पाऊंगा

जानता हूं बेटी पिता कि जान होती है
उस का अभिमान होती है
पर अगर कुछ ग़लत हुआ तो
शायद इस पिता कि शक्ति उन दरिंदो के सामने कम पड़ जाएगी
अरे उस कि दर्द भरी चिखे शायद तेरे कानों तक भी ना आएंगी
इसलिए मुझे माफ़ करना , मुझे भूल कर भी बेटी मत देना
तेरे उस नन्हे फूल की कदर ये दुनिया कभी नहीं कर पाएगी
ये भी हर लड़की तरह चीखेगी चिलाएगी और फिर वही दम तोड़ जाएगी

Written By: Kajal Sharma
From: Noida
Regn No: SFOPC2021036
Strange Yet Alluring

"How strange it is
The man who once was a brilliant head
Of whom every family member was afraid
To whom all of us were obedient
Has lost everything to Alzehmiers disease
Who once used to love us all
Taking care of things even pity and small
His laugh was so magnificent
and his conversations so innocent
Has now turned to a complete strange
Because of the disease of Alzehmiers
He remembers none of us now
He has totally forgotten,he used to love us how
He behaves as if we haven't ever met in life
He neither recognises his children nor remembers his dear wife
His mind is cleared of all those special moments
Which we spent together with joy
He sees himself as a teenager boy
Who has turned white in such a young age
Alzehmiers has captured his memory in it's cage
But one thing which amazes me on seeing him
Is that he has forgotten almost each and everyone around him
Except his beloved Creator
He still worships Him with so much attention
He is really an alluring creation.

Written By: Wasil Tariq Shah
From: Jammu and Kashmir
Regn No: SFOPC2021037
वो प्यारी सी लड़की

अपने चेहरे पर सुंदर मुस्कान लिए फिरती है ,
वो प्यारी सी लड़की हमें अपनी लगती है ..
कभी प्यार से तो कभी गुस्से से भी पेश आती है ,
उसकी बात चाहे जैसी हो हमें सबकुछ बताती है ..
आंखों से उसकी मासूमियत साफ़ झलकती है ,
वो प्यारी सी लड़की हमें अपनी लगती है ...
उसे कुछ भी हो जाए तो मन परेशान हो जाता है ,
उसकी मासूमियत देखकर हमें प्यार आता है ..
वो जब खुश होती है तो बहुत बात करती है ,
वो प्यारी सी लड़की हमें अपनी लगती है ...
कभी उससे बात करने के लिए परेशान हो जाते हैं ,
कभी बात होती है तो कुछ ज्यादा ही बोल जाते हैं ..
अच्छा लगता है जब वो बातों बातों में हंसती है ,
वो प्यारी सी लड़की हमें अपनी लगती है ...
बहुत बहुत बहुत मानते हैं उसे बहुत प्यार करते हैं ,
पर कभी कभी उसे भी थोड़ा परेशान करते हैं ..
हां थोड़ा बुरा हमें भी लगता है जब वो गुस्से में कुछ कहती है ,
वो प्यारी सी लड़की हमें अपनी लगती है ...
नहीं चाहते उसकी जिंदगी में कभी कोई दुःख हो ,
भले ही अनजाने में उसे परेशान करते हैं ..
पर बात सिर्फ़ इतनी सी है कि ,
उसे मानते हैं अपनी बहना बस उसका ख्याल रखते हैं..
वो जो भी सोचे पर हमें उसकी परवाह रहती है ,
वो प्यारी सी लड़की हमें अपनी लगती है ...
यूं तो जिंदगी में दोस्तों की कमी नहीं थी ,
दोस्ती यारी सब अच्छी थी पर बहन नहीं थी ..
आज भी वो मासूम सी बच्ची ही लगती है ,
वो प्यारी सी लड़की हमें अपनी लगती है ..
कुछ एक साल पहले फ़िर वो मुझे मिल गई ,
दोस्ती का पता नहीं पर जिंदगी की एक कमी पूरी हो गई ..
वो दोस्त भी है और बहन की कमी भी पूरी करती है ,
वो प्यारी सी लड़की हमें अपनी लगती है ...
वो जैसी भी है मेरे लिए बहुत अच्छी है ,
थोड़ी गुस्से वाली है पर दिल की बहुत सच्ची है..
कभी गुस्से में तो कभी प्यार से बात करती है ,
वो प्यारी सी लड़की हमें अपनी लगती है ...

Written By: Jaya Tripathi
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC2021038
मैं भी एक इंसान हूं

तुम्हारी तकलीफों में,
मैं भी तो परेशान हूं।
पर तुम ये भूल जाते हो,
कि मैं भी इंसान हूं।

शायद की गुंजाइश लेकर
मेरे साथ तुम चलते हो,
सबसे प्यार भरी बातें
मुझसे बस लड़ाइयां करते हो,
तुम्हें पल-पल बदलता देखकर
मैं हर पल हैरान हूं,
पर तुम ये भूल जाते हो
कि मैं भी एक इंसान हूं।

सबके लिए वक्त है तुम्हारे पास
फिर मुझसे क्यों दूर भागते हो,
उनका कहा झूठ भी सच है
बस मुझे ही गलत आंकते हो,
हां मानती हूं की
मैं थोड़ी-सी शैतान हूं,
पर तुम हमेशा ये भूल जाते हो
कि मैं भी एक इंसान हूं।

एक बार की बात नहीं
ये तो रोज की कहानी है,
तुम्हारी नाराजगी हमारे रिश्ते की
बची हुई इकलौती निशानी है,
हर पहलू से तुम्हारे वाक़िफ होकर भी
अब भी लगता है अंजान हूं,
क्योंकि तुम ये भूल जाते हो
कि मैं भी एक इंसान हूं।

दर्द मुझे भी होता है
पर मैं बताती नहीं,
चोटें मुझे भी लगती हैं
बस मैं सबको दिखती नहीं,
इतना कुछ देख लिया तेरे साथ
कि हर चीज का सामना करने को तैयार हूं,
अब क्या उम्मीद करूं, जब तुम भूल जाते हो
कि मैं भी तो एक इंसान हूं।

सपने मेरे सारे-के-सारे
चकना-चूर हो गए,
जो लम्हे खुशी का ज़रिया थे
सब ज़िंदगी के नासूर बन गए,
अंदर-ही-अंदर समेट कर अपने
बैठी हुई, मैं पूरा एक संसार हूं,
पर हमेशा की तरह तुम ये भूल जाते हो
कि मैं भी एक इंसान हूं।

बाकियों की ज़रूरत को पहले रखकर
मुझे नज़रंदाज़ कर दिया,
मेरे सीधेपन का, मेरे प्यार का
तुमने बहुत अच्छा सिला दिया,
जो भी है साफ-साफ कह दो
अगर नज़रों में तुम्हारी मैं बिल्कुल बेकार हूं
पर कैसे कहोगे, तुम ये भूल जो जाते हो
कि मैं भी एक इंसान हूं।

Written By: Ritika Maurya
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC2021039
भटकना अब नहीं तुझको

भटकना अब नहीं तुझको , सही राहों में जाना है
जो पहले रह गया पीछे, उसे वापस से पाना है
बुलंद हौसले की खोज करना है तुझे तू कर
गिरना है , संभलना है , तुझे बस डर मिटाना है

निकलता जा रहा है वक़्त , कर ले कदर उसकी
बनाले सारणी और सोचले उसको निभाना है

मंज़िल में कभी आश तो कभी निराशा हाथ होगी
उसे स्वीकार करना है और बढे चले जाना है

आज के नए दौर में , प्रतियोगिताए बहुत है
जीत ले सारी , खुद को इस काबिल बनाना है


Written By: Ankita Tantuway
From: Madhya Pradesh
Regn No: SFOPC2021040
वो लोग

वो जिन्हे कभी देखा नहीं
सोते रहते उनके बारे में
जिनसे कभी मिलना नहीं
डरते है उनकी बातों से
लोग क्या कहेँगे
ये सोच कर खुद कहना ही भूल गए
चार लोगों के शर्म में
हम हर बात सह गए
कभी रिश्तेदारों की तो कभी समाज की
इनके हिसाब से रहते रहते
हम जीना भूल गए
बचपन से जो सीखा वही आगे बढ़ाया
वरना लोगे मरने के बाद क्या कहेँगे बस इसी में रह गए
आज फुर्सत में बैठे
थोड़ा सोचने लगे
अपने दिल की बात को
कलम से बताने लगे
क्यूंकि मालूम है कल एक और बेड़ी बांध जाएंगी
आज हमारी स्वंत्रता सोच
फिर समाज नियम से कुचली जाएगी!

Written By: Garima Sharma
From:
Regn No: SFOPC2021041
नारी की दुविधा

कितनी आसानी से लोग चरित्र पे सवाल उठा जाते हैं
ये सवाल जब याद आते हैं आंखों पे आंसू ले आते हैं
लोग तो बस यूं ही कहकर भूल जाते हैं
पर वो पल, हमें पल पल याद आते हैं
शायद वो भूल जाते हैं , जिस पर वो सवाल उठाते हैं
उसकी कीमत का अंदाजा वो नहीं लगा पाते हैं
जिसे हम जिन्दगी भर इक फूल की तरह बचाते हैं
वो बस आते हैं , और शब्दों तले कुचल जाते हैं
कुचल कर वो जाते हैं,
और परीक्षा की अग्नि में हमें जलाते हैं
आखिर चाहते क्या हैं ये लोग,
जो रोज नयी सीता बनाते हैं....

Written By: Sejal Gupta
From: Madhya Pradesh
Regn No: SFOPC2021042
Kis Gunnah ka Sajah Hum Sehe Rehe Hain?

Kya bataein is duniya ki bewafaai ,
Jahan Insan ko jine keliye Deni padti hai gawai ,
Jahan logo k bheed me v Hoti hai tanhai ,
Khuda Jane yeh kaisi hai shamat ayi.

Jahan samjhane wale jyada aur samjh ne wale kam ,
Lab peh jhoota hasi ankhon me gehri nam ,
Khilti hui hasi me v woh chupa hua gham ,
Kabhi jine ki marzi toh kabhi izzat ka sharam.

Zindagi me kuch karne ka zeher ,
Dimag me naye sapno ki seher ,
Kabhi man me kisiko khone ka dar ,
To kabhi duniya k taano se jhukta hai sar.

Saans Lene se pehle soch Lena log kya kahenge ,
Logon k tanno se acha hum har dard sahenge ,
Parivar k Khushi k liye apna zindagi chodenge ,
Bina Manzil k hi dusron k raste peh chal padenge.

Sab kehte hai duniya se ladha karo ,
Ladhne ne Gaye toh kehte hai kavi samaj se to daro ,
Sab kehte hai zindagi ek hai khul k Jiya karo ,
Bas sapne dekho Haqeeqat me duniya ki Suna karo.

Dusron k kehne peh behe Gaye hain ,
Badla waqt hai ya Badal hum Gaye hai ,
Zindagi se sari umeed ab chod chuke hain ,
Ae mere khuda bas itna bata de kis gunah ka sajah hum sehe rahe hain ?

Written By: Salony Pattnaik
From: Odisha
Regn No: SFOPC2021043
He is Not The Only One

He tolerated whole enchilada.
He apologised for what he has not done.
He is not the only one.
His life is not as cinch as few think.
The lament he bury inside him,
The Tons of agony, he helve,
The more gratified he is to the world.
Everytime Everywhere and Anywhere,
He is not fallacious for misdeed.
The melancholy he suffers generally,
But doesn't get to show it.

And then also !!!
Why always he called a guilty.

Written By: Nishita Batham
From: Madhya Pradesh
Regn No: SFOPC2021045
अब लौट आओ

लौटे नहीं तुम अब तलक,छोड़ गए खूबसूरत एहसास देकर,
कभी तुम भी बरसना किसी सावन में,बारिश की बूँद बनकर।

बूने कई आरमाँ जीस्त के सफ़र में,गए तुम झूठा एतबार देकर,
कभी तुम भी छूना मेरे जीस्म को ,किसी रोज हवा का झोंका बनकर।

खिले नहीं तुम मौसम की आगवानी में,गए तुम बस एक खत देकर,
कभी तुम भी झुमना कलियों संग,मेरे चमन में फूल गुलाब बनकर।

खबर साहिल को भी नहीं तेरे पैगाम का,न गुम होना था इल्जाम देकर,
कभी तुम भी मेरे पैरों तक आना,किसी समंदर की लहर बनकर।

लौटा न अब तलक उड़ा जो मेरे आँगन का पंछी,गए तुम प्रेम की तालीम देकर,
कभी तुम भी जलना मेरे दहलीज़ पर,किसी दीपक की लौ बनकर।

कब से घर की दरों-दीवारें चुप हैं,गए तुम मन को प्यास देकर,
कभी तुम भी मेरी प्यास बुझाना,किसी नदी की धार बनकर।

वक़्त के पन्नों पर लिखे कई फ़साने,न जाना था ऐसे ख्वाब देकर,
कभी तुम भी झिलमिलाना किसी रात,आसमां में सितारे बनकर।

Written By: Bhaskara
From: Bihar
Regn No: SFOPC2021046
घोंसला तिनकों से बना

छोटी सी ज़िंदगी है
छोटा सा जहां
महलों से अच्छा है
घोंसला तिनकों से बना
पानी की कमी नहीं होती वहाँ
बारिश में टपकता है पानी जहां
मेहमान होती हैं किरणें बहा
गर्मी की दोपहर में
छप्पर से, दीवारों से, दरवाजे की चौखट से
झांकती है धूप जहाँ
सेंकने को जलती है आग लौ भर बहा
जाड़े की रात में
छप्पर से, दीवारों से, दरवाजे की चौखट से
आती हैं सोने शीत लहर जहां
आए दिन आते है मेहमान बहा
स्वागत होता है भरपूर बहा
कभी जलता है चूल्हा एक वक्त
कभी दो कोर रोटी भी नसीब नहीं होती जहाँ
हर खुशी हर गम साथ बाटते है जहां
शायद मुश्किलों का भंडार हैं बहा
हर चेहरे पर मुस्कान और आंखों में आस है जहाँ
शायद हर चेहरे पर नकाब है बहा
छोटी सी ज़िंदगी है
छोटा सा जहां
महलों से अच्छा है
घोंसला तिनकों से बना
सोता है बाप पानी पीकर जहां
फिर भी खाता नहीं बच्चा जहां
सोने को नसीब होती हैं बस चादर जहाँ
जूठन पर पलते हैं बच्चे जहाँ
फटी साड़ी पहनती हैं मां जहाँ
पहनने को चप्पल होती नहीं जहां
महकती खुशबू आती हैं जहां
कुछ दूर ही होते हैं कचरे के ढेर बहा
उतरन जूठन होती हैं बस
ख्वाबों में जहां
छोटी सी ज़िंदगी है
छोटा सा जहां
महलों से अच्छा है
घोंसला तिनकों से बना।
वो हैं हमारा है अपना
मेहनत से हैं जोड़ा जिसका एक एक तिनका
न छीना झपटा न मारा किसीका
जो हैं बस अपना हैं
छीना झपटी चोरी की न उसमे कोई दीवार खड़ी
गर होती छत तो
भ्रष्टाचार की छत कह देता
बांधा ही जतनो से
चुन चुन कर कोसों से लाया एक एक तिनका
चोटी से जिंदगी हैं
छोटा सा जहां
मेहलो से अच्छा हैं
घोंसला तिनकों से बना।

Written By: Adarsh Jain
From: Madhya Pradesh
Regn No: SFOPC2021047
Ishq

Yeh ishq ke dhaage kuch issKadar ja uljhe hum ma..
Ki ishq ke darmiyaan kuch issKadar Tum jage hum ma..
Yeh ishq ka noor kuchh issKadar Hum pae afsoon sa chhaya...
Ki Hum issKadar tumse deewangi Kar baithe ..
isskadar hum tumko apna banaa baithe
ki issKadar tumse aashiqui Kar baithe
mohabbat Kar baithe ...
issKadar tumko apna sab kuch bana baithe
Ki tumse Pyar Kar baithe ....

Written By: Darshna Pandey
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC2021048
इंतज़ार

इंतज़ार शब्द माँ के साथ ही जुड़ा हुआ लगता है हमे,या यूँ कहे माँ का इंतज़ार कभी ख़त्म नहीं होता है।जब भी कमरे से गुजरते हैं पापा तो कहते हैं कि यहाँ इतनी देर तक सोया है,तो पता नहीं वहाँ कब जगता होगा और माँ को मेरे उठने का इंतज़ार होता है।जो चाय मेरे लिये बन कर ठंडी हो चुकी होती थी, वो चाय माँ खुद पी कर गरम चाय बना देती है।

मैं अक्सर झूठ बोल कर घर से निकलता हूँ कि शाम तक लौटूँगा भले थोड़ी देर में ही आ जाऊँ।
क्यूँकि एक वक्त तय कर दो तो
उस वक़्त के बाद हर वक़्त
बस माँ को बेटे का इंतज़ार होता है।
कभी धूप का,कभी सिलिंडर वाले का,कभी बिजली तो,
कभी बारिश के रुकने का इंतज़ार,
कभी वक़्त निकाल कर साड़ी में पिको करवाने जाने का,
तो कभी इंतज़ार उसका
जो पुरानी साड़ी के बदले बर्तन देता है,
कभी सुबह सफ़ाई वाले का इंतज़ार,
कभी रात पापा को दवाई खिलाने का इंतज़ार,
कभी बेटे के फ़ोन का इंतज़ार,
तो कभी अचानक याद आये काम को पूरा करने के लिये टीवी के विज्ञापन का इंतज़ार,
पर ये रोज़ का इंतज़ार ही माँ का त्यौहार होता है।
और सबसे ज़्यादा बेटा आ पाये इसके लिये माँ को त्योहारों का इंतज़ार होता है

Written By: Rajesh Prakash
From: Jharkhand
Regn No: SFOPC2021049
Bhagwan ki Sabse Pyaari Rachna

Jo deti hai Jivan ko Sakar.
Jo karti hai har sapne ko Sakar.
Jo karti hai har baddua Bekar.
Jo karti hai dor mann ka har Vikar.
Jo deti hai aapne bacho ko aache Sanskar.
Jo hai Bhagwan ka Aadbhut Chamtkar.
Aisi Hoti Hai Har 'MAA'

Written By: Aarushi Jain
From: Madhya Pradesh
Regn No: SFOPC2021050
किन्नर कुदरत की रचना

क्या कुसूर था हमारा
हमें भी तो कुदरत ने ही बनाया
जन्म लेते ही दुनिया में
फेंक दिया हमें अभिशाप समझकर
हमारे ही भाग्यविधाताओ ने
ये कैसा तौहफा हमने जिन्दगी का पाया
दुनिया ने कहा किन्नर
तो किसी ने ताली बजाकर
खैरात मांगना
हमारा काम बताया
हाथ नहीं थामा किसी ने कभी
न ही अपनेपन का भाव दिखाया
एक इंसान होने का दर्जा तो क्या
बेबस होना हमारा कर्म बनाया
गुजरे जब गलियों सड़कों से
तो हीन दृष्टि से लोगों ने नीचा दिखाया
अरे समझते तो हो तुम बखुबी धर्म मजहब की बातें
तो क्यूं नहीं मान पाए ये
कि अर्धनारीश्वर हमें उस कुदरत ने ही बनाया
हजारों तिरस्कार सहकर भी
देते हैं हम दुआएं तुम्हें खैरात की
समझते हैं अपना हर किसी को हम तो
शायद इसलिए कुदरत ने तुमसे अलग है हमको बनाया!!

Written By: Seema Saundarya Sharma
From: Delhi
Regn No: SFOPC2021052
एक मुस्कान और वो मोहब्बत

आओ दरिया किनारे मोहब्बत की कोई बात करतें है,
चलो मुद्दतो बाद फिर वो गुज़रा ज़माना याद करते है!
याद है तुम्हें वो रात क्यों हम सुबह होने तक जागते रहे,
चलो फिर मोहब्बत भरी उस रात की कोई बात करते है!
ये ज़माना क्या जानें तुमने इस दिल मे क्या छुपा रखा है,
चलो फ़िर दिल की बात जानने की कोई बात करते है!
तुम्हारे दिल की हक़ीक़त को इक़ पल में बयां कर दूँ मैं,
तुम खुद-ब-खुद बयां कर दो ऐसी कोई बात करते है!
रूठ गए ""चन्द्र' वो दिन जब तेरे आने से बहारें आती थी,
चलो फ़िर ज़रा मुस्कुराओ बहारों की कोई बात करते है!
मेरे जिन्दा रहने की दुआ तो यहाँ सब लोग रोज़ करते है,
चलो रब से दुआओं में हमें मांगो ऐसी कोई बात करते है!

Written By: Chandra Prakash Meena
From: Rajasthan
Regn No: SFOPC2021053
The Unspoken Words of a Mummy

The unspoken words of a mummy

The delightful wedge of life after death
exemplify the amplitude of diminutiveness
Which engraved the unspoken words of a soul...
Tiky Tiky the copiousness of fortune spindrift shows the mettle of softness.....
Touch and fly over the Queen mut....
At the alcove of gypsical  conviction the
Realistic dent capture a curve of hidden Lobules....
Where the humanic genisim module the warmth of characterization...
The smell of thousand  aerosols
Keeps the body in to a deep refreshner....
I wanna to tell a dark story of redwood
Pumpkin valley with a sour  thought of
Life after death....

Written By: Silpa K
From: Kerala
Regn No: SFOPC2021054
Golden Days

Long gone are the days ,
When we use to have real fun ,,
Sitting together during the lunch break ,
And fighting over a hot cross bun !

Days were golden not because they had a shine ,
But because they were spent with some spical people of mine!

My heart keeps longing for them ,
Because they were my gem!

I can't Express my feelings so well ,
But I want to fight over our lunch box again as a hell !!

Written By: Hasika N. Rajdeo
From: Maharashtra
Regn No: SFOPC2021055
I sing to you my Sunset Symphony

I sing to you the lyrics of my sunset symphony,
beside the lake of reflection of colours of the bleeding vermillion,
revealed by the hazy dusk.
I sing to you the hymns of hope from my holy book burning with flavours of love,
sprinkling dew drops of life,
running on the young grass,
beautifying the horizon of the clouded amber sky.

The rising orb behind the horizon of mysteries,
embellishes the dawn of being born free,
outcasting me from the trespassers legacy,
a signed bond to captured beats of heart.

I sing to you bowing infront of the altar of doom,
praying in the temple of love,
holding on to the wishes I asked for,
I still question about, whilst my communion with God,
he, who, thinks himself, as the greatest.

Written By: Arpita Sahoo
From: Odisha
Regn No: SFOPC2021056
Success

Success does not depend on money or power
but on how faithful we're to our duties
Work hard and you will see the beauty of success;
Don't give up , if you are knocked down by life;
The more the pain
The more you gain.

Success is great
But you have to create;
Because Success is not a piece of cake that you can easily break;
It is something which you have
To create ways to be successful.

Success will come down, so don't dream about it
Instead work for it;
Be a dream a Chaser
Not a money Chaser;
Because money is not called success
It is your commitment which is called success;
Be faithful to your duties
If you want to reach your destiny.

Written By: Gideon Rymbai
From: Meghalaya
Regn No: SFOPC2021057
Woh Chadni Raat

चाँदनी रात में जैसे चांद की रोशनी,
उसके चेहरे पर एक गजब का कहर ढ़ा रहा था,
उस रात वो खुद चाँद नज़र आरहा था।।
होंठ थे खामोश पर उसकी आँखे,
जैसे बात कर रही थी,
बिन छुहे बिन बोले,
वो मेरे दिल को धड़का रहा था।।
ये ख़ामोशी भी उस पर ,
क्या खूब सज रहा था।।
उसकी रोशनी में मैं सिमटती जा रही थी,
पर उसका चेहरा मेरी ही नजरों को ही, देखे जा रहा था।
जैसे मेरे ही आंखों में उसने मुझे पा लिया हो ।।
रास आ गया था उसको,
मेरे साथ ढलने का,
ये मुस्कुराहट ये बातें,
शायद पसंद आने लगी थी मेरी।।
रूह की मोहब्बत होती ही ऐसी है,
उससे मिलने से ज़्यादा,
उसकी मुस्कुराहट की फ़िक्र होती हैं।।

ये चाहत है या रूह की मोहब्बत,
ये तोह वही जाने ,
जिसने इसकी इबादत की हैं।।

Written By: Shireen Sheikh
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC2021058
जीती ज़िंदगी

कदम उठाए थे आगे चलने के लिऐ
एक सरल हवा के झोके ने दौड़ा दिया
क्या करूं, रुका भी नी जा रहा हैं!
दूर के गड्डे अब पास आते दिख रहे हैं
यह देखो, अभी मेरे बैग (bag) की बद्धी टूटी,
शायद अब ज़्यादा संभलना होगा,
कुछ उलझन सी होती है कभी कभार
क्या कहीं ठहरना मेरे मंज़िल के रास्ते को लंबा कर देगा!

आसमान मे काले घने बादल हो रखे हैं
अब देखना है कि हवा रुकती है या और तेज़ी से बहती है
रुकी तो सोचेंगे की सफर को और बेहतर कैसे करे
लेकिन तेज़ हवा में बस ध्यान ना भटके इसी पर ध्यान हो पाएगा,

लगता है थोड़ा पानी पीना सही रहेगा
कसम से थकी सांसें भी गला सुखा देती हैं
सर से भीग चुके हैं, पर ये मन की आग भुजती ही नहीं
पाव सूज चुके है, और हालत पतली हो चुकी है
एक डायरी (diary) लिखने का सोचे थे
पर हमारे साथ हर सोची चीज़ होना रुक चुकी है
चार पांच बार दिल लगे कुछ से, इन्ही बीते वक्त में
बदकिस्मत हम इतने है की खुशकिस्मत लोगो का हमारे पास आने का मौका ही नही बनता,
अब बस तंग आकर, अंत तक अपनी जिंदगी का साथ निभाएंगे
इसी जीवन मे जीना सीख जायेंगे।

Written By: Shagun Srivastava
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC2021059
इस कलयुग में बीमारियों से मेरा जाउंगा

ना ही तीर ना ही तलवारों से मारा जाऊंगा में
इस कलयुग में लगता है बिमारियों से मारा जाऊंगा में
और मुझे अपनी घर की छत्त से कोई दिक्कत नहीं
मगर घर की चार दीवारों से मारा जाऊंगा में
हर खबर हर दिन एक नई उदासी लेकर आती है
उदासी से तो नहीं मगर अखबारों से मारा जाउंगा में

Written By: Ketan Jaiswal
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC2021060
वक्त

इंद्रासन की खातिर,बहु बार छल करते देखा है,
भंग करने को यज्ञ बली का,वामन रूप धरते देखा है,
ये वक्त है जनाब,
इसने बहुतों को बदलते देखा है।।
उसूलों पर अपने ,प्राण लुटाते देखा है,
अपनो को अपनो से उलझते देखा है,
रेत के मानिंद हाथ से फिसलते देखा है,
अजेय राणा को,चित्तौड़ हारते देखा है,
ये वक्त है जनाब,
इसने बहुतों को बदलते देखा है।।
सदा जीत चखने वाले को,मुंह की खाते देखा है,
विश्व विजेता सिकंदर को भी,व्यास से लौटते देखा है,
अंग्रेजों को देखा है,फ्रांसिसीयों को देखा है,
भिखारी बन आने वालों को,अधिपति बनते देखा है,
ये वक्त है जनाब,
इसने बहुतों को बदलते देखा है।।
कठिन से कठिन दौर को, बदलते देखा है,
बड़ी से बड़ी खुशी को भी, गुजरते देखा है,
ये वक्त है जनाब,
इसने बहुतों को बदलते देखा है।।...

Written By: Ambrish Dwivedi
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC2021061
मेरे सपनो का घर

एक छोटी सी नगरी हो,
जहाँ अपनी भी कुछ हसती हो,
घर हो सपनो सा मेरे,
जहाँ गाते हो पक्षी सुनहरे,
छोटा सा बाग हो,
जो घर के बाहर हो
हरियाली से घिरा हो,
वहां एक वृक्ष भी लगा हो
सुगंध महके घर में ऐसी,
खुशबूदार अगरबत्ती जेसी
रसोई में हो बर्तन छोटे,
कांच में सजे फिल्मो जेसे
हॉल हो जहाँ बेठक सजे,
टीवी भी मेरी वहीं लगे
किस्सा पुराना हो या हो नया,
या हो पुरानी यादों से जुडा,
सबको वो भाए जगह,
जेसे खुशियों का हो माहोल सजा
सीढियां भी जन्नत सी सजी हो,
जहाँ कुछ पुरानी यादें लगी हो
उपर भी हो कमरे दो,
एक जहाँ मेहमान रुके,
दूजा जो केवल मेरा हो
दीवार पर कुछ फ्रेम लगी हो,
कुछ मुझसे कुछ मेरे परिवार से जुडी हो
एक कोना हो, जो किताबों से भरा हो
मेडल, सर्टिफिकेट हर जगह हो
वहां पड़ा हो बेड बड़ा,
दीवर पर हो चित्र कला
फर्नीचर मेरा एसा हो,
जो कपडो से सजा हो
बाल्कनी का रूप हो ऐसा,
जो हो फूलो के जेसा
कोयल गाए संगीत वहां,
तितली मंडराए यहां वहां
देखने सुंदर दृश्य वहां,
छोटा सा हो झूला डाला

तब जलदी में उठ जाउंगी,
हाथों में किताब लिये फिर बाल्कनी जाउंगी
शुबह तब खिलखिलाएगी, रातें भी जगमगाएगी
मेरे सपनो की नगरी, कुछ ऐसा घर बसाएगी

Written By: Muskan Jain
From: Madhya Pradesh
Regn No: SFOPC2021062
Mother Work is Never Done

Mother work is never done
You are the bass of fragrance of life.
I even secure among my enemy it is the treasure of your prayers.
You washes off all my fault when you cry while you are very angry.
Two bodies made from one a home within a home
You are my light house in the dense fog of life.
You soften my fall when I fall like Icarus from the pedestal of your love
you Mould me like clay
which makes me say that I may work from sun to sun but a mother's work is never done.

Written By: Alpana Apat
From: Odisha
Regn No: SFOPC2021063
Lost

A billion untold stories
A million unspoken words of justification
A thousand unheard phrases of explanation..
All seem lost in the eiderdown of emotions,
Halted at the crossroads of expressions,
Sometimes with a blank mind, sometimes with a numb heart,
Silenced by the noises of the tranquil crowd,
Contemplating for serenity in the chaos of solitude,
I have been lost in the conjectures of assorted episodes,
Yet, musing over that one thought -
What am I, who am I ?

Gazing at the stars through the open window
Watching out at the tenderness
Lurking somewhere in far distant lands
In the conflagration of darkness
When even the candle flame seems to flicker
And even the faint light begins to fade
Covering scars with laughter
Letting wounds heal with time
Realising past never made a difference
Still being haunted by past memories
Wandering between memories
Where the past seems silly
Future looks uncertain
And present is roughly under my control
I'm lost in thoughts which are not even mine...

Written By: Sambhavi Swain
From: Odisha
Regn No: SFOPC2021065
Safar

Mazmoon-e-khat mein jis ka koi tazkirah na tha
dil ne magar padha wo hi jo likha na tha
rah-e-wafaa mein khud khushi us ki bata gayi
shoq-e-safar to tha usme magar hauslaa na tha

Written By: Fatima Amin
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC2021066
समझ नहीं आता

मुझे समझ नहीं आता कि, खुद से पहले दुसरो के लिए सोचना गलत है
या सिर्फ खुद के लिए सोचना!

दुसरो को समझाना गलती है,
या समझा ही न पाना!

लोगों की खामोशी को भी समझ जाना प्यार है,
या खामोश रह कर उस प्यार को बचाना!

जिंदगी के सफर में दोस्तों का छूट जाना गलत है,
या दोस्ती में जिंदगी का छूट जाना!

परिवार की खुशी के लिए अपने हर सपने को यूंही उड़ा देना गलत है,
या लड़ कर अपने सपनों की ओर उड़ान भरना!

किसी पर निर्भर होना गलत है,
या दुसरो की खुशी में खुद की खुशी ढूंढना!

किसी की बात का बुरा लगना गलत है,
या उसे बताना कि हमें बुरा लगा!

किसी को जिंदगी बना लेना गलत है,
या उसे अपनी जिंदगी में लाना!

Written By: Divya Sotani
From: Rajasthan
Regn No: SFOPC2021067
Love of my Ocean

I suddenly remembered seeing you for the first time
Sunlight temperature wind breeze
The angle of your smile
Everything is just right so many years passed
I don't want to wait any longer when I grow up
I want to tell you my heart that
I want to be with you like ocean still refuses to kiss the Shore line
even though how many time it's sent away

Destiny is irresistible trouble which we can't change but we have to bear it together forever
Excitement is the Unstoppable flutter which make me to fly
Love is the word I couldn't say

Encounter is mysterious coincidence which make us together
Suspicion ,wanting to believe that is not true
Friendship ,you are my another one
Truth, something I don't want you to know because I don't want to hurt you

Telling yourself repeatedly to keep it cool
The bigger it is ,the more it fulfill it
Something that hurts if I can't fulfill it
I abandoning all for you

Pain is something I give you and I get more
Consolation, the hope that I would take all your pain
I believe faith is the distance between your heart and mine
I used to tell goodbye for only to be back again
wherever I go, I will love you forever
I used to believe in my love
All I want for love is you...

Written By: Rathi
From: Puducherry
Regn No: SFOPC2021068
Her banarasi saree

kept my belongings all hidden from her until one day,
she smelled the love I carried under my arms, under my bottom lip and above the hair follicles that now smelled so ecstatically him.

She gently dissuaded the knitted strings I had been keeping well connected in between my thighs,
his tender dominance made my chest swell as I didn't know it was all visible through the steel garb I tried to embellish myself with.

My mother sat down and I wondered what made her trudge towards the bed as if her feet have puked inconvenience,
denial all in one go.
To be true,
for a year I felt like drenching with coal every time his body touched mine but the social construct of keeping my husband happy tormented every ounce of my body,
little by little my soul kept shedding hopes,
hopes to get out of a troubled marriage but oh patriarchy,
you wrenched me,
bent my spine wherein I just knew how to submit my droplets of courage to his hunger that he fed with alcohol.

This deadly combination startled me every night.

My sheets were all torn with seeing the same body being ridden a zillion times in a span of just 24 hours.

My voice stumbled across the hall where my in-laws kicked it off and felt gratitude towards their son's worthiness.

Though my friends prepared me for it, but tell me why it felt like my legs have met the highest skies?

Why was I taught to victimize myself even when I was supposed to build a stand?



I gulped down the fact that this is how a man should treat a woman, my mother in law silently told me to never let my husband keep his hand off me.

And me( Kanan) was exactly doing so.

Sense of being a wife took away the cries of that girl who sobbed for being treated well but the faith was painted in everything I tried to change.

And steadily I got into the habit.



But that day, she( mother) didn't shine when I went home to meet her. She hugged the daughter and not somebody's wife that day.



She stroked my bottom lip informing me she saw the bruise I had tried to conceal.

She saw the neck whose lump kept unsettling itself until it got the sight it was waiting to come across.



My mother finally knew as my tears now rolled down her cheeks.
She was stiffed seeing the body parts I gave her the entitlement to get through.
After some time,
she wanted me to follow her to the trunk she kept hidden all along my journey of 25 years with her,
she opened it and asked me to take a glance at her banarasi red sarees she never wore after she divorced abba.

She took a while to gather her words as if they were running because of the fear to reach me.
I kept quiet and she gathered the sentences that changed my whole life.

"" Your father raped me when you were 5,
my mother told me to not derail this marriage and keep working.
I did, but when your father pushed me down the stairs just because I denied his wills,
I filed a divorce and became the woman who got termed a prostitute,
slut, whore and a lady who is less of a lady.
Today, I don't want to be my mom"".

She stopped and breathed heavily as she breathes wanted her to stop.
She murmured that patriarchy constructs itself only when you are weak, a submissive.

Your body is you and the only one to give it away should be you, it's not a place you can let people accommodate in.
""Slide down tenants and own your body my daughter"" the words struck my deepest cores.

That day, I realised how the perception of 25 years of life was broken by a lady who was living h
er 65th year.
How my contemplations always look for a rock perception to lie my head upon.

I saw my perception brushing itself to acclimate a new life and I think, that's imperative.

Lastly, I live as a social worker now, try to aware women of domestic violence and marital rape.


Written By: Kalash
From: Delhi
Regn No: SFOPC2021069
महबूब

महबूब
लिखते हैं इस शब्द पर लाखों पंक्तिया
सोचा हम भी आजमाले अपनी शक्तियां
चाँद सा शीतल चेहरा उनका
चकोर सी चाहत मेरे दिल मे भरी
ऑंखे जैसे गहरा समन्दर
ना जाने क्या राज़ छुपाय अपने अंदर
बातों मे उनकी था सुकुन ऐसा
मेरे हर जख्म पे हो मलहम जैसा
उनकी अदाएं दिल को जीतने वाली
और उनकी मुस्कान ज़ान निसार करने वाली
खुदा ने भी फुर्सत मे बनाया होगा मेरे महबूब को
तभी तो इश्क करना सीखा दिया इस पत्थर दिल को

Written By: Dr. Mansi Satwani
From: Gujarat
Regn No: SFOPC2021070
Izhar se Inkaar Tak

Pyaar ke izhaar se inkar ke intazaar tak,
Dil tuta to bohot baar tha magar tumhe bataye, ye haq, tum kho chuke the. Nahi batayenge ki tumhara khawb hume raat-raat bhar sone nahi deta hai, Nahi batayenge ki tumhara har khayal mere thande hooto par ek garam muskan le aate hai,
Aur Nahi batayenge ki tumhari di hui har chiz hume tumhare pass hone ka aahsaas karati hai,
Kyuki, Pyaar ke izhaar se inkar ke intazaar tak,
Dil tuta to bohot baar tha magar tumhe bataye,
ye haq, tum kho chuke the.
Aaj bhi saaf yaad hai mujhe wo din,
Apne dil aur ussme panapte tumhare liye jazbaat bade sahme hua andaz mei pesh kiya tha,
Ruk-ruk kar bataya tha maine apna haal-e-dil magar dhadkano ko teez to tumhari nazaro ne kiya tha,
Tumhare vajoot ki khusbu lipti hui hai rooh se meri,
Log to tumhe tumhare naam se jante hai, mai to aahat se pehechan liya karta tha.
Janti ho, tumhare haar ishaare padh liya karta tha,
Tumhari chuppi ke piche ke gusse ko har baar parakh liya karta tha,
Lekin apne dukh mei dukhi hone ka haq tumse har baar cheen liya karta tha,
Kyuki, Pyaar ke izhaar se inkar ke intezaar tak,
Dil tuta to bohot baar tha magar tumhe bataye, ye haq, tum kho chuke the.

Written By: Ankit Singh
From: West Bengal
Regn No: SFOPC2021071
क्या है मेरी पहचान?

जीवन मां ने दिया,
पहचान पिता से मिली,
नाम परिवार ने रखा,
पर मैं कौन हूं,क्या है आखिर मेरी पहचान,
नहीं पता मुझे क्या है मेरी पहचान,
बस पता है में एक लड़की हूं,
जिसका अस्तित्व उसके परिवार से हैं,
उसका कोई अपना घर नहीं,
अपनी कोई पहचान नहीं,
बस पाल पोस कर बड़ा किया,
और विवाह कर विदा किया,
और उसके नाम में जुड़ गया,
उसके पति का नाम,
और मिट गयी उसकी पहचान,
उसका अस्तित्व,
उसका आधार,
अब बस वो पत्नी है,मां है,
बहन हैं,बेटी है,बहू है,
पर टूट गया नाता उसका खुद से,
भूल गयी वो अपनी पहचान,
अपने सपनों का आसमान,
क्योंकि घर ही उसका सपना,
और चारदीवारिया ही उसका आसमान।


Written By: Pinki Khandelwal
From: Bharatpur
Regn No: SFOPC2021072
वो किसी और से प्यार करता है

बातें मुझसे करते है पर जिक्र उसका होता है,
बातों ही बातों में फिक्र उसका होता है,
वो नहीं होती पास फिर भी पास होती है,
हर पल उनके खयालों में शुमार होती है,
इस दर्द से मेरा दिल बेज़ार रहता है,
जिसे हम अपनी जान से ज्यादा चाहते है
वो किसी और से प्यार करता है।"

Written By: Kajal
From: Jharkhand
Regn No: SFOPC2021074
कुदरत का विनाश

कुदरत तूने है बनाया मुझे बड़े लगाव से ।
तेरा ही विनाश चाहा बड़े चाव से।
विकास के नाम पर हर दिन की छेड़छाड़ तुझसे मैंने।
सीमा पार हर दिन की तुझे मारने अहंकार अपने में मैंने।
भूल गई हूं तेरा नाता है मुझसे।
भूल गई हूं मेरा नाता है तुझसे।
तेरी छाया में रहकर हुईं हूं बड़ी मैं।
उसी छाया को काटा मैंने कुल्हाड़ी की तेजधार से।
बन गई कातिल मैं उन तमाम उझड़े पंछियों के घरों की।
बन गई मुजरिम मैं उन तमाम उजड़े जंगली जीवों के घरों की।
भूल गई कुदरत तूने है बनाया मुझे बड़े लगाव से।
हो गई उतारू तेरा व खुद का सर्वनाश मे।

Written By: Komalpreet Kaur
From: Haryana
Regn No: SFOPC2021075
Kya Hoga

Sar-e-Hashr woh manzar kya hoga
Meray Sawaloo'n pe tera jawab kya hoga

Teray ru-baru jo hum honge,
woh Tasavvur Haqeeqat ya khawab hoga

Teri Mehfil mei hamarey Paimaney mei Bhari sharab ya Aab hoga

Jab Sar-e-Mehfil mujood toh hoga
Kya Asmaan mei koi Mehtab koi Aftaab hoga

Tarpi hai nazar jis tarha teri deed ko
Kya tu bhi utna Beytaab hoga

Written By: Fahad-ur-Rehman Khan
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC2021076
जीवन

दुख को पीने से पहले
मैंने नही छोचा था कि
वो जीवन में बेरहमी से फ़ेल जायेंगे

छौचा था सम्भाल पाऊँगी खुद को
और एक दिन
शरीर मे लगें हुए घाव की तरह
दवाओं से मिता दुंगी !

एक दिन समुद्र के किनारे बैठकर लहरों को दैखा
कोई दर्द नहीं
कोई दुख नहीं
उसी वक्त मैंने
अंदर से अपने सारे दुखों को निकल कर
एक पत्थर पर रख दिया
और सागर के गहराई में फेंक दिया

समय ...
तेरे पास हर एक चीज का मरहम हैं
हो सके तो कभी मुझको भी देना
एक बूंद सुख
सम्भाल कर रखुंगी जीवन भर

छोटी सी बेरंग ज़िन्दगी को भर लुंगी खुशियों से
छोटी छोटी पल को खुलकर जी उठँ ना ही
जीवन हैं ।

Written By: Manoshi Borah
From: Assam
Regn No: SFOPC2021078
इंसान

हर शांत इंसान,
कभी बोहोत चंचल हुआ करता था।
ज़रा पूछ के देखिये!
उनमेसे किसीको भी चुप रेहना,
अच्छा नही लगता था!
मगर हालातों ने बना दिया उनको ऐसा।
किसी से बाटते नही होंगे,
इसीलिये शायद दिल पर बोझ है,
जिसे कोई दूर नही करना चाहता!

Written By: Nishat Aftabi
From: West Bengal
Regn No: SFOPC2021079
Smile

Mana ki zindagi ki rahe
Aasan nahi par muskurakar
Chalane mai bhi koi nuksan nahi
Har kamyabi par tumhara
Naam hoga ...
Har kadam par tum ko salam
Hoga datkar karna samna tum
Mushkilo ka ek din vakt bhi
Tumhara gulam hoga ...

Written By: Dhanshree Mahale
From: Maharashtra
Regn No: SFOPC2021080
अवध-ए-शाम : लखनऊ

दुनिया में मशहूर तो बहुत सी चीजें हैं लेकिन हमारी अवध-ए-शाम कुछ खास है,
कैसरबाग की दिन की सादगी से बीबीडी की शाम की नजाकत तक मशहूर मिठाइयों की दुकानें हो
या भूले भटके चौराहे यहां हर किसी का अपना एक नवाबी अंदाज है
इसीलिए तो कहते हैं दुनिया में मशहूर तो बहुत सी चीजें हैं
लेकिन हमारी अवध-ए-शाम कुछ खास है,
चिनहट,मटियारी और कपूरथला की गलियों गलियों में शोर होता है
और भाई साहब यह अमीनाबाद है,यहां हर एक चीज पर मोलतोल होता है
पलकों पलकों कितने मौसम हमने निकाले हैं घंटाघर ने सब देख डाले हैं,
बदलते हुए मौसम ओं के साथ घंटाघर ने देख डाले सारे बदले हुए नवाबी अंदाज है,
इसीलिए तो कहते हैं
दुनिया में मशहूर तो बहुत सी चीजें हैं लेकिन हमारी अवध-ए-शाम कुछ खास है,
तहजीब,नजाकत और नेशनल पीजी पूरे देश में लखनऊ की आन और बान है
तो वहीं जनेश्वर मिश्र पूरे एशिया में देश की शान है,
पत्रकारपुरम और 1090 की शाम,और हर टाइम पॉलिटेक्निक और वेलिंगटन में लगने वाला ट्रैफिक जाम,
ताज होटल और यूनिवर्सिटी की रौनक और चौक का माहौल
यही सब बातें गोमती रिवरफ्रंट को बनाती कुछ खास है,
इसीलिए तो कहते हैं दुनिया में मशहूर तो बहुत सी चीजें हैं
लेकिन हमारी अवध-ए-शाम कुछ खास है,
रूमी दरवाजा,रेजीडेंसी और सारे पार्कों में घूमने जरूर आना,
लेकिन गुफ्तगू थोड़ी धीरे करना भूल भुलैया में,क्योंकि इमामबाड़ा में तो दीवारों के भी कान है
पढ़ाई में तो हम सबके बाप हैं
लेकिन तहजीब में पहले आप हैं
वह गोमती नगर का नजारा है इतना प्यारा
कि कोई खुद को कहते हुए रोक ना पाए कि यह लखनऊ शहर है हमारा,
दिल है लखनऊ का हजरतगंज,और वहां की धड़कन है उसके आशिक
और यहां पर लोग अब आशिकी कम गनजिंग ज्यादा करते हैं
और गनजिंग अंग्रेजी का एक नया अल्फाज है
इसीलिए तो कहते हैं दुनिया में मशहूर तो बहुत सी चीजें हैं
लेकिन हमारी अवध-ए-शाम कुछ खास है||

Written By: Prateek Gaurav
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC2021081
माँ- हमारी पहचान

उसका गलती पर डांटना हमें,
हमे गुस्सा दिलाता है,
गुस्से से निकले हर शब्द हमारे,
उसका दिल दुखाता है,
पर फिर भी सहमा दिल हमारा,
हर वक़्त उसे ही बुलाता है,

उसे बुरे लगते हैं वो कड़वे शब्द हमारे,
पर हर बार छोटा सा भी जख्म हमारा
उसे परेशान कर जाता है,
सब भूल वो हमारे जख्मों पर मरहम लगाती है,
हमें भी बस उसी की गोद मे सुकून की नींद आती है।

'अरे नहीं पता कुछ आपको'
कह कई बार उससे लड़ जाते हैं,
पर उसका आंचल छूटने का डर
से हम सहम जाते हैं,
अपने असहनीय दर्द में भी वो,
हमारी साहूलियत माँगती है,
ख़ुद का दर्द पहाड़ क्यों ना हो,
हमारी सुई सी चोट उसे ज्यादा तकलीफ़ दे जाती है।

हर रोज़ दुआ माँगा उसने हमारे लिए,
अब बारी हमारी है,
हमारे दर्द मे जागी है वो रात भर,
अब उसकी तबियत की जिम्मेदारी हमारी है,
वो घर की जान है, प्यार है,
वो हर सदस्य की जिंदगी,
हमारी माँ ही हमारी पहचान है।।

Written By: Palak Singh
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC2021082
The Night

The shadowy nights,
Screwed up our love ,
The time you slipped ,I held your back
And made the kiss .
You were looking as innocent as dove .

The love we made was tight ,
You remember ? When we plunged to the bed,
We filled the gaps between us,with the warmth breath of ours ,
Which raised our feelings at the peak of Eiffel Tower .
Your eyes avowed, don't make anything bad .
Your decision was always right!
Rather than shattering our trust ,
Just for the eleven minutes of lust.

I laid upon your lap ,
We builded a house of trust ,that night.
The countless talks , the countless cups of coffee ,
To keep us awake Till the crack of dawn

Written By: Prince Prasad
From: Nagaland
Regn No: SFOPC2021083
क्या होगा आगे

क्या होगा आगे.. . ?
शायद कोई दूसरी दुनिया.. .
या नए लोग.. . या फिर कुछ नहीं
सिर्फ अँधेरा , ख़ामोशी..
तनहाई.. मायूसी. .
या फिर हसी , ख़ुशी....और प्यार
लोग सोचते होंगे.. की वो दुनिया
सबसे आनोखी होगी
न कोइ दर्द नहीं कोइ शिकवा..
सिर्फ सुकून ही सुकून..
लेकिन क्या किसी को हकीकत पता हैं..?
कोई वापिस, आया है.. ?
क्या सच मे सुकून पाया है ?
खुशी मिली है ?
शायद अब तक नहीं..
सिर्फ कहते लोग. . मानते है लेकिन
कोई उसे, रुबरु नहीं हुआ..
पर सब करना चाहते हैं.. .
क्यूंकि सबका मानना है.. आगे सब अच्छा हैं
ज़िन्दगी की हर मुश्किल का हल है
सुकून शांति. . . दर्द से छुटकारा..
सब सही है.. .
जी हाँ.. सब सही हैं.. .
मौत को गले लगने के बाद सब सही हैं.. . !!

Written By: Maya Kumari
From: Kerala
Regn No: SFOPC2021084
मलाल

कुछ भूल गई, कुछ याद नहीं..
दिल दुखाने के लिए ये जवाब अच्छा है,
तेरे जाने का मलाल अच्छा है
सोचने पर तेरे आने का ख्याल अच्छा है,
तन्हा नहीं हूँ मैं..
तेरे जाने के ग़म का ये निखार अच्छा है,
कुछ एतराज, कुछ झगड़े, कुछ इल्ज़ाम
तेरे होने से जाने का मलाल अच्छा है,
अपील करू, दलील करू, वकील करुँ
कुछ भी करू,...
पर तेरी यादों मे खुद को उम्र कैद करना अच्छा है,
दर्द को समेटना लफ़्ज़ो के बस की कहा बात है..
ग़र मिली इजाज़त, तुम्हारी यादों से सही,
तुम्हे भुलाना अच्छा है...

Written By: Akancha Shaw
From: West Bengal
Regn No: SFOPC2021085
सच का दौर

सुख़ नही कही अब,
हैं तो बस अब दुःख,
दुनिया घायल हैं अपनों के जानें सेे,
और अपने घायल हैं ईश्वर के इम्तहानों से।

आज ये दिल रोता हैं,
कहीं ना कहीं भगवान भी ये कहता हैं,
आज मिट्टी के कर्ण कर्ण से ये आवाज़ आती है,
कि हे इंसान, क्यों तू इस दुनिया के मोह के पीछे इतना भटकता है।

Written By: Dr.Madhulika Banerjee
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC2021086
Uljhan

Uljhii hui Hu khud ke savallo me Tu inhe suljha de na
Apne pyare hato se shelakrr muje sukoon dila de na
Fasi Hu khud me hi maii Tu muje inse dur Kar le na
Muskan meri chupti jari hai Tu meri muskurane ki vjh ban ja na
Ek sailab aakho me aasuo Ka haii Tu muje in sailabo se dur le ja na
Tu muje in aasuo se chupa le na
Ab suniii ho gyii haii Jindagii Tu apni batto se surllilii bana de na
Ajkal narazgii bhii chubtii nh haii Tu thoda dattkar naraj kar de na
Masum Dil patharr ban gya hai Tu isse apni muskan se firr masum bana de na
Mastii Jo kartii thii Mai phele aj chup ho gyii Hu Tu muje fir badmash bana de na
Bejaan Hu Mai yrr muje thoda jeena sikha dena
Oyy Tu aakar merii shikayato ko sunnkar mujprr hasne lag ja na

Written By: Ruchita Raut
From: Maharashtra
Regn No: SFOPC2021087
घमंड

घमंड से चूर इंसान,
खुद पर है बहुत अभिमान।
नहीं रखता ख्याल
कि किसी टूट रही है डाल।
खो चुका है अपनी दुनिया में
भूल चुका है कौन अपने घर में
झूठे दिखावे की दुनिया ने,
जकड़ सा लिया उसको।
अपना कौन यहाँ जरा पूछो तो उसको?
अपना कौन ना पता
दुसरो की तो बात निराली,
यहाँ अपने ही अपनो से खफ़ा।
मुश्किल की घड़ियों में साथ ना दे कोई
बात करने की कोशिश की कई
लेकिन बात ना करना चाहे कोई।
अंत: यही है घमंड से चूर इंसान
खुद पर है बहुत अभिमान।।

Written By: Sheetal Rani
From: Delhi
Regn No: SFOPC2021088
Mard

Mard wo nahi jo
Naari par bina consent ke haq jataye
Mard wo hote hein
Jo ke naari ke izzazat lekar kam kare
Mard wo nahi jo
Naari par atyachar dekh kar chup rahe
Mard wo hote hein
Jo naari par atyachar dekh kar awaaz uthaye

Written By: Shruti Kumar
From: West Bengal
Regn No: SFOPC2021089
खोया बचपन

यादों के जरिए याद आया वो बचपन
बचकानी हरकत और ना जाने कितने लड़कपन
नन्ही सी जान में बसती थी कितने अरमान
सपने हजारों थे फिर भी बोलते थे नादान ।

मस्ती में डूबे रहते थे रोज
ना मंजिल की तलाश थी ना कोई खोज
पल भर में खुश हो जाया करते थे
कोई रूठ जाये तो उसे मुह फ़ेर लेते थे ।

बस प्यार की भाषा समझते थे
जो अपना लगे वहां चल बसते थे
बिना वजह लड़ते झगड़ते थे
बिन बोले साथ निभाते भी थे ।

क्या खूब थी वो छोटी सी दुनिया
ना कोई चुनौती थी ना कोई परेशानियाँ
आज भी याद आते हें वो सुनहरे पल
काश लौट आए वो गुजरे हुए कल ।

फिरसे करें वो शैतानी हरकत
फिरसे करें वो मस्ती शरारत
वो बुद्ध सी बातें वो सच्चा अपनापन
काश लौट आए वो खोया बचपन ।

Written By: Barsharani Mahapatra
From: Odisha
Regn No: SFOPC2021090
वैश्विक महामारी कोरोना

देश पर कितना बड़ा संकट
वायरस बनकर आया है।
अपना पराया गवाया है,
बस उसी का साया है।।
हरेक टीवी चैनल पर
उसका नाम छाया है।
ग्रुप में जितना मेसेज देखा
सब उसी के नाम से आया है।।
अभी तक तो उसका
इलाज नहीं आया है
चाइना अमेरिका थक गया
अब भारत की बारी आया है।
गरीबों का तो
पेट खाली है
पर उन्ही के कारण कितनो ने
अपनी रोटी शेक डाली है।।
उनका हाल बेहाल है
भूख का मलाल है
कहते है लोग की
ये चाइना कि चाल है।
अर्थवयवस्था को तो तोड़ दिया
लोगो को झकझोर दिया
विकास कि दिशा में
बढ़ते मुल्क को तुम मोड़ दिया।।
अभी डॉक्टर तो भगवान है
लाखो की बचाई जान है
अपनी कर्तव्य पूरा करने के लिए
अपनी भी गवाई जान है।।
ये डॉक्टर सच में तू
भगवान है
ये को तेरे लिए
मेरा सलाम है।।

Written By: Ankit Kumar
From: Bihar
Regn No: SFOPC2021091
मंज़िल खातिर कुछ यू चलना पड़ता है

मंजिल खातिर कुछ यू चलना पड़ता है ,
गिर - गिर कर भी और संभलना पड़ता हैं !

दूर सफ़र में कहातलक तुम भागो गे ,
धीरे - धीरे राह बदलना पड़ता हैं !

सूरज से तुम रिस्तो का सलीका सिखो,
साम होते ही उसको ढलना पड़ता है !

मौसम की भी देखो कैसी तबियत है ,
वक्त के साथ अक्सर चलना पड़ता है !

बचपन में हर चीज के खातिर जिद्दी थे ,
अब तो हमें यूंही बहलना पड़ता है !

राजा हो या रंक हो कोई दुनिया का ,
सबको एक ही घाट पे जलना पड़ता है !

मंजिल खातिर कुछ यू चलना पड़ता है ,
गिर -- गिर कर भी और संभलना पड़ता है ......

Written By: Bir Bahadur Singh
From: West Bengal
Regn No: SFOPC2021092
बस तुम ही तुम

रात की रोशनी हूँ मैं, दिन का उजाला हो तुम,
मिल न पाए जो किसी को, वो चाहत का नजारा हो तुम।
सपना हो या ख्वाब हो,
मिल न पाए जो किसकी वो हसीन राज हो।
ढूँढी है हर एक खुशी तुममें ,
हर एक ढलती मोहब्बत का ना डूबनेवाला सहारा हो तुम।
जो कभी ना मुरझाए ऎसे फूलों का नजारा हो तुम,
दिन जाए, रात आए तुमको कभी भूला न पाए,
मेरे प्यारे दिल की जज्बात हो तुम।
रात की रोशनी हूँ मैं, दिन का उजाला हो तुम,
मिल ना पाए जो किसकी वो चाहत का नजारा हो तुम।।

Written By: Geeta Varma
From: Maharashtra
Regn No: SFOPC2021093
प्यार 10th class 2021 का

जब किसी लड़की ने 10th के Examination cancel होने के बाद मुझसे पूछा कि मैं तुम्हे कैसी लगती हूँ?

मैंने कहा
तुम मुझसे Physics वाला Attraction लगती हो,
और Chemistry वाला Reaction भी,
History की तुम Evolution लगती हो,
और Litreture वाला Action भी,
Economics की Transaction लगती हो,
और Maths वाला Fraction भी,
तुम Geography की Production लगती हो,
और Biology वाला Reproduction भी,
तुम बाबा Mendleve की Prediction लगती हो,
और मेरा IIT-NEET वाला Selection भी,
तुम लड़कियों में Exception लगती हो,
और लडकों वाला Satisfaction भी ।।

Written By: Govind
From:
Regn No: SFOPC2021094
आज़ादी की परिभाषा

आज़ादी का मतलब तुम हमसे क्या पूछो जनाब।
जहां आज़ाद होते हुए भी एक इंसान आज़ादी को महसूस न कर सके।
आज़ादी उन घूरती हुई आंखों से ।
आज़ादी समाज के ख्यालों से ।
आज़ादी अपने पंख लगाकर उड़ने की ।
आज़ादी उन बुरी यादों से ।
आज़ादी उन लोगों से जो अपने होते हुए भी अपने ना हो।
तुम क्या जानो मेरी आज़ादी का मतलब।
जब तुम्हारी आज़ादी और मेरी आज़ादी की परिभाषा ही अलग हो।

Written By: Lata Joshi
From: Delhi
Regn No: SFOPC2021095
मुस्कुराहट हटा के रख दी

मेरी सूरत का असली रंग देखा सब ने तेरे ना होने पर,
तेरे सुकुन के ख़तीर जो सजा राखी थी,
वो मुसकुराहत मेंने हटा के रख दी,
मेरी समझ से परे जा चुका है सही गलत का फैसला,
तेरी वो कमीज हमने पहनी तो,
मगर फ़िर उतार के रख दी,
मैंने वो दरवाजा खुला ही रखा है,
जिस्की चाबी एक रोज़ तूने मुझे थमाई थी,
मगर उस चाबी से बंधी उम्मीद मेंने दबा के रह दी।
अल्फ़ाज़ मुझसे काफी दूर थे मेरे,
मगर कुछ लफ्ज में बयान कर ही सकू,
ये सोचकर मैंने डायरी तो उठाई,
मगर फर उठा के रख दी..!!

Written By: Neha Sharma
From: Maharashtra
Regn No: SFOPC2021096
Shattered Love

Days pass by, as if a dream.
And like in a dream,
I recall those years,
faintly like the colours of a serene sunset.

When you gazed into my eyes,
was it love I saw in your face?
If so, the vibe was different.
It reached past my body,

my thoughts, shaking my heart.
Those were the happy years.
I loved, and in turn,
felt your warmth embrace me.
Like sunflowers that bow to the Sun,
you reminded me of sweet sighs.
I felt myself coming apart.
Like pearls on a soft thread.
Scattered everywhere.
Your voice would intrude my reverie.
Your laughter stitched my scattered self.
You made me mine,
I made you yours.
Having drunk deeply of you,
I would return to myself.
The feeling of your warmth,
gave life to my dimmest shadows.
Every blade of grass, every vein of leaves,
every star and flower, know of my love for you.
They sing to you, can you hear?
You are like a distant melody now.
When I extinguished our burning love,
with my tears of memories,
I saw you rising up, awayfrom my life.
I wanted to touch you,
one last time.
But you were far above me,
going, going, gone.
You gave me the power,
you connected to my soul. We completed ourselves.
My eyes still close with prayers for you.

Written By: Angana Paul
From: West Bengal
Regn No: SFOPC2021097
Naari

धन की दैवत तुम
शक्ती का स्वरूप हों।
शांती की देवी तुम
तुम नारी हों।

धर्म से लेकर मोक्ष तक
तुम हर और छाई हों।
गीत संगीत हर कला भी तुम
तुम नारी हों।

धरती से लेकर अंबर तक
अपने भीतर समाई हों ।
इस सृष्टि की जननी तुम
तुम नारी हों।

मां बेटी पत्नी बनकर
तुम हर वक्त साथ निभाती हों।
ईश्वर की श्रेष्ठ कलपना तुम
तुम नारी हों ।

Written By: Pratiksha Ganraj
From: Maharashtra
Regn No: SFOPC2021098
उम्मीद के सहारे एक सपना

एक 19 साल का लड़का ,
घरवालों को बड़ी-बड़ी बातों से
रिझा कर...
कुछ उम्मीदों तले ,
घर की आंच पर
अपने सपनों को पकाने निकलता है।
वो जिंदगी जीने ,जो अब तक
उसने सिर्फ सुनी और अभिनय करते हुए
किसी नेटवर्किंग साइट पर देखी और पढ़ी थी
वास्तविकता से परे
उसने भी एक दुनिया बना रखी थी
आने वाले कुछ सालों के लिए

आज वह 23 वर्ष की उम्र में
वहीं आने वाले सालों की दुनिया
ढूंढ रहा है
जिसे अब तक उसे जीना था
निराश नहीं है वो,
कि अब तक उसने
अपनी वो दुनिया नहीं बनाई
या अब तक
उसके सपने अधूरे हैं,
क्योंकि वास्तविकता उसे
बाद में पता चला कि
भोजन को जितनी देर तक
पकाएंगें
भोजन उतना ही स्वादिष्ट बनेगा
डर तो इसका है कि
सपने जल न जाएं
क्योंकि आंच अब भी
दी जा रही और सिर्फ
उम्मीदों के सहारे उसके
सपने वहीं पक रहें हैं
और वह
अपने सपनों से दूर
उस शहर में नहीं है ।

Written By: Sudama Prajapati
From: Madhya Pradesh
Regn No: SFOPC2021099
Memories

Don't! Don't run behind cameras,
photos are just flashcards.
It's memories which leave it's print,
deep inside our heart.

Don't! Don't worry,
It never fades
It last forever
It's a hidden treasure,
Which resides in our heart.

Don't! Don't panic,
It can't be stolen.
It's you! the owner,
of your lock and key.

So, let's raise our glasses And laugh,
remembering the day we cried! And cry,
remembering the day we laughed!

Written By: Banasmini Dey
From: Telengana
Regn No: SFOPC20210100
Selfish Honeymoon

She married herself
held her own hand publicly,confidently
That was just all of her
She chose a journey without a partner
voyaging with a soul of self
She danced insanely
on sane beats

With a single baggage
an independent being
travelled the whole globe
like a blooming flower
singing a song of own
she cried for self
and smiled for self
For,all she did was just for self

She would party all night
to greet the midnight slaying in her arms
She wakes and slides the windows
to 'shine on' with the new rays
She walks on the aisle
in a glowing gown
Her soul is all set to
play the part of a king and a Queen both
देखो वह फूलों की कली,
अकेली बाग़ को रोशन करती,
खुद मे खिलखिलाती,
अकेली मुस्कराती फिर रही है गली-गली

Dreaming of a date
on the top of an Eiffel Tower
She lands in Paris
with steps of self in reality
treating her mouth like a giant
with waffles and cheesy bread sticks
She stuffs all of it,like She owns it

Written By: Vidhi Chauhan
From: U.P
Regn No: SFOPC20210101
महंगाई से बातचीत

एक दिन मैं स्कूल जा रही थी,
देश की खुशहाली के गीत गा रही थी।
रास्ते में मुझे मिल गई , महंगाई
मैंने पूछा क्या हाल है -ताई ।।
बहुत दिन हो गए इंडिया में ,
अब तो जाओ,
देशवासियों को अब और न सताओ ।
वह बोली - इंडिया से तो मेरा जन्म- जन्म का नाता है, भला ऐसे कौन अपने घर को छोड़कर जाता है।
फिर मैं ना हुई तो नेतागण किसको हटाएंगे,
चुनाव लड़ना ही भूल जाएंगे ।
क्या तुम नहीं जानते भारत मेरा ससुराल है,
इसे छोड़ दूं ,कमाल है ।।
जवानी में आई थी ,
बुढ़ापे में कहां जाऊंगी ।

किसी की हटाने से,
मैं ना हट पाऊंगी ।
पतिव्रता स्त्री हूं,
बदनामी का टीका माथे पर ना लगाऊंगी।
डोली में बैठ कर आई थी,
कंधों पर सवार होकर जाऊंगी।।

Written By: Rashmi
From: Delhi
Regn No: SFOPC20210102
गहरा अंधेरा

चारो ओर है छाया एक गहरा अंधेरा,
ये अजीब सा मन में दर्द है कैसा,।।
अपना सा लगा था जो गीत अब वो पराया सा लगता है,
कोई दिखे ना करीब ये रास्ता अब अनजाना लगता है,
कोई बताए की जाए कहा,
क्यों धुंधला हो गया ये रास्ता,।।

चारो ओर है छाया एक गहरा अंधेरा,
ये अजीब सा मन में दर्द है कैसा,।।
सूनी सी ये गलियां,
दर्द से बे तहाशा डूबी है ये गलियां,
ये मौसम भी कुछ कहना चाहता है,
लगता है मुझसे मेरा दर्द बांटना चाहता है,।।

चारो ओर है छाया एक गहरा अंधेरा,
ये अजीब सा मन में दर्द है कैसा,।।
बेताब होते इस मन को क्या दिलासा दूं,
मन मान जाए आखिर ऐसा क्या  कह दूं,
मन के आंगन में तो यादों का बसेरा है,
इस अंधेरे का आखिर कहा खोया सवेरा है,।।

चारो ओर है छाया एक गहरा अंधेरा,
ये अजीब सा मन में दर्द है कैसा,।।
इस अंधेरे में मैं किसी चीज़ ना टकरा जाऊं,
कही तिल तिल मैं बिखर ना जाऊं,
ज़रा ध्यान से सुनता हूं कोई आहट जरूर सुनाई देगी,
इस सन्नाटे और अंधेरे में रोशनी जरूर दिखाई देगी,।।

Written By: Goldi Mishra
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC20210103
एक आग है मुझमें

एक आग है मुझमें,
जो ना जाने कब से दहक रही है ।
जो चैन से मुझे जीने नही देती है,
पर कुछ कर गुजरने का ,
हौसला जरूर देती है।।
देखती हूँ मासूमों को,
किसी की हवस का शिकार बनते।
तो आवाज उठाने पर मजबूर करती है।।
दहेज की लालच में जला दी जाती हैं।
आवाजें दबती नहीं दबा दी जाती हैं।।
चीखती है जब नारी, अपनी लाज बचाने को।
कोई आता नहीं, मदद् का हाथ बढाने को।।
सुनो पीड़ा सुनाते हैं,एक नारी की।
जो शिकार बनती है ,संकुचित सोच की बीमारी की।।
सुनकर नारी पर होने वाले अत्याचार,
तन मे आग सी लग जाती है।।
शायद यह आग मुझमें बचपन से ही दहक रही है।।

Written By: Harshita Agrahari
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC20210104
स्त्री

स्त्री जो जन्म लेते ही
पराई समझी जाती है
संस्कारों के नाम पर
उसकी आजादी छीनी जाती है
उठना,बैठना, सर झुकना
इज्जत की लगाम बस
औरतो पर ही लगाई जाती है
सारे कष्ट सहे औरत पर
वाहवाही पुरूषों की होती है
लाख ख्वाहिशे हो औरत की
पर सब की सब दफनाई जाती है
संस्कारों के नाम पर हर बार
औरतो के अस्तित्व को
मिटाने की कोशिश की जाती है

Written By: Deepali Yadav
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC20210105
जैसी चाल रही है चलने दो

जैसी चल रही है चलने दो,
धीरे धीरे आगे बढ़ने दो..
मर मर के सीखा जीना हमने,
अब जीते जीते मरने दो..
जैसी चल रही है चलने दो...|

ये कुदरत का कहर है,
जो गुमसुम सारा शहर है..
पर गलती है तेरी इंसान,
जो हवा मै ज़हर है..
अब धीरे धीरे साँसो को उखड़ने दो..
जैसी चल रही है चलने दो...|

अब शम्स मे पहले से भी तेज है,
आँधियो मे ज्यादा पहले से बेग है..
जो हिलते ना था तूफानों मे बृक्ष,
मंद हवाओं से उनको भी उखड़ने दो...
जैसी चल रही है चलने दो...|

Written By: Sameer "Gumnam"
From: Himachal Pradesh
Regn No: SFOPC20210106
राही चलता रहता है

चाहे क्षितिज पर डूबे दिनकर,
अंधियारे में खो जाए अम्बर,
हो मौन पवन, सुनी राहें,
काल खड़ा फैलाए बाहें,
किन्तु समय ना रुकता है,
ना किसिके आगे झुकता है,
लहू से अपनी प्यास बुझाए,
नए नए नित गीत सुनाए,
हो आरंभ या अंत हो,
पथ चाहे ""अनंत"" हो,
दीपक जलता रहता है।
राही चलता रहता है।

Written By: Shivraj Gadhavi
From: Gujrat
Regn No: SFOPC20210107
Brother

It is so hard to explain in words,
What a special brother you are!
You are a special person in this dark world,
A bright and shining star.

A special person to listen,
When I dont know what to do?
A special person who gives advice,
And helps me make it through.

Brother's have a special way,
To make you feel at rest,
And to have you as a brother,
I know that I am blessed.

A special person to hold my hand,
No matter come what may,
A special person to laugh with me,
And help me find my way!

I still feel very close to you,
Even though we are miles apart!
You will always be my special person,
And a special brother to me...

Written By: Ms.Mrunal Sameer Date
From: Maharashtra
Regn No: SFOPC20210108
चलो कुछ नया करते हैं

पुराने जख्मों को भरते हैं...
चलो कुछ नया करते हैं...
भूल कर गिले-शिकवे...
सभी को दिल से माफ करते हैं...
चलो कुछ नया करते है...

कब तक जलते रहेंगे दिल ही दिल में...
दिल की जलन को थोड़ा ठंडा करते हैं...
चलो कुछ नया करते हैं...
बहुत कर लिया दिल के दर्द को बयां
अपने लफ्जों में...
अब खुद को बयां करते हैं...
चलो कुछ नया करते हैं...

अपनी सभी मुरादें पूरी हो गई है...
अब लोगों की मुरादें पूरी करते हैं...
चलो कुछ नया करते हैं...
दिल से तो खेलते आए हैं पूरी जिंदगी...
अब थोड़ा दिमाग से खेलते हैं...
चलो कुछ नया करते हैं...
बहुत बोलते हैं लोग ये कुछ नहीं कर पाएगा...
अब लोगों का मुंह बंद करते हैं...
चलो कुछ नया करते हैं...

Written By: Karan Bansiboreliya
From: Ujjain (MP)
Regn No: SFOPC20210109
वर्षाकालिन रात

गौरा-कागा जब घर जाकर, दिन भर का परिखेद मिटाते है ।
गरूड़ रथी तब अस्तांचल पर, लालिमा फहराते है ॥
लालिमा लेप हटा सुधाकर,सुधारस बरसाते है ।
पंद्रह दिन कै पखवाड़ै मै ,चंद्रकला दर्शाते है॥
शशि फैरा नभ मे पाकर,तारक तड़ित बन आ जाते है ।
पलक झपकते गगन-व्योम मे,स्वः आभा फैलातै है ॥
वर्षाकाल कलंक रूप,गगन मैघाच्छन्न हो जाते है ।
चंद्र सहित सखि तारिका पर,बकलाभिभूत हो जाते है ॥
अपना अस्तित्व मिटता देख,शशि व्याकुल हौ जाते है ।
मेघावरण कि गलियो मे ,दोहरा मुख बताते है॥

Written By: Jitendra Shandilya Ameta
From: Rajasthan
Regn No: SFOPC20210110
गुम है ख़ामोशी

आजकल के शोरगुल में गुमनाम होती हुई ख़ामोशी ,
भीड़ों के भगदड़ में अनजान हुई ख़ामोशी ,

मंज़र बड़ा भयानक है ,
तराशता है हर पत्थर ख़ामोशी की नक्काशी ,

वक्त के फ़रमान में सभी को चलना होता है ,
अपने अरमानों में सभी को ढलना होता है ,

पर इस जारी दौरों में चलना मुश्किल होता है ,
खूब जागा इंसान भी रात को कभी न सोता है ,

इन वजहों की तलाशों में इंसान हमेशा खोता है ,
सुनना और ख़ामोशी में भी वक्त का सौदा होता है ,

चाहिए हमको वक्त भर की खामोशियां ,
शिद्दत की फर्माइश में सुनो तो उसकी शोखियां ,

गुलों में उसकी नायाबी हो ,
खोए न भीड़ में चारों ओर संवार चले लेकर अपनी शाखों कश्तियां ,

चलते हुए इन राहों में ख़ामोशी एक प्यास है ,
बुझाना है ,एक राज़ तो जानो धाराओं में बहती जाए ये धारों सी ,

कीमती है हर पल मुकद्दर है काशों की ,
भेड़ों के इस दौड़ में हो जाओ ख़ामोश ,
चलो हर पल मुस्कुराते ,
इन शहरों की भगदड़ में अनजान हुई ख़ामोशी ।।

Written By: Anuvesh Namdev
From: Chhattisgarh
Regn No: SFOPC20210111
Tiranga

Naraz hoon hairaan hoon tujhse
Ay Mazhab, pareshaan hoon tujhse
Mujhse bhi upar hai tu, Kya mujhse bhi nidar hai tu
Bhul mt mujhse hai, mujhme hi reh tu jayega
Badal hoon barasne de tu bheeg sikudsa jayega

Teeja mera anng hai wo jo
Khushhaali ka bhi rang hai wo jo
Jo kesariyasa dhang hai mera
Mera na reh wo payega
Ay Mazhab, gar yeh hua to tu bhi bach na payega

Sab nahi hai tujhme wo
Kuch hai merebhi apne wo
Gar dilse aya yaad unhe to tu jeet kabhi na payega
Tiranga hoon Tiranga hoon mai tu bhi zhuksa jaayega.

Written By: Pranil Khaire
From: Maharashtra
Regn No: SFOPC20210112
आज का दौर

कहने को तो सबके पास डिग्री हजार है,
पर बेरोजगारी के कारण सब बेकार है ।
युवाओं में मची चारो तरफ मारोमार है ,
डिग्री होने के बावजूद भी वो बेरोजगार है ।

इस बेरोजगारी की मार से .......
न जाने कितनों का दिल टूट रहा ,
जो कल तक सब मेरा था ,
वो साथ भी अब छूट रहा ।

जो कभी गली मोहल्ले में झुंड बनाकर घूमा करता था ,
वो आज नोकरी के लिए शहर में अकेला भटक रहा ।
न बचपन की दोस्ती का साथ रहा और न ही अपनो का,
""अपने तो अपने होते है"" ये शब्द सिर्फ अब स्टेटस में दिख रहा ।

ये बेरोजगारी कम थी ,
जो ये ""कॅरोना"" की आई लहर है ।
थके हारे नही फिर भी बैठे है सब घर मे ,
क्योकि चारो तरफ मौत का कहर है ।
ये ""सहर"" भी अब मुझको नही भाती ,
इसमे भी फैला ""जहर"" है ।

बेरोजगारी से तो लड़ भी लूँ ,
पर कैसे बचूं इन जहरीली हवाओं से ।
ये डिग्रियां भी कम पड़ गयी ,
और हार गए सब डॉक्टर की सलाहो से ।

ये तन्हाई , जुदाई और ये बेचैनी ,
अपनो से कोई ""रश्क"" नही ।
जरा ! बच कर रहना यारो ,
ये मौत की लहर है कोई ""इश्क"" नही ।।

Written By: Chitrakala
From: Rajsthan
Regn No: SFOPC20210113
आसान नहीं होता एक लड़की होना

आसान नहीं होता एक लड़की होना..
दूसरों के लिए अपना अस्तित्व खोना..
सर बुलंदी छूते हौसले मार कर सोना..
आसान नहीं होता एक लड़की होना |

कभी खुद टूट रोना पड़ता है..
कभी दिल के अरमान आंसुओ में भर तकिया भिगोना पड़ता है..
कभी इज्ज़त के नाम पर अभिलाषाओ को डुबोना पड़ता है..
मुश्किल होता है अपनी आंखों में दूसरों के सपने सजोना..
आसान नहीं होता एक लड़की होना ||

इतने साल जन्म ले एक जिंदगी जीना..
और फिर दूसरे घर जा, नए जीवन के धागे मे उम्मीद के मोती पिरोना..
रिश्तों के लिए अपनी सोच को बदलना पड़ता है..
लड़की होने का हर फर्ज अदा करना पड़ता है|

आसान नहीं होता एक लड़की होना..
रिश्तों के लिए अपनी पहचान अपना अस्तित्व खोना |

बहता है खून और खुशियां मनाईं जाती हैं,
हमारी बेटी वंश बढ़ाने लायक हो गयी है,
कुछ इस तरह बात बताई जाती है,
है उस बहते हुए सुर्ख लाल रंग से वंश महफूस ,
क्या कभी कर सकते हो उस दर्द के एहसास को महसूस ?
बेआराम कैसे वो खुद को पाती है ,
पर किसी को बताने में हिचकिचाती है,

आसान नहीं होता एक लड़की होना..
रिश्तों के लिए अपनी पहचान अपना अस्तित्व खोना |

उसके लिए उन दिनों क्यों मंदिर मस्जिद के कपाट अवरुद्ध है,
जन्म यही देती हैं तो क्यों ऐसे समय में समाज उनके विरुद्ध है?
दुनिया बनाने वाली माँ के जब तुम भक्त हो,
तो जन्म देने वाली माँ के लिए कैसे इतने सख्त हो?
क्यों ऐसे तिरस्कृत किया जाता है,
क्यों खाना तक दूर से खिसका दिया जाता है?
क्यों उस पीड़ा को नज़र अंदाज कर दिया जाता है?
ये ख्याल मन को झंझोर जाता है,ये ख्याल बार बार मन में आता है|

आसान नहीं होता एक लड़की होना..
रिश्तों के लिए अपनी पहचान अपना अस्तित्व खोना |

Written By: Ms. Nikhlesh sejwar 'Nik'
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC20210114
ढूंढ़ने निकले

ढूंढ़ने निकले ज़माने मे तो हज़ारो मिलगये ,
कई मजनू मिले, कई जुग्नु मिले ,
तो किसीको अलग होने के बहाने मिलगये !!
मुकदर गलत था , या लोग गलत मिले ,
ये सोचके रातो को हम भी ना सो पाये ,
किसीने हमनवा काहा , किसी ने हमसफ़र काहा ,
बस यूहीं बदलते साये थे !!
हाथ मांगा सबने , साथ कोई ना चाहता था ,
हमने वी सोचा क्या, दुआ मे हमने यही मांगा था ,
बदलते वक़्त साथ नज़ारे भी बदल गए ,
वो बदले उनका प्यार बदला फिर हम भी बदल गए ,
बस इसी काश्मकश मे जीते आये है !!
ढूंढ़ने निकले ज़माने मे तो हज़ारो मिलगये ,
कई मजनू मिले , कई जुगनू मिले ,
तो किसीको अलग होने के बहाने मिलगये !!

Written By: Manpreet kaur
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC20210115
I am a Georgian Born to Die

if i die in a war zone,
box me up and send me home.

Put my medals on my chest,
Tell my mom i did my best.

Tell my father not to bow,
he won't get tension from me now.

Tell my brother to study perfectly,
keys of my bike will be his permanently.

Tell my sis not to be upset,
Her bro will not rise after this sunset,

Tell my love not to Cry...
'BECAUSE IAM A GEORGIAN BORN TO DIE....! ! !

Written By: Raja Vishal Ranjan
From: Bihar
Regn No: SFOPC20210116
चले जाना हैं

अनजान हैं राह फिर भी हम चले जा रहे हैं,,
पता नहीं है मंजिल का कुछ फिर भी चले जा रहे हैं।।

करते नहीं है परवाह दुनिया दारी की हम,,
अपनी ही धुन में हम बस चले जा रहे हैं।।

हो चाहे कितना मुश्किल सफर मगर शुरू किया है,,
मंजिल को पाने के लिए नहीं खुद के लिए चले जा रहे हैं।।

आते है तूफ़ान यहां रोज हज़ारों लेकिन,,
हर तूफान को पार करके हम चले जा रहे हैं।।

परवाह नहीं है आने वाले सामने हमारे विरोधियों की,,
हम तो बेहिसाब मेहनत किये जा रहे हैं।।

हो पथ कितना ही मुश्किल मगर हम चले जा रहे हैं,,
इतिहास को लिखने के लिए बढ़े जा रहे हैं।।

चट्टानों से तो तो हाथ किए जा रहे हैं,,
एक मां की चेहरे की हंसी के लिए रातों को काली किए जा रहे हैं।।

एक दिन होगा सवेरा अपना भी चारो तरफ चहल पहल होगी,,
मां के चेहरे पर होगी मिसल मुस्कान उसको खुश देखने के लिए चले जा रहे हैं।।

रातों को जाग जाग जो लिख रहे हैं हम कहानी कोई,,
इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा नाम उस पल के लिए जी तोड़ मेहनत किए जा रहे हैं।।

मरना तो एक दिन सबको ही हैं मगर क्यों याद करेगी दुनियां हमें,,
सिकंदर के जैसे अमित छाप के लिए ,हम भी एक अपना अलग किरदार निभाए जा रहे हैं।।

अनजान हैं आज राह मुश्किल हैं रास्ते मगर,,
मंज़िल का पता नहीं फिर भी हम चले जा रहे हैं।।

मिलेगे मंज़िल एक दिन हमें भी अपना भी नाम होगा,,
एक हाथ मै माइक और एक हाथ में पुरस्कार होगा।।
वो पल भी हसीन होगा खुदा मेरे,,
जब अपना होगा स्टेज सारा और मां का मेरे सर पर हाथ होगा।।

Written By: Yachika Prajapati
From: Uttarakhand
Regn No: SFOPC20210117
मेरी रूह तुझे पुकारे माँ

माँ तेरी बेटी आज अकेली है
थोड़ी - सी झलली और कुछ अलबेली है,
सब कहते है कि तु अपनी माँ जैसी पहेली है

कभी सोचती हूँ तु मुझे आवाज़ दे बुलाएगी
मेरे माथे को चूम हँसती मेरे संग बतलाएगी,
माँ रातों को ऊठ बेचैन हुए, तेरी तस्वीर को सीने से लगाती हूँ
लाखों की भीड़ में भी खुद को अकेली पाती हूँ।

बचपन से ही तेरी यादों में जी रही हूँ
पल- पल आँसुओं को वक़्त के सहारे पी रही हूँ,
दम घुटने लगा है मेरा इस दुनिया में
तेरे पास आना चाहती हूँ, तेरी तरह मैं भी मिट्टी में घुलना चाहती हूँ।।

माँ एक अरसा हो गया, तुझसे बिछड़े,
हर जनम तेरी बेटी बन जाँऊ, यह तमन्ना मेरी,
तू सुन रही है न माँ तेरी बेटी आज अकेली,
तेरी बेटी आज अकेली............
तेरी बेटी आज अकेली.........।।

Written By: Muskan
From: Punjab
Regn No: SFOPC20210118
इत्तेफाक या अभिशाप

थी जब मैं अपने माँ की कोख में,
सपने कुछ मैंने सजाए थे,
की जब आऊंगी तेरे कोख से बाहर,
गले मुझे सब लगाएंगे,
बाटेंगे मिठाई मोहल्ले भर में,
जश्न आने का मेरे मनाएंगे।
पता नहीं क्या कसूर था मेरा,
नियति ने मुझसे भद्दा मजाक किया,
छिनकर सारी खुशियां मुझसे,
हृदय को मेरे आघात किया।
जब दुनिया में आयी मै,
अस्तित्व को मेरे नकारा गया,
देखा गया मुझे हीन भाव से,
किन्नर मुझे पुकारा गया।
डर कर बेरहम समाज के तनों से,
पहचान मेरा छुपा दिया
उठ गया भरोसा इंसानियत से  मेरा ,
जब मेरे माँ बाप ने ही मुझे ठुकरा दिया।
छोड़ आए मुझे उस गली,
जिसने मुझ जैसे कइयों को जीवन दान दिया,
जिनका इस समाज के, ""सभ्य"" और ""इज्जतदार"" लोगो  ने,
किन्नर कह कर अपमान किया।
होना पडता है जलील हर रोज हमें,
दो वक्त की रोटी के लिए,
सुनना पड़ता है ताने किसी के, तो किसी के अपशब्दो का बोझ ढोना पड़ता है।
ऐसा नहीं कि हमे चाह न थी, अपनी मेहनत से पेट भरने का,
पर कब मौका दिया इस समाज ने हमें ,  अपनी काबिलियत  साबित करने का
सवाल मेरा एक, उन सभ्य लोगो से की,
लड़ते हो तुम समाज के कुरीतियों से, लोगो को उनका हक दिलाते हो,
पर आती जब बात मेरे अधिकार की,
तुम्हारी नजरे क्यों झुक जाती है,
अवाज उठाती ये शब्द तुम्हारे,
लड़ती है दुनिया के लिए,
उठता सवाल जब अस्तित्व पर मेरी,
ये कलम तुम्हारी क्यों रुक जाती है।

Written By: Lokendra Kumar Dhruw
From: Chhatishgarh
Regn No: SFOPC20210119
पेड़

किसी के ज़हन से निकला हुआ कोई ख्याल बन जाता हूँ,
बेवक़्त आने वाली कोई बरसात बन जाता हूँ,
नहीं है मेरा कोई पता, कोई ठिकाना यहाँ,
मैं समंदर किनारे भी एक घर बन जाता हूँ।
किसी अजनबी के लिए एक दोस्त मुसाफिर बन जाता हूँ,
किसी के गम से लिपटे दर्द का मैं एक सुकून सा मरहम बन जाता हूँ,
फिर भी लोग मुझसे मोहब्बत जताते नहीं है,
पर आदत से मजबूर मैं, हर किसी को मोहब्बत जताता हूँ।

जहाँ बस जाऊँ, उसे स्वर्ग और जिंदगी मान जाता हूँ,
किसी से शिकायत नहीं करता, मैं ऐसे ही सबकुछ नज़रअंदाज़ कर जाता हूँ,
सब पराया समझते हैं मगर सबको अपना मानता हूँ मैं,
सबको बिन माँगे सबकुछ देता हूँ, हाँ मैं एक पेड़ हूँ।

Written By: Prangya Panda
From: Odisha
Regn No: SFOPC20210120
एक अनकही सी दास्तां

सुबह की किरणें जब पत्तों को छूती हैं,
ये ओस की बूंदें भी कुछ कुछ तुम-से‌ लगते हैं ।

न जाने उन आंखों ने क्या जादू चलाया है,
नींद खुलती कहां है मेरी‌ सवेरे आजकल ?
रात भर जागना जो पड़ता है !

जब कभी धीमी हवा मुझे छू कर बहती है,
तब पता नहीं क्यों मेरे दिल में कहीं बेचैनी सी होती है ।

तुम्हारे तस्वीर के सामने बैठूं तो मानो लम्हा कहीं थम जाता है,
तारे गिनने की मेरी हसरत‌ कहां? मेरा तो दिन ही नहीं ढलता है ।

कभी बरस पड़ती हूं बेपनाह तो कभी खिलखिला कर मुस्कराती हूं,
अकसर एक मासूम सा ख्वाब लिए तनहाई से बातें करती हूं ।

लगता है जैसे तुम्हारे बिना अधूरी है मेरी‌ जिंदगी सारी,
तरसती है मेरी‌ आंखें बस एक नज़र को‌ तुम्हारी ।

मुझे पता है कि मेरे होने से तुम वाकिफ़ नहीं हो,
तुम्हें क्या ? तुम तो कल की तरह आज भी बेखबर हो ।

कभी मन्नतों में, तो कभी इबादतों में तुम्हें मांगा है,
तुम ख़ुदा तो नहीं हो, पर मैंने तुमसे ही तुमको चाहा है ।

दिल से दिल के मिलने को भला कौन‌ रोक पाया‌ है ?
पर जनाब, यहां तो एक बंजर जमीन को बहते पानी से इश्क हो गया है ।

कहते हैं किसी चीज़ को शिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात तुम्हें उस से मिलाने की कोशिश करती है,
पर मुझे तुम्हें पाने के लिए, पूरी कायनात से बगावत क्यों करनी पड़ती है ?

आंखें मेरी हर जगह बस तुम्हें ही ढूंढती रहती है,
और तुम न मिलने पर अपने आप ही नम हो जाती है ।

मुझे यह तो पता नहीं कि तुम कहां मिलोगे,
पर मुझे यकीन है कि तुम जरूर आओगे ।

शाम और सवेरे तुम्हारे सपनों में खोई रहती हूं,
तुमसे एक मुलाकात के लिए सब कुछ कुर्बान कर सकती हूं ।

तुमसे मोहब्बत करने में जो सुकून है वह कहीं और तो नहीं,
तुम से मिलने वाली हर दर्द मरहम है मुझे कोई गिला तो नहीं !

दिल में कई अरमान, मन में कई ख्वाहिश लिए जागी हूं,
शायद किसी ‘शायद’ पर‌ तुम मिल जाओ यह आश लगाए बैठी हूं ।

भरोसा है मुझे मेरे प्यार पर किसी और का होगा, यह तो मुमकिन नहीं,
मैं तुम्हें चांद कह दूं पर लोग रात भर तुम्हें देखें यह हमें मंजूर नहीं ।

जिक्र है कि एक तरफा ‌उम्मीदें अकसर तबाह‌ कर जाते हैं,
पर हम क्या करें ? हम इन्हीं उम्मीदों पर ही तो जिंदा रहते हैं !

मेरी‌ खुशियां तुम्हें मिले आबाद रहो तुम,
उम्र लग जाए मेरी तुम्हें महफूज रहो तुम ।

चैन मेरा, नींद मेरी कहीं तो खोई हुई है,
जिंदगी से कुछ न मांगा बस एक तुम्हारी कभी रह गई है ।

तुम जुनून हो बंदगी हो मेरी,
थाम लो यह हाथ मेरा इतनी-सी तो गुज़ारिश है मेरी‌ !

तुम्हारे एक हँसीं को अपना वजूद मानती आ रही हूं,
तुम्हें एक एहसास‌; एक नग़मा मानती आ रही हूं ।

लोग कहते हैं कि तुमसे मिलना इतना आसान नहीं,
मगर क्या करूं ? कमबख्त दिल है के‌ मानता नहीं ।

तुमसे बस एक बार मिलें यह कोशिश है हमारी,
तुम्हारी जिंदगी से कुछ पल मांगे है मैंने क्या इजाजत है तुम्हारी ?

इंसान की हर तमन्ना पूरी हो यह तो जरूरी नहीं,
कहीं कोई तो राह‌ होगा तुम तक; दुनिया में कोई चीज नामुमकिन तो नहीं ।

इस जनम का तो पता नहीं लेकिन अगले जनम,
तुम मेरे हो जाना; और मैं सिर्फ तुम्हारी ।।

Written By: Sulagna Subhadarsini
From: Odisha
Regn No: SFOPC20210121
एक कोशिश ही तो चाहिए

एक कोशिश काफ़ी है ये बताने के लिए
एक कोशिश ही तो चाहिए सपनों को पाने के लिए

वो सपने तब तक ही तुम्हारे हैं

जब तक तुम उन्हें पाने की कोशिश करते हो

कोई और उन्हें पूरा करे तो वो तुम्हारे नहीं रहते

और सिर्फ़ एक कोशिश ही तो चाहिए

उन्हें अपना बनाने के लिए।।

हज़ार मुश्किलें हो राहों में,

तुम केवल अकेले खड़े हो लाखों बेगानों में

मगर एक कोशिश ही तो लगती है पहला कदम बढ़ाने में।

और क्यों तुम्हें मंज़िल आसानी से मिले

कई लोग खड़े हैं मदैन- ए- जंग में

कोशिशों का चिराग़ लिए

सपनों से हक़ीक़त तक जाने के लिए

बस एक कोशिश ही तो लगती है कोशिश आजमाने के लिए।।

हार के बैठ जाओ इससे अच्छा है एक और कोशिश कर जाओ,

माना दिल में कई सवाल हैं
गिर जाने का डर , हार जाने का ख़्याल है
मगर इस वजह से तुम गुमनाम हो जाओ
इससे बेहतर है लड़कर ,
कोशिश करने वालों की मिसाल बन जाओ।
आसमां छूने की तलब दिल में और आंखों में जुनून भर लो,
अपनी कोशिशों से तुम अपना नाम बादलों पर लिख दो।
घने अंधेरे में तुम जुगनू बनकर,
सारा जहां रौशन कर जाओ,
तुम सिर्फ़ एक कोशिश कर ,
आसमां का तारा बन जाओ।
बस एक कोशिश ही तो लगती है हद तक जाने के लिए,
बस एक कोशिश की कमी है
कोशिश तक जाने के लिए।।
हर जीत तुम्हारी ही हो ये ज़रूरी नहीं
मगर हर बार कोशिश तुम करो ये ज़रूरी है।।

Written By: Bobby Sharma
From: Delhi
Regn No: SFOPC20210122
Intezaar

Boondh boondh ye jiwan barse,
Deed teri ko ye naina tarse,,
Aaas abi b hai tujse milan ki,
Chahe intezaar me beh gae kitne arse..

Shehar shehar ye baat shiri hai,
Tujse milan ki ab kareeb garhi hai,
Sudh budh teri nhi thikane,
Aaj hi kalam meri mujse larhi hai..

Jo dil me hai vo kehna hai tujse,
Paas aakr na jana ab door mujse,
Gum me gile mere naino ko,
Khushi me bahane ki umeed ha tujse..

Jo bicherane ka hmne dard saha hai,
Dil k siva na kisi se kaha hai,
Jo ishq ka dusra naam hai zindagi,
Aise zindagi ko hmne hr pal chaha hai..

Bs shab-e- zulmat ka ant kareeb hai,
Tulu-e-sahar ki ab umeed hai,
Gham shahnaaz hai ek arse se tere,
Ye zindagi jeene ki hmari tarteeb hai..

Written By: Tavleen Singh
From: Jammu and Kashmir
Regn No: SFOPC20210123
रक्षा बंधन का उपहार

विश्व भर के भाइयों सुनो,
अब फिर से हुई है एक नई खोज।
एक अनोखे रिश्ते का बंधन टूटा,
रक्षाबंधन का पावन त्योहार,आज बन गया है एक बोझ ।

मेरे प्यारे भईया राजा,
इस बार तुमसे कोई उपहार न मैं माँगूंगी।
बस बहन का स्थान मुझको देना ,
जब जब निंदिया से अपनी मैं जागूँगी।

तुम्हारी कलाई पर जो बाँधूंगी,
उस राखी की तुम लाज रखना।
जीवन मे अपने सदैव तुम,
सर पर श्रावण पुत्र का ताज रखना।

जो मिठाई मेरे हाथ से तुम खाओगे,
उसी की तरह मेरे घर में तुम मिठास भरना।
जब मैं न कर पाऊँ तब,
मेरे परिवार के कष्टों को तुम सदैव हरना ।

न चॉकलेट, न कोई पैसा चाहिए,
न ही इस औपचारिकता का तुम बोझ लेना।
बस छोटा सा एक उपकार करना,
कि भाई बहन के प्यार के आगे, इस नई खोज को पहल कभी न देना ।

सगा, चचेरा या भाई हो ममेरा,
पर रिश्ता सदैव भाई बहन का ही हो।
यह अनमोल और पावन बंधन कभी दर्द में न बदले,
भईया, रक्षा बंधन के अवसर पर, यह उपहार मुझको दो।

मेरे प्रेम, झगड़े और इस खिलखिलाते रिश्ते को तुम जीवन भर बनाकर रखना।
और करना मुझपर एक एहसान,
हमेशा कामयाबी की ऊँचाईयों को तुम सदैव छूना,
तांकि तुम्हारी इस बहना को हो सके , हमेशा ही तुमपर मान।

Written By: Swasti Bansal
From: Punjab
Regn No: SFOPC20210124
कोरोना सैननी

खड़े थे जो सीमा पर लेकर संजीवन की बूटी,
बिन बंदूक, ढाल वो कर रहे थे जंग की तैयारी;
श्वेत कफन और श्वेत थी जिनकी उत्तरदेय की वर्दी,
छोड़ निवाला जो खाते थे भीति की अंधियारी;
कर रजनी को अवरज, वो जब जगा रहे थे भिनसारी,
चीर यामिनी का तिमिर वो बचा रहे थे पल पल किलकारी।

भूलकर निज आँगन का क्रंदन, निवास बना जिनका मरणांगण,
छोड़ धर्म का व्यर्थ विवाद, जो करते रहे अमृत का मंथन;
मिथ्या दंभ जब हुआ शिथिल, और कूट हुआ सरकारी मान,
पस्त पड़े थे राजा सारे, पस्त पड़ा सारा संसार;
थम विश्व की जीवन डोरी, विश्व कुटुंब का करते रक्षण,
निर्भीक साहसी योद्धा लड़ते, प्राण हथे;ली पर धरकर।

बेपरवाह जब होता मानुष, दुष्ट विषाणु करता घात,
बैठा रहता ताक लगाकर जब जब होता प्रकृति प्रहार;
अदृश्य तिरोहिउत वैरी ऐसा काज न आया दूभर प्रयत्न,
साम दाम जब हुए विफल तब काम में आया वैद्य यत्न;
खोकर सुध बुध अपनी सारी, चले निभाने राष्ट्र का धर्म,
खाकी टुकड़ा ओढ़ चल पड़ा, श्वेत वसन का सैन्य बल।

जहां सैनिक करते सीमा रक्षा, प्राण बचते वैद्य महान,
आर्यावर्त के आर्य लड़ते, थाम हथेली करते वार;
तीन रंगों की दर शपथ वो निरंतर करते सेवा अर्पण,
भारत देश के वीर सपूत हैं, कौशक दक्ष के करता, धारक;
नमन देश की माटी को है, जन्मे असंख्य दिव्य अवतार,
नमन देश के वैद्य धर्म को, वतन हित जो हर्ष बलिहार।

Written By: Bhumika Jain
From: Hariyana
Regn No: SFOPC20210125
Lafzo Se Lafzo Tak

कुछ अपना सा लिखना था मुझे दोस्ती से ज्यादा क्या लिखता ..
कुछ रुका हुआ लिखना था मुझे गमो से ज्यादा क्या लिखता....
कुछ गहरा सा लिखना था मुझे आंखों से ज्यादा क्या लिखता...
कुछ गैरों से लिखना था मुझे अपनों से ज्यादा क्या लिखता ..
कुछ सुनहरा से लिखना था मुझे यादो से ज्यादा क्या लिखता!
कहानी लिखनी थी मुझे रिश्तो से ज्यादा क्या लिखता!!!

Written By: Nikii
From: Hariyana
Regn No: SFOPC20210126
Love on Rainy Nights

In the nights of darkness,
Droplets of the rain harness,
The love of the leaves,
Which doesn't know that it also leaves.

But till the rain was there,
There was no issue of an affair.
Drenching in the love of storms,
With the rain in and as the teeming swarms.

They stand there firm and alone,
For the mighty winds to be blown,
Thinking that might take off traces,
But they forgot that, feeling of love chases.

Written By: Ambirneya Kannan
From: Andhra Pradesh
Regn No: SFOPC20210127
रक्षाबंधन

प्यार का बंधन,
भाई - बहन का अनमोल रिश्ता ।
राखी से जुड़ा होता,
बहन की रक्षा का वचन ।
बहन करती भाई की,
लंबी आयु की कामना ।
वो हमेशा खुश रहे।
भाई से ही होता जीवन पूरा ।
भाई से वो तोहफे माँगना ।
इस दिन को त्योहार की तरह मनाना ।
बिन बोले ही हमारी परेशानी समझते हैं,
ऐसे होते हैं भाई ।
कभी दोस्त बनकर हमें समझाते,
कभी हमारी सारी इच्छाओं को पूरा करते हैं।
इतने प्यारे होते हैं भाई ।
इसलिए वो दिन खास हो जाता है।
हर मुश्किल में हमारा साथ देते हैं भाई ।
भाई - बहन का प्यारा बंधन,
और मजूबत हो जाए ।
मुबारक हो सबको,
राखी का प्यारा त्योहार ।

Written By: Neha
From: Haryana
Regn No: SFOPC20210128
You and Me

I want to spend all ,
My moments with you.
I want to adorn you ,
With my love...
I want to tell you ,
How much my heart loves you.
With you , Is where I belong...

We'll never part our ways ,
As long as we breathe.
I'll never stop loving you.
I'll be yours nd you be mine forever...

All I need is you
With you , I want to build my world of love
Where there's just you and me
I'll be yours nd you be mine forever...

My eyes wish to see you everyday
I wish to sleep in your arms every night
May we always be committed to each other like this
I'll be yours nd you be mine forever...

Written By: Suhani Goyal
From: Uttarakhand
Regn No: SFOPC20210129
चाँद जरा ठहर तो जा

चाँद जरा ठहर तो जा कि रैन अभी बाकी है ,

बात अभी बाकी है कि रात अभी बाकी है ।

चाँद जरा ठहर तो जा कि चांदनी अभी बाकी है , लाली को तो आने दे जरा कि वो पल

का आना बाकी है । 

सपनों को तू ना रोकना कि पवन का झोंका अभी बाकी है ।

चाँद जरा ठहर तो जा .........

साजन से मिलने दे जरा कि वो लम्हा आना अभी बाकी है । 

चॉद जरा ठहर तो जा .......

कलियों को अभी खिलना है जरा कि भवरों का मंडराना अभी बाकी है ।

चाँद जरा ठहर तो जा .........

पक्षियों को उड़ने दे जरा कि तितलियों का उड़ना बाकी है ।

चाँद जरा ठहर तो जा .......

बात अभी बाकी है, कि रात अभी बाकी है ॥ 

चाँद  जरा ठहर तो जा की रैन अभी बाकी है ॥

Written By: Archana Saxena
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC20210130
A Gloomy Starry Night

A beautiful scenic view that night,
But there was a darkness in my insight.

A terbulance of oblivious thoughts hovering,
And it seemed that I was literally drowning.

Was trying to consort with mine exasperations,
But got frailed to deal with those expectations.

Which I earlier thought I would conquer,
But there was a snare to snatch my victor.

Feeling of unsuccess and lost of hope that desolates,
And gradually an aspect of wistfulness it percolates.

Although a starry serene view in that night,
Yet that milky light failed to sooth my sight

Meanwhile, suddenly a cool breeze interfere,
Which renovates my heart and moved me from there.

A shower of tranquil poured by that breeze,
And rendered me gay and me freeze.

Requesting a piece of mercy to stars for mine,
For I had not enjoyed that grace with thine.
Those stars taught me, not to incline,
In front of difficulties and to be sneaky shy
Be like us and create thine own shine.

Written By: Aman Sharma
From: Delhi
Regn No: SFOPC20210131
Something is Waiting for You

Is there something waiting for u?


Yeah Of course ,
Something , somewhere,
Is waiting only for you.

The wild blue yonder is,
waiting for your winging.

Somewhere the joyous,
Opportunities are only,
Lingering for you,
At your door step.

And actually something
Is waiting for you.

The dayspring is ,
waiting for you
to expose the right track.

Your goals are waiting,
for you to achieve them.

Somewhere the truth is also,
Waiting for you to reveal it.

Somewhere ,someone is also,
Waiting to shower,
the unconditional love on you.

AND
Somewhere your fate is also,
waiting for your estimation.

Written By: Aishwarya Madhukar Ghogare
From: Maharashtra
Regn No: SFOPC20210132
एक दिन का होसला ही काफी नहीं जिदंगी के लिए

लड झगड कर आऐ थे, घर वाले से,
ठान लिया था अब कुछ कर कर हिं जाऐंगे,
खड़े होगें अपने पैर, पर,
ओर जिदंगी से लडना जान जाऐंगे...
पर दर - बदर कि ठोकरें खाई तो,
कदम डगमगाने लगे...
तब जाना कि एक दिन का होसला ही
काफी नहीं जिदंगी के लिए...

एक दिन का होसला ही
काफी नहीं जिदंगी के लिए....
चन्द वादे थे, खुद से, कुछ खाब के लिए..
रास्ता आसान नहीं था आगे बढ़ ने के लिए,
गिरे उठे, फिर गिरे, उठे, फिर गिरे, तो रोने लगे...
तब जाना की, एक दिन का होसला काफी नहीं
जिंदगी के लिए...

ना करो तो कुछ आसान नहीं,
करो तो कुछ ना मुकिन नहीं,
एही ठान कर चल पडे थे...
मगर रास्ते में धुप आई तो छाव धुठने लगे..
. तब जाना कि एक दिन का होसला ही
काफी नहीं जिदंगी के लिए...

Written By: Pawar Rahul
From: Maharashtra
Regn No: SFOPC20210133
Incentive

Everyman possess a thing dearest,
Possibly an ambition or aim,
Haply a soul or material,
Whatever proffers people reason to prevail.

Existence solely concerns a cause,
Disparate folk hold unlike spur,
Yet each individual extant for a purpose.

Life extend motive for all,
Gazillion of people hustle in routine,
Just to grant their kindred joy,
Perhaps some calmness for themselves too.

Written By: Roshni Ojha
From: Haryana
Regn No: SFOPC20210135
Mom

O mom O
Are you a god's creation
Answer my this question
You played a big in my education
From day one to graduation
I always thought that I was under your emanicipation
But never understood your dedication
Even after there a big gap of generation
You never lost your motivation in creating a strong foundation
You saved me everyday from starvation
And I told you in restaurants to stay in sophisticaption
I know I lack giving you appreciation
So today I just want to say THANK YOU.

Written By: Adityaraj Vohra
From: Delhi
Regn No: SFOPC20210136
Online School

They start in the morning exactly at eight
I always end up joining late
I have so many pending assignment
I already wanna sign my retirement

Online classes are so tiring
It disturbs my brain wiring
Online exams are a dream come true Whenever you need answers Google is there for you

I miss the old school days and the oldschool life
Covid has made it hard to survive
The assignments never get less
My life has become a huge mess

Oh lord have mercy on us please
We pray to you on our knees
I don't like these classes even a bit
But scrolling insta during classes isalways lit

After so many hours in front of the screen
I wanna just scream and eat ice cream We are having headaches and pain inthe back
As classes continue back to back

Online classes are so tiring
It disturbs my brain wiring Online exams are a dream come true
Whenever you need answers Google is there for you

Written By: Jumana Huzefa
From: Rajasthan
Regn No: SFOPC20210137
Love

I don't want,
a fairytale
Ending with you
I want to be there
To help you face
Your fears and
To help you overcome
Your failures
I want to give you
The kind of love
That's not distorted
And febricated
But real, raw
And honest

Written By: Ashi Mishra
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC20210138
Shakespeare within Me

Accept THE FATÉ.
WAIT..
ITS IT TOO LATE?
ALL THE WORDS DIED IN VAIN.
AND THE SKY SAW THE PAIN.
EVERY DEBRIS SO PRECISE...
YOU CHOKE ME EVERYTIME.
HOW YOU BROKE ME EVERYTIME .
•THE MOON IS ALONE TONIGHT TANGLED UP WITH NO LIGHT.
IT WONDERS HOW EVERY CHAIN WAS TIED AND EVERY EMOTION YOU HIDE.
THE MOON IS SICK OF YOUR LOVER.
NO MAITER HOW MUCH YOU LOVE HER.
BUT THE MOON IS ASKING ME TO STAY.
EVEN THOUGH IT'LL DISAPPEAR NEXT DAY.

Written By: Jasper George
From: Tamilnadu
Regn No: SFOPC20210140
नामुमकिन

हसरते कुछ नामुमकिन पाने की रख
पर नामुमकिन जैसा शब्द ना रख ॥
चाह आसमां पाने की रख
पर पैर जमीन से अलग ना रख॥
बुराईयाँ लाख हो तुझमें पर
अछाईया अपने पास रख ॥
दुनिया भलेही बुराईयो में जिएगी
पर तेरी अछाईया जरूर पढी जाऐगी॥
हसरते कुछ नामुमकिन पाने कि रख
तेरी बारी भी आएगी॥

Written By: Nisha Kumari
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC20210141
ध्यास

गंध आवडला फुलाचा म्हणुन फुल मागायचं नसतं....
गंध आवडला फुलाचा म्हणुन
फुल मागायचं नसतं.....
अशावेळी आपल्या मनाला
आपणच आवरायचं असतं....
परक्यापेक्षा आपलीच माणसं
आपल्याला नेहमी दगा देतात....
एकमेकांच्या पाठीवर मग
नजरेआडुन होतात वार.....
भळभळणाऱ्या जखमेतुन
विश्वासघाताच रक्त वाहतं...
छिन्नविछीन्न जखमेला तेव्हा
आपणचं पुसायचं असतं....
अशावेळी आपल्या मनाला
आपणच आवरायचं असतं.....
आपलं सुख पाहण्याचा तसा
प्रत्येकाला अधिकार आहे ......
पण दुसऱ्याला मारुन जगणं
हा कुठला न्याय आहे.....
माणुसं म्हणुन माणसांवर
खरं प्रेम करायचं.....
आपल्यासाठी थोडं
दुसऱ्यासाठी जास्त जगायचं..
जगण्याचं हे ध्येय मनात
आपणच बनवायचं असतं....
अशावेळी आपणच आपल्या
मनाला आवरायचं असतं ....

Written By: Sagar Jitendra Bangar
From: Maharashtra
Regn No: SFOPC20210142
The Druid of the Dark

The night comes as the end of an eventful day,
When the little big world awaits a lulling linger,
With care, breathes life into the weary lifelines,
Preparing them to brave the certain sunrise.

It is the night that soothes the nerves,
It is the night that slows down the pace,
It is the night that shares a serenity,
It is the night that spreads a needful sleep.

But not all souls lull to the night's quell,
Tunes of the dark, sound not the same,
Like reality built on heaps of little truths,
The night, abounds in every life, as a lucid tale.

To all the eyes that dwell on the night sky,
The ears that listen to their beats of silence,
The nose that inhales a cool calming breeze,
The night is much more that an embracing sleep.

Staying awake as the world around recuperates,
With the mind ticking to a task, or a torpid lie,
Awaiting a peace to takeover the tired body,
Here's the mind, that refuses to let go of its grind.

Nights often have souls staring with a hope-void hope,
With eyes that look blankly towards the unnamed puzzle,
Yearning for the bedazzling break of the night,
Awaiting the enlightenment to the unsolved enigma.

Nights often replay the sequences of a harsh past,
Cold to the pain and tears that flow unabashed,
The tears that are hidden from the light of the day,
In solitude they fall, like the dew from a tight bud.

The thing that keeps me up at night,
Is a whole new world, hidden from daylight.
It is a confluence of solitude and reflection,
A time that unfurls unparalleled and vivid.

Seated by the window that wafts the night jasmine,
Hearing the rustle of the trees to the soft dark breeze,
The tune of time from the clock matching the heart's beat,
I stare at the dark sky that hides so many stars are galaxies.

A mirage of fantasies form a reality-checked masquerade,
Making me feel like seated on a rollercoaster blindfolded,
A dance of intense pleasure, anger and melancholy,
The night displays an art, of the unspoken and unseen.

The only thing from the day in the night's trance,
Is that half-eaten pack of chocolate and chips,
The stealthy attempts to keep crunch low,
For the night is just mine, its sounds and sights.

The pen runs on the paper with a hundred breaks,
The words slow and fast, conveying heart's feels.
The poems that I write, an unparalleled music sounds,
Blushing at the mystic musing that I caused to bloom.

Shying with these thoughts that I wish they happen,
I halt at the reality check of the my dreams,
The dreams that I created, in all awareness,
Not the usual of the night, or of the sleep.

Sleep does not befall who dreams and desires,
Who tries to dwell in that ambitious abditory,
Who sleeps and dreams without that sleep,
Wide awake, yet not tired, this, is my world of the night.

Deep into the meditation of the darkness,
The desires change into questions of life,
To brood and ponder, to stop and wonder,
With the company of another wakeful egghead.

This amusing pundit is that friend of mine,
Who resonates with the silent crackers' joy,
We hear and speak each other like drunk high on life,
A trance, a night that pleasures the mind and the soul.

The night for me is much more rest and sleep,
The consciousness of the dew on a night bloom,
The flight like a firefly, without the fear of the frog,
Like the owl, clear and up against the black.

From love to longingness, from fear to miseries,
The tales of the night are often greater than the day,
The thing that keeps me up at night is this joy,
Above judgment and the physical need of sleep.

That is my cryptic tale of the darkness,
A time of patience with all desires,
A time of mystery and adventure,
Unconventional, unedifying and enriching.

The night means and teaches great many things,
The hazy explanation does not justify its essence,
Away from the rules of the night,
Towards an energetic swoon divine.

That’s the thing that keeps me up at night,
Chances to ponder that the day does not define,
The experience is beyond that sleep gives me,
Often holds me in awe, in a peaceful glee.

Written By: R Dharini
From: Telangana
Regn No: SFOPC20210143
Ishq aur Bewafai

तेरे जाने का ग़म और ना आने का ग़म
फिर ज़माने का ग़म, क्या करें?
राह देखे नज़र, रात भर जाग कर
पर तेरी तो ख़बर ना मिले

बहुत आई-गई यादें, मगर इस बार तुम ही आना
इरादे फिर से जाने के नहीं लाना, तुम ही आना

मेरी दहलीज़ से होकर बहारें जब गुज़रती हैं
यहाँ क्या धूप, क्या सावन, हवाएँ भी बरसती हैं

हमें पूछो, ""क्या होता है बिना दिल के जिए जाना""
बहुत आई-गई यादें, मगर इस बार तुम ही आना

कोई तो राह वो होगी जो मेरे घर को आती है
करो पीछा सदाओं का, सुनो क्या कहना चाहती है?

तुम आओगे मुझे मिलने, ख़बर ये भी तुम ही लाना
बहुत आई-गई यादें, मगर इस बार तुम ही आना

Written By: Arun Kumar Yadav
From: Chandigarh
Regn No: SFOPC20210144
देश का निर्माता :अमर प्रेम का एकमात्र सुजाता

देश के निर्माता, एक ऐसा देश बना गए
जो विफल परिस्थितियों में, उठ खड़ा होता है|
बहती नदियों में सागर के पानी का ्श्रोता है||

देश के निर्माता तो मौत में भी, यह सिखला गए,
कि देश के लिए मोह हो तो देश से ही हो|
देश के निर्माता यह बता गए, कि इतिहास इतिहासकारों से नहीं,
ऐतिहासिक कार्यों से बनता बिगड़ता है|
देश उम्मीदवारों से नहीं,
देश की जनता की कुर्बानी से ही वास्तविकता में उभरता है||

देश के निर्माता यह कैसा देश बना गए?
जहा भेदभावो को आभूषण की तरह पहनकर अपना श्रृंगार समझा जाता है|

देश निर्माता यह कैसा देश बना गए?
जहाँ ना औरत आज़ाद है, न गरीब का कोई हमराज है|

देश के निर्माता यह कैसा देश बना गए?
जहां अमीर अत्यधिक खुश, लेकिन दीन हताश है|

देश के निर्माता यह कैसा देश बना गए?
जहां बलात्कार का विस्फोट हमारे सर पर सजा एक ताज है|

देश के निर्माता यह कैसा देश बना गए?
जहां किसी को मिलता है पूरे से भी ज्यादा,
बाकियों की हालत ऐसी कि सबने एक में से ही है आधा सा अधूरा बांटा||

देश के निर्माता तुम ही बताओ यह देश है किसका तुम्हारा या हमारा या उस परमात्मा का?

देश के निर्माता तुम एक बार तो इतिहास के पन्नों से चिल्लाओ, और कह दो आज,
यह देश है उस जवान का जो रातों को चैन से सोता नहीं है
और दिन में है झपकीया खाता||

हे देश के निर्माता!
हे देश के निर्माता!
इतिहास की एक ही है अनोखी गाथा,
कि भारत मां का तू ही है एकलौता सुजाता!!!

Written By: Leeza Sharma
From: Delhi
Regn No: SFOPC20210145
कलम

एक रोज़ मेरी कलम बोल उठी मुझसे ,
तेरी क्या नाराज़गी है मुझसे ?
तेरी कामयाबी में मेरा भी तो योगदान है ,
मुझे घिस - घिसकर ही तो तु बना महान है ।
क्या गलत कृत हुआ मुझसे , जो मुझे युँ फेंका है ,
देख कर भी मुझको , तु क्यों करता अनदेखा है ।
क्या तेरा अब मुझसे मन भर आया है ,
या टेक्नोलॉजी की चका - चौंध ने तुझे भ्रमाया है ?
मैँ बोला ,"" इस कीबोर्ड के ज़माने में तेरा काम नहीं पड़ता ,
तुझसे काम करने का अब मन नहीं करता "" ।
सुनकर मेरी कड़वी बातें उसकी आँखें भर आयीं ,
उसे रोता देख मुझे मेरी गलती समझ आयी ।
मैंने अपनी गलतियों के लिए की क्षमा - याचना ,
कलम उठायी और की यह रचना ।

Written By: कृष्णा राणा
From: उत्तर प्रदेश
Regn No: SFOPC20210146
गुजरे हुवे कल की तलाश

गुजरे हुवे कल की तलाश में आज भी करता हूं
और
किनारे पर बैठे हुवे सभी कश्तियों को अलविदा कहता हूं
दोस्त मेरे पुराने ही अच्छे थे
इसी लिए हररोज ख्वाब देखा करता हूं
बचपन मेे कुछ पैसे मिलते थे
फिर भी चेहरे पर खुशियां थ
ी आज हजारों पैसे कमाता हूं
फिर भी चेहरे पर मायूसी छाई हुई रहती है
बारिश की मौसम मे एक सहारे को ढूंढ रहा हूं
जी जनाब में अनाथ हूं
तभी तो यहां वहां सहारा ढूंढ रहा हूं
जररूत के मुताबिक मुझे आजमाया गया में बेबस था
इसी लिए मेरा मज़ाक बनाया गया
उस चाहत की मेे खोज करता हूं
जिसमे में अपनी मां के जैसा प्यार चाहता हूं
मेरी बात हर किसी को हजम होगी नहीं
इसी लिए हर बात का इलाज भी करना में जानता हूं
गुजरे हुवे कल की तलाश में आज भी करता हूं
और
किनारे पर बैठे हुवे सभी कश्तियों को अलविदा कहता हूं ...!!!

Written By: Ajaj Hala
From: Gujarat
Regn No: SFOPC20210147
A MOLESTED DEAD BODY

He sat numb near her dug- out grave, vacant and arid,
Drops of rain wetting his wrinkled skin,
Seeping into his pores like a burning acid,
His soul was being lacerated with a fiery blade within.

The scene he had witnessed that black day,
The naked corpse of his young daughter,
Who'd been dug out from her grave and raped, thrown a mile away,
Her body fell prey to the lusty deeds of a necrophiliac monster.

He was thrown back twenty years back in time,
When winds sang the good news of her birth, a melodious chime,
Shedding tears of joy he rushed to the hospital where his wife was admitted,
With the first pink cotton frock and sweets to be distributed.

Noise of thunder pulled him back in present, scratching his face, he roared,
Hitting his forehead hard, looking at the skies, he raised a question to his lord,
""Did I ever rant over the daughter you wrote in my fate?""
""Or did I complain about your decision, when you took her back of late?""

""But today, I wish I had no daughter at all, if this is the way she was destined to be tested,""
""Rather than having to see her helpless dead body, toyed with cruelly, fed upon and molested,""
""If you still chose to remain silent, be blind and deaf even today,""
""This Earth goes barren, no girl ever gets a birth on it, I heartily pray.

Written By: Reshma kausar Mohideen
From: Maharashtra
Regn No: SFOPC20210148
जिंदगी

बहुत खूबसूरत है यह जिंदगी।
जिसने इसे समझा,
उसी ने इसे हासिल किया।

खुशी के पीछे का अर्थ,
निराशा के पीछे का सुझाव,
जो यह समझा,
उसी ने जिंदगी का सही अर्थ जाना।

हार को गले लगाते हुए,
जीत के लिए जो लडता जाए,
जमीन पर रहते हुए,
आसमान को जो छू पाए,
वही जिंदगी सफल बनाए।

है जिंदगी मे कड़ी पहेलियां,
है बड़ी बड़ी जिम्मेदारियां,
लेकिन हसता हसता जो जीना सीख पाए,
वही मुकद्दर का राजा कहलाए।

है ऐसी खूबसूरत यह जिंदगी,
समझो तो सहेली,नही तो पहेली!

Written By: Siddhika Vijay Mahajan
From: Maharashtra
Regn No: SFOPC20210149
बेटियों का दर्द

ज़माने के दस्तूर ने किसी को खुद से जुदा कर दिया
माँ को कर दिया बेटी से अलग
तो भाई को बहन से जुदा कर दिया
माँ-बाप ने सींचा बचपन से जिस फूल को
वो अब किसी दूसरे का घर महकाएगा
अपनो से होकर पराया एक नया आशियाँ बसाएगा
बदलते वक़्त में हाल सुनकर दिल दहल जाता है
पूछो उस बेटी से जिसे घर का प्यार नही मिल पाता है
ससुराल की जिम्मेदारियों के बीच भी
उसे अपने मायके का ख्याल आता है
महीनों बाद जाती है मायके सुकून के लिए,
मग़र कुछ बेटियों को ये सुकून भी कहा मिल पाता है
मायके जाकर जब देखती है माहौल अनबन का
भाईयो की मायूसी,माँ-बाप का हाल देख मनबेचैन हो जाता है
दो पल की खुशी, माँ बाप के प्यार के लिए ही तो इंसान मायके जाता है
चाहे लाख सुख हो ससुराल में लेकिन
मायके का प्यार तो हर कोई चाहता है
दिल रो पड़ता है अंदर से जब वो अपनो के प्यार को तरस जाता है

ये सिर्फ अल्फ़ाज़ नही, किसी के दर्द की कहानी है
ये बहुत गहरी बात है जो मेरी कलम की जुबानी है

Written By: Sohil Qureshi
From: Rajasthan
Regn No: SFOPC20210151
बस तु चाहिए

तेरी हर याद को बाद ऐ सबा चाहिए
मेरी साँसों को तेरी इजाज़त चाहिए
धड़कनो को तेरी चाहत चाहिए
कब के मर जाते तेरे इंतज़ार में ,
पर मरने के लिए भी तेरी बद्दुआ चाहिए
काटने के लिए यह ज़िन्दगी, उम्र भर तेरा साथ चाहिए

पर बाज़ दफा कुछ लोग, सिर्फ हमारे दिल में रहते है,
ज़िन्दगी में नहीं
हमारे ख्वाबों में होते है,
पर हकीकत में नहीं
हमारे अल्फ़ाज़ों में, हर ज़िक्र में रहते है ,
पर हमारे सामने नहीं
हमेशा हमारी दुआओं में होते है,
बस किस्मत में नहीं

हो सके तो आजाओ मेरी ज़िन्दगी में उस वक़त की तरह,
जिसका मुझे इंतज़ार है
लेकिन तुम उस वक़्त की तरह हसीं हो, जो सिर्फ ख्वाबों में आता है
और ख्वाब कहा पूरे होते है ?

फिर भी दिल इसी ख्वाइश में हर पल दुआ करता है
क्यूंकि दुआएं किस्मत बदल देती है
और तुम उसी दुआ की तरह हो जो ज़िन्दगी में आकर किस्मत बदल देगी!!

Written By: Purnima
From: Delhi
Regn No: SFOPC20210152
किसी की चाहत मे

किसी की चाहत मे खुद को इस कदर बर्बाद कर रहे है ,
मानो हम रेगिस्तान मे पानी की आस कर रहे है,
पता तो हमे भी है की उनका मिलना हमारे मुकदर मे नहीं ,
फिर भी ना जाने क्यों रब से उन्हीं की फर्याद कर रहे हैं ।
उन्हें पाने की चाहत मे उनकी चाह को चाहने लगे है ,
हम आज कल बिना ही बात मुस्कुराने लगे है ,
बता दु सच के अब झुठ नही कहा जायेगा ,
हम मन ही मन किसी को चाहने लगे है ।।

Written By: Hitvika Sharma
From: Rajasthan
Regn No: SFOPC20210153
मै और तू

मैंने में लिखा
मैने तू लिखा
मै तू लिख के, मैंने हम लिखा
हरदम तक साथ, रहेगा तू खुइएश लिए हमदम लिखा,

तुझे मै लिखा
तुझे मै लिखा, मैंने रब लिखा
मैंने तुझे बनाया लकीर मेरी
मैने तुझको ही, तकदीर लिखा,

मैंने कुछ लिखा, कुछ छोड़ दिया
मैंने कुछ लिखा, कुछ छोड़ दिया हर बात को तुझ से जोड़ दिया,
तेरी जुल्फ बना के पनाह मेरी, मैंने धूप को सिकोड़ दिया,

मैंने मै लिखा
मैंने तू लिखा
मैंने मै लिखा, मैंने तू लिखा
मैं तू लिख के, मैंने हम लिखा
हरदम तक साथ, रहेगा तू खुईएश लिए हमदम लिखा!

Written By: Astha Jain
From: Madhya Pradesh
Regn No: SFOPC20210154
Purpose of Life

Fall in love with your purpose,
Life is not less than a circus.
Billions faces on one stage,
Some have exchanged blows,
Some are still exchanging,
to come on a front page .
Lost themselves in fake crowd,
Beneath their feet , no ground.
But some don't whisper,
Nor make any sound .
Path they are following,
Purpose they found.
No cage , no boundings ,
Only positive vibes in surroundings.

Written By: Shivani Jha
From: Delhi
Regn No: SFOPC20210155
बेटियाँ

मार दिया था, तो कही फेंक दिया था,
उसके अपनों ने ही उसका गला घोंट दिया था,
ईश्वर की उस सुन्दर कृति पर बेरहमी से वार किया था,
वो पुरुष प्रधान समाज उस नन्हीं सी सूरत की जान ले रहा था,
जिस स्त्री ने जीवन दिया वो उसे ही भस्म करने का षड्यंत्र रच रहा था,
उसकी आबरूं के साथ खेलकर उसका ही अपमान कर रहा था,
व्यर्थ नहीं जाएगी वो कोशिश सरकार की,
उन मांं-बाप की जो पढ़ा लिखा रहे हैं अपनी बेटियों को,
अगर पढ़ लिख जाएंगी बेटियाँ हमारी,
न मांगेगा वो समाज दहेज, जिसके खातिर हर रोज़ जलाई जाती है बेटियाँ,
वचनों को निभाने से लेकर,आस्माँ को छूने की ताकत रखती है बेटियाँ,
आज उस पुरुष प्रधान समाज में सबसे आगे है बेटियाँ,
जीवन भर रखना वो बेटा अपने पास,
फिर भी मुश्किल वक्त में साथ खड़ी नज़र आएंगी बेटियाँ,
जिंदगी उसे भी प्यारी है, उसके सपने भी कुछ कहते हैं,
फिर भी अपनों की आग में जलती है बेटियाँ,
अपमान मत करना कभी, सम्मान न कर सको तो,
उस कोमल से दिल का कभी व्यापार मत करना,
वो किसी पर बोझ नहीं,वो सबका बोझ उठाती है,
अपने सारे कर्तव्य निभाती है,
फिर भी वो बेरहम समाज दहेज के कारण बेटियों की जान लेता है,
ना कोई सामान है वो,ना है कोई खिलौना
हर कोई खेल जाए उससे, वो खिलौना नही है बेटियाँ,
उनके चरित्र पर कोई कीचड़ उछाले, तो उसके गले मे फाँसी का फंदा है बेटियाँ,
रहा होगा ये समाज पुरुष प्रधान कभी,
पर आज हर मोड़ पर बेटियों का ही पहरा है,
बेटियाँ है तो जहान है,जीवन में आगे बढ़ने की पहचान है,
भारत का नया सवेरा, बेटियों से गुलजार है ये देश हमारा ।

Written By: Saloni Gagrani
From: Rajasthan
Regn No: SFOPC20210156
If My Dreams Could Scream

Holding fast onto my dreams for a while ,
That are accompanied by a journey of thousand miles.
Losing control of my conscious mind ,
Wondering the secrets that I could ever find .
Thinking hard about what all I believed ,
Would the things be similar if I succeed?

Story of success that failures have seen ,
I could tell the world if my dreams could scream !

Is this a chaos?or it seems to be
Can I find a place where I feel free,
What if my efforts went in vain ,
Will I get a chance to start again?
There are things that some will not understand,
But the chance to be 'me' is only in my hand.

Patience will always find a way to gleam ,
I could tell the world if my dreams could scream!

Written By: Shailja Yadav
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC20210158
मृत्यु पश्चात जीवित प्रेम

मौत मेरी हुई
तो कतरा कतरा तुम क्यूँ मरती हो?
सफ़ेद रंग तो पसन्द ना था तुम्हें कभी
फ़िर आज क्यूँ सिर्फ़ वही रंग ओढ़ती हो?
समाज की बेमतलब की परंपराओं से कोसों दूर
तुम आज भी मुझे लाल रंग में बेहिसाब खूबसूरत लगती हो |

बस एक मर्तबा चंद पलों के लिए
रूह एवं शरीर का साथ चाहता हूँ
तुमसे बेइंतहाँ करना ज़रूरी एक बात चाहता हूँ
आँसुओं से सराबोर जब तुम खुद को मेरी यादों में समाती हो
उस पल मुझे तुम एक बार पुनः राख कर जाती हो |

जीवन की अनिष्चिताओं
और समाज के बेड़ियों के विपरीत
स्वयं में धैर्य एवं शक्ति जागृत करो
खुद के चेहरे पर मुस्कुराहट लाकर
मेरी आत्मा को भी आनंदित करो
कि मृत्यु के पश्चात भी जीवित प्रेम रहता है
ये वो एहसास है जो संपूर्ण जीवन संग चलता है |

Written By: Ayushi Tiwari
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC20210159
Memories

Once upon a time...
You are
Dear to my heart
Never leave me apart
Sun of my day
Moon of my night
Road of my way
Star of my sky
Smile of my face
Light of my rays
Warm of my cold
Soul of my world
But now...
Those memories of you
Bring me a smile
May I be with you
For a little while
I know its hard to dry
Coz it makes me cry
I promise...
You are in my heart
Nothing make us apart.

Written By: S. Pricilla
From: Tamil Nadu
Regn No: SFOPC20210160
वक्त की कीमत

वक्त सबका आता है
कुछ को तौहफे में इज्जत,
तो कुछ को बेज्जत कर जाता है
गुरूर है ये शौहरत का
जो वक्त को नीचा दिखता है
था कभी ये भी बदनसीब,
बड़प्पन है ये वक्त का
जो तुझ पर रेहम कर जाता है
कल जो था तेरा, आज है किसी और का
पल भर का है ये शान-ओ-शौकत,
तेरा यहा सब कुछ होकर भी कुछ नहीं
वक्त ही है बस इक लौती हकीकत
सबर कर .. और कदर कर!
इस वक्त की,
ख़्वाइशें तेरी भी होगी मुक़म्मल
क्या फ़र्क पड़ता है आज होगी या कल
दट कर खड़ा रह बस!
वक़्त को ख़ुदा मान
यही वक़्त लेगा तेरा भी इम्तेहान
और तुझे बस मुस्कुराना होगा मेरी जान!

Written By: Namita Sharma
From: India
Regn No: SFOPC20210161
सोने की चिड़िया

सोने की चिड़िया कहलाता था भारत
इतिहास के पन्नों में खो सा गया वो वक्त
आत्मनिर्भरता था एक मात्र मूल
जीवन था श्रेष्ठ सिद्धांतों के अनुकूल
धोखाधड़ी का न था भय
भारतीय ही था सबका परिचय
खुशहाली थी चारों ओर
अतीत बनकर रह गया वो दौर
अब न है अमन का नाम और निशान
चोरी चकारी का बस रह गया काम
हर घर में है छिपता कालाधन
भ्रष्टाचार ने लालच से भरा सबका मन
आतंकवाद बडता चारों पहर
मौली दंगो मे जला सारा शहर
बेटियाँ सडकों पर न है सुरक्षित
दारू पीकर पति करता मारपीट
इंसानियत जैसे खत्म सी हो गई
सोने की चिड़िया मिट्टी बन गल गई

Written By: Khushi Patidar
From: Madhya Pradesh
Regn No: SFOPC20210162
मंज़िल

यूं ही नहीं मिलती राही को मंज़िल,
एक जुनून दिल में जगाना पड़ता है,
उस महकते फूल को पाने की तलब में,
कांटो भरी राह पर नंगे पाव चलना पड़ता हैं।

मुसीबतें राहों में बिखरी पड़ेगी,
कभी लोहे की जंजीर बन जकड़ेगी,
तप्त बन जगा तेरी उस लहू की आग को,
तेरे हौसले के सामने मुसीबतों की जंजीर भी हार मान पिघलेगी।

अनजानों की बस्ती में तूफान डूबाएगा तेरी कश्ती कों,
इन आंधियों की हवाओं से आगे निकल दिखा,
भर ऐसी ऊंची उड़ान और छू आसमान को,
अपने पंखों के दम पर आसमान को भी धूल चटाना सीखा।

राहों की मुसीबतों के सामने मत हार मुसाफिर,
चलता रह राहों पर, माना राहे थोड़ी सख्त है,
वक्त को वक्त बदलने में वक्त नहीं लगता,
एक दिन तू इस जहां में शिद्दत से चमकेगा तेरे पास अभी भी वक्त है।

Written By: Chaitali Nagorao Ukalle
From: Maharashtra
Regn No: SFOPC20210163
एक सफर हो वादियों का

एक सफर हो वादियों का
उसमे तुम्हारा साथ हो
एक गीत हो
हाथों में एक दूसरे का हाथ हो

जिंदगी में न दुख हो
ना गम की बरसात हो
बस तुम साथ दो
इस से बढ़िया क्या बात हो

रूक कर कही बैठ जाए वादियों में
हाथों में चाय का ग्लास हो
और बस एक दुसरे की आखों में देख
इशारों इशारों में बात हो

सफर हो सुहाना
मौसम बड़ा खुश मिजाज हो
एक सफर हो वादियों का
बस उसमे तुम्हारा साथ हो

Written By: Sumit Sharma
From: Maharashtara
Regn No: SFOPC20210164
पीरियड्स

भले कुछ दिन ही सही , पर खून उसका जो बहता है,
क्या समझेगा हर कोई जनाब की दर्द उसका क्या कहता है,
वो रोती है, चिड़चिड़ा जाती है, परेशान सी हो जाती है इस दौर में,
मज़ाक ना बन जाए इसलिए दिक्कत भी छुपाती है, दुनिया के इस शोर में।।

कुछ दिन उसके गुस्से को भी प्यार से शांत कराकर तो देखो,
उसके आगे से लड़ने पर भी उसे मनाकर तो देखो,
दुनिया से दर्द छुपाकर भी तुझसे इसका इज़हार वो करलेती है,
क्योंकि उसे भरोसा है तुझपर ओर तुझे अपना यार वो समझलेती है।।

Written By: Shreyansh Jain
From: Madhya Pradesh
Regn No: SFOPC20210165
Ghazal

Ab ke mazdoor jo gaon se shahar jaayenge
Shahar ke halaat jo dekhenge to dar jaayenge,
Hum hain gham e rozgaar ke maare hue farhaad
Jo khwahishon ki nahar banate hue mar jaayenge,
Bazar ki Raunaqon se bhatke hue faqeer
Laut ke tere dar pe na pahunche to kidhar jaayenge,
Tumhara irada abhi aur hain chotein deni
Mujhe hai khauf ki ye log nikhar jaayenge,
Tumne poocha to batata hun zakhmon ka sabab
Ye waqt ke zakhm hain waqt ke sath guzar jaayenge

Written By: Mohd Shuja Akhtar
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC20210166
Walk Together This Way

I finally saw you
Like a dream come true
Was all alone by myself
But now I am with you…

I was so astonished
Couldn't believe it true
When you held my hand
A beat skipped, it's you…

Those teary eyes filled
It's time to finally release
Long waited this day
Lost love found its way…

Lately I realised
My instincts blow away
Don't want it replayed
Just come we'll walk this way ...

Written By: Freda F. Noronha
From: Goa
Regn No: SFOPC20210167
जागो नारी

जागो नारी जागो नारी
बचाओ अपने सम्मान को
समय आ गया उठाओ अस्त्र
बचाओ अपने अभिमान को
जिसने तुम्हारे सम्मान को कुचला
तुम रौंदो उस सैतान को
तुम्मे समाई है काली दुर्गा
बताओ इस संसार को
जगाकर अपना आत्मबल
खतम करो इस अत्याचार को
जागो नारी जागो नारी
बचाओ अपने सम्मान को

Written By: Adarsh Mishra
From: West Bengal
Regn No: SFOPC20210170
Diplomatic Mentality

Alfaz ke jhoote Bandhan mai,
aagaz ke ghere Pardo mai,
har shaks mohabbat krta Hai,
halake mohabbat kuch bhi nhi,
sab jhoote rishte nibhate Hai,
sab dil rkhne ki baate Hai,
Kab kon kisika hota Hai???
Sab asli Roop chupate Hai,
ehsaas se khaali log yha ,,
lafzon ke teer chlate Hai,
ek baar nazar mai aakr weh,
phir saari umr rulate Hai,
sab rasmi-rasmi baate Hai,
har shaks khudi ki masti mai,,,
bas apni khatir Jeeta Hai..

Written By: Umaima bilal
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC20210171
बोझ

सागर की गहराई से भी अधिक
सहनशीलता उसके अंदर है....
हुनर पाया है उसने एक ऐसा,
पलकों पर भी रखती वो समंदर है....
देखों सारी जिम्मेदारियों को उसने अपने जुडें में बांधा है....
पैरों में पायल है, मगर घुघरूओं को बंधनों ने जकड़ा है....
रखती है पाई - पाई का हिसाब, मगर रहता
खुद की उम्र का भी नहीं है जिसें होश....
नाम जिसका रखा है दुनिया ने बोझ.....
नाम जिसका रखा है दुनिया ने बोझ.....

कभी किसी की बेटी है....
तो कभी किसी की पत्नी है....
कभी किसी की माँ है....
तो कभी किसी की सास है....
अनेक है, अलौकिक है, अनंत है उसके रूप....
सब को आँचल की छाया में बिठाकर, खुद सहती है धूप....
समझ लेती है सभी को अपने ऐसा,
एक यही भी है उसमें दोष....
नाम जिसका रखा है दुनिया ने बोझ.....
नाम जिसका रखा है दुनिया ने बोझ.....

कतल कर देती है.... अपनी सारी इच्छाओं का,
लग जाती है अपनी सन्तान की ख्वाहिशें पूरी करने में....
कह नहीं पाती अपने मन की बात कभी ओरों के सामने,
अंदर ही अंदर घूट जाती है,
छोड़ती नहीं कोई कमी सहने में....
आगे अंजाम इसका क्या होगा, पता होकर भी
छुपाकर रखा है ओर एक बोझ अपनी कौख में....
जमाने से अलग रखती है वो अपनी सोच....
नाम जिसका रखा है दुनिया ने बोझ.....
नाम जिसका रखा है दुनिया ने बोझ.....

रचियता नें बड़ी अजीब सी रचीं है प्रीत....
कहा होती है अब बहू को बेटी बनाने की रीत....
हार कर खुद से, जो परिवार का मन लेती है जीत....
ज्यादा कुछ नहीं, चाहें थोड़ा सम्मान बस, ऐसा हो मनमीत....
एक घर ने नाम रखा है, ये तो परायी है....
तो दूजा घर कहता है ये तो परायें घर से आयीं है....
खामोश नदियां सी बह रही है....
अपने मन को हमेशा रखती है साफ....
धौना होतो धौ लो तुम अपने सारे पाप....
जब प्रलय करेगीं, तो आ जायेगी समुद्र में मौज....
नाम जिसका रखा है दुनिया ने बोझ.....
नाम जिसका रखा है दुनिया ने बोझ.....

Written By: आरती सिरसाट
From: मध्यप्रदेश
Regn No: SFOPC20210172
थे कभी तन्हा

थे कभी तन्हा आज है फिर इक दफा
तो क्या बड़ी बात है
ऊपर वाले ने ही तो लिखी है किस्मत
आँशुओ से जब मेरी
नम हो गई जो आँखे आज फिर इक दफा
तो क्या बड़ी बात है
आदत है हमे हर हाल में खुश रहने की
गर वो मुस्कान हो झूठी तो क्या बड़ी बात है
बस इक अरदास मान ले मेरे रब
मुस्कुराता रहे वो बस हर दम
चंद खुशियाँ गलती से लिख दी तूने
तक़दीर में कभी जो मेरी
नाम कर देना उसे भी उसके और छोड़ दे
मुझे अब मेरे हाल पर
थे कभी जिन्दा मर रहे है अब तिल तिल कर
तो क्या बड़ी बात है

Written By: Arun Pratap Singh 'Aarya'
From: Madhya Pradesh
Regn No: SFOPC20210173
फौजी

मैं भारत का फौजी हूँ ये ही मेरी पहचान हैं
लिए तिरंगा चलता हूँ पाया हमने वरदान हैं
कारगिल में हम खड़े हैं हम भी किसी के बेटे हैं
अपनी प्रियसी के यादों को दिल में हम भी समेटे हैं
भारती की आरती में लुटाया हमनें जान हैं
मैं भारत का फौजी हूँ ये ही मेरी पहचानहैं।
जैसलमेर के गर्मी में भी कदम कभी न रुकते हैं
शीष भले कट जाए पर शीष कभी न झुकते हैं
सियाचिन में लहरा के तिरंगा हुए हम कुर्बान हैं
मैं भारत का फौजी हूँ ये ही मेरी पहचान है
गात पर आधात सह कर वक्ष तान कर खड़े हैं जी
अपनी अंतिम सासों तक दुश्मन से हम लड़े हैं जी
दुश्मन से जीते हैं हम दिल्ली ने पीठ पे दिए निशान हैं...
लिए तिरंगा चलता हूँ पाया हमने वरदान हैं

Written By: शाश्वत आयुष
From: Bihar
Regn No: SFOPC20210174
Tiranga

ना हवा से न तूफ़ान से लहराता हूँ मैं ,
वो सैनिक जो तोड़ गया दम अपना मेरी खातिर ,
उसकी आखिरी सांस से लहराता हूँ मैं |

केवल पताका नहीं ,
भारत का स्वाभिमान हूँ मैं |
केवल झण्डा नहीं,
देशवासियों का अभिमान हूँ मैं |

बस एक चिंता से ग्रस्त हूँ मैं,
आजकल लहराता कम
और शरीर से लिपटता ज्यादा हूँ मैं ,
शहीदों के साथ ज़मीन के अंदर सोता ज्यादा हूँ मैं |

मगर उन्ही की खातिर आज भी शान से लहराता हूँ मैं
केवल पताका नहीं तिरंगा कहलाता हूँ मैं|

Written By: Ishika Singh
From: Himachal Pradesh
Regn No: SFOPC20210175
Destine Your Density

We are all destined to have the best.
Choosing the choices is yours choice.
Choices make us or break us......
They are your choices; they are your selection
You and your maker or the breaker .you make it or break it- the choices is yours
Having it or loosing is destined by you....
You are the creator of you and no else is responsible for you.....
Work towards allowing your choice to make your destiny .....
We are the ones. who are responsible for our destiny.....
We are the writers- we can edit or delete whatever.
We wish- we are the ones who can make your lives colorful and beautiful.....
The choices are ours.....

Written By: Prachii Pathak
From: Uttarakhand
Regn No: SFOPC20210176
मजदूर क्यों मजबूर

पूछा एक मां से कि क्यों इन नन्हे पैरों को तकलीफ दे रहे हो,
क्यों इन नन्हे हाथों को काम की बेड़ियों में बांध रहे हो,
वह कहती मजबूरी है साहब,
नहीं रहे वह जो इस काम के हकदार थे,
कई दिलासे दिए प्रशासन ने की सहायता करेंगे हमारी,
मुश्किलें हमारी हल कर देंगे सारी,
मगर नहीं था कोई चुनाव थी देश बंदी,
इसलिए वह मुकर गए अपनी बातों से इतनी जल्दी,
कहीं मील चले वह रोज सहायता की उम्मीद लेकर,
कई फरिश्ते मिले उन्हें और कई चले गए उन्हें लूट कर,
मंजिल कहां तक थी मालूम नहीं था बस चलते जाना था,
आखिर उन्हें अपना परिवार बचाना था,
कई पहुंच गए अपने आशियाने,
और कई रह गए बहुत दूर यूं ही असहाय और मजबूर।

Written By: Tushar Tembhurne
From: Delhi
Regn No: SFOPC20210177
राखी

एक बात कहूँ प्यारी बहना
तुम आने की चिंता न करना
शब्दों के प्यारे धागे से
राखी का त्योहार मना लेना

आज सूना आँगन तेरे बिना
और कलाई राखी के बिना
बहना तू आहत नही होना
सौ नहीं हजार बार आना

इतने दिन में इस बार हुआ
जो तेरे बिन त्योहार हुआ
ओ प्यारी बहना क्या बोलूं
जल से जीवन बर्बाद हुआ

Written By: Krishna Kumar
From: Bihar
Regn No: SFOPC20210178
मेरे लिए बहुत खास हो तुम

कैसे बताऊ मेरे लिए कितने खास हो तुम बस यु समझ लो,
इस परेशान भरी जिंदगी में मुस्कुराने कि वजह हो तुम.
धूप कि छांव हो तुम,
शाम का खयाल हो तुम
मेरे रात के आसमान में चमकते चाँद हो तुम .
मेरे लिए बहुत खास हो तुम.
दिल कि धड़कन हो तुम, साँसों की सरगम हो तुम
आँखों का सुकून हो तुम, मेरे चमकते चेहरे का नूर हो तुम
मेरे लिए बहुत खास हो तुम.
मेरी हर शब्द और शायरी हो तुम, मेरी कविता के पीछे का राज हो तुम
इस जिंदगी का प्यार उपहार हो तुम
मेरे लिए बहुत खास हो तुम.
एक खूबसूरत सा ख्वाब हो तुम, मेरे लिए बहुत खास हो तुम.

Written By: Shreya Singh
From: Gujarat
Regn No: SFOPC20210179
कौन हूँ मैं

रात की चांदनी हूँ मैं और बिस्तर की सिलवट भी
हल्का सा उजाला हूँ और बीच रात की करवट भी।
वस्ल में भी हूँ मैं और हिज्र की हर शाम में भी
हर रूप में हूँ और हर दाम में भी ।
अपमान में जली ज्वाला हूँ मैं
और वही पुराना प्याला भी
आग हूँ नशा हूँ और वही हसीन मधुशाला भी ।
खंडहर हूँ मैं और पक्का मकान भी
सब्र की मूरत हूँ मैं और बेसबर की दुकान भी ।
गजरे की महक हूँ मैं और घुँघरूओ की आवाज भी
हिम्मत हूँ मैं और हर युद्ध की आगाज भी।
दिल नही मुझे सम्मान जीतना है
अपना सजाया हर अरमान सींचना है।
द्रौपदी नही हूँ मैं और ना कोई अबला नारी हूँ
अपनी आजादी का लिबास हूँ ना कोई पिंजरे का प्राणी हूँ।
अपनी आँखो का गुरूर भी हूँ जिस्मो के बाजार में दिलों से खेलती हूर भी हूँ।
मौलवी पंडित सब मेरे मेहमान है
मेरी नज़रों में ना कोई राम ना रहमान है।
जिसके पास मैं रहू उसको अहंकार हो जाए
जो दो शब्द लिख दे कोई मुझपर तो अलंकार हो जाए।
घाव भरा एक सुंदर बदन हूँ मैं
हजारो अनकही बातों का सदन हूँ मैं।
सबकी छिपी हवस का एकमात्र बुलंद हर्फ हूँ मैं
यशस्व को पाने के लिए फिजाओं से लड़ती "यशस्वी" का इकलौता जर्फ हूँ मैं।

Written By: Yashaswi Pathak
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC20210181
ग़ज़ल-ए-इश्क़

मेरे हर वक़्त का एक हसीन ख्वाब हो तुम,
बंद आँखों से भी यूँ बेनक़ाब हो तुम,
मेरी रूह को इस क़दर अपना बना चुके हो,
अब मेरे दिल और ज़ेहन में बेहिसाब हो तुम।

जिसके लिए मैं सदियों जाग लूँ,
मेरे हर शाम की वो खूबसूरत रात हो तुम,
बिना थके दिन भर दोहराऊं जिसे,
मेरे लिए वो प्यारी सी बात हो तुम।

जिसके तन पर लगते ही मन में सुकून बेह जाए,
गर्मी के दिनों की वो ज़रूरी बरसात हो तुम,
बिन कहे जो सिर्फ महसूस हो मुझे,
मेरे चैन भरे मन के वो जज़्बात हो तुम।

केह कर भी जो होंठो से केह न पाऊं मैं,
मेरी आँखों से बयान वो हर अल्फ़ाज़ हो तुम,
दुनिया से छुपाकर खुद में समेट लूं,
हमनशीं ही नहीं मेरे हमराज़ हो तुम।

हर शब्द जो मेरी ज़ुबान से निकलें,
मेरे हर लफ्ज़ के हकदार हो तुम,
मेरी हर ग़ज़ल जिसको समर्पित है,
मेरी जान-ए-महफ़िल के वो क़िरदार हो तुम।

Written By: Ayushi Gupta
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC20210182
Mom - The Super Woman

As the sun rise ,
The cockrel crows,
Like a loudy horn
Mother moves the curtain bar,
To wake her tiny dots
Her dots wakes up
With a bright smile
Like the sun shine
For her their grin
Seizes her day
With joy and pleasure
Her dots are only her life
And for them,
Their MOM is their Super Woman
Super Woman of super powers.

Written By: Amiee N.K
From:
Regn No: SFOPC20210183
माँ

जब चोट हमें लगे तो आंखें उसकी भर जाती है,
जब आगे हम बढे तो हंसी उसके चेहरे पर छा जाती है.....

हर घड़ी वह हमारे साथ रहना चाहती है;
वह मां है तेरी बस तेरे पास रहना चाहती है।

हमको एक इंसान माँ ही तो बनाती है,
इस संसार में लाकर यह संसार हमें माँ ही तो दिखाती है....

बाकी सभी तो अपना कह कर दूर हो जाते हैं बस एक माँ ही तो है जो हमें गले लगाती है:

और कुछ नहीं बस वह तेरा साथ ही तो चाहती है,
बुढ़ापे में तू बन जा उनका सहारा
बस वो यह बात ही तो चाहती है।

कभी मौका मिले माँ की सेवा करने का
तो पीछे मत हटना मेरे दोस्त,
क्योंकि नसीब वालों को ही यह नसीब होता है...

और मां की कीमत उनसे पूछ लेना,
जिनको माँ का साया तक नसीब नहीं होता है।

मैंने वक्त को गुजरते देखा है....
बहुतों को बदलते देखा है
और बहुतों की जिंदगी में,
मां की कमी को खलते देखा है।

Written By: Jateen Charan
From: Rajasthan
Regn No: SFOPC20210184
मैं जब चला जाऊँगा

मैं जब चला जाऊँगा,
एक खालीपन छोड़ जाऊँगा,
किसी को कमी खलेगी,
किसी की आँखे नम कर जाऊँगा,

कोई बातें याद करेगा मेरी,
किसी को आवाज़ सुनाई देगी,
चार यार अफ़सोस करेंगे,
कुछ दिन उदास रहेंगे,

माँ रोएगी बहुत,
पापा भी कमज़ोर पड़ जाएंगे,
भाई बिखर जाएगा,
रिश्तेदार भी आंसू बहाएंगे,

जाने का मन नहीं है,
पर अब मन लगता ही नहीं है,
रोज़ रोज़ परेशान होने से,
एक बार चले जाना सही है,

हिम्मत टूट रही है,
वजह कमज़ोर कर रही है,
मैं कितना कुछ कर सकता हूँ,
ये उम्मींद टूट रही है,

छुप कर रोता हूँ,
किसी से क्या ही कहूँगा,
डरता फिरता हूँ,
कहीं सब तो नहीं खो दूँगा,

समझा नहीं सकता कुछ,
इसीलिए चुप रहना सीख लिया,
कोई रुकता नहीं मेरे पास,
इसीलिए मैंने चलना सीख लिया,

मिलूंगा सबसे फ़िर कभी,
तब अच्छे से सब बताऊँगा,
मैं जो आज नहीं कह पाया,
तब तसल्ली से सुनाऊँगा,

माफ़ कर देना मुझे,
ऐसे अचानक जा रहा हूँ,
ऐतबार से पढ़ना सब,
मैं यहाँ जो भी बता रहा हूँ,

बहुत कुछ करना था,
पर अब मन भर गया है,
ख्वाब अधूरे रह गए,
सब पीछे छूट गया है,

फ़िर कभी मिलेंगे,
बैठेंगे फ़ुरसत से,
मज़ाक भी होगा,
खाएंगे पियेंगे जी भर के,

जिसको अपना माना,
उससे प्यार भी निभाया है,
बदले में कुछ नहीं,
बस प्यार ही चाहा है,

ध्यान रखना अपना,
अब मैं तो नहीं रख पाऊँगा,
शिकवा शिकायत जाने देना,
माफ़ी मांगने से ज़्यादा कुछ नहीं कर पाऊँगा,

जितना लगा कह दिया,
और नहीं कह पाऊँगा,
मैं जब चला जाऊँगा,
एक खालीपन छोड़ जाऊँगा.....

Written By: Jitin Chopra
From: Haryana
Regn No: SFOPC20210185
तुम्हारी तारीफ

कभी यादों में आते हो तो कभी ख्वाबों में आते हो
ऐसा क्या किया है हमने
क्यों इतना इस दिल को तड़पाते हो

कभी दिल में आते हो तो कभी दिल से जाते हो
फिर भी इस दिल को पसंद बहुत आते हो
कुछ तो बात है तुममें
यूं ही नहीं तुम हर वक्त मुझ में समा जाते हो

तुम्हारी मुस्कुराहट में वो बात है
जो बनाती तुम्हे बहुत खास है
अल्फाज़ भी कम है तुम्हारे जिक्र के लिए
इतनी खास हो तुम मेरे लिए

आपकी मासूमियत पर तो छिड़कते है हम जान
हमारा दिल आपके नाम कुर्बान
आंखे तो माशाअल्लाह क्या चीज़ है
यही तो हमारे लिए सबसे अजीज है

जब जब भी तुम्हे देखा है ऐसा लगता है मुझे
कितनी फुरसत से बनाया होगा खुदा ने तुझे
एक बात कहेंगे हम बार बार
आप पर हमारी जान निसार

Written By: Nikunj Gorani
From: Madhya Pradesh
Regn No: SFOPC20210186
कली

रौशन फ़ानूस जड़ी गलियों की सैर कराती हूँ तुमको ,
कुचली मुरझाई कलियों की मै व्यथा सुनाती हूँ तुमको ,
खिलती हर सुबह वह सूर्यमुखी सी,शाम ढले वो मुरझा जाती है,
सीने मे दबा कर दर्द सभी,आँसू पीकर मुस्काती है।

मानव का चोला ओढ़े जो शैतान दिखाती हूँ तुमको ,
उजियारी गलियों के काले सब राज़ बताती हूँ तुमको,
पानी न बचा जहाँ आँखों में मानवता तार-तार हुई ,
जिस्मों की तपती मण्डी के गालीचें दिखाती हूँ तुमको ।

मजबूरी की जंजीरों में जकड़ी जब नन्ही कली यहाँ आया थी ,
पिता के उम्र के साहब ने जब ऊँची बोली लगाई थी ,
आसमां भी रोया था तब और ईश्वर भी शर्मिन्दा था ,
वासना से अंधा हो चुका इंसान नहीं वो दरिंदा था ।

क्या तनिक भी हदय कचोटा न , क्या लाज भी न तुम्हे आई थी,
क्या उसको देख के घर मे बैठी बेटी की सुधि न आयी थी ,
तुम्हारे कृत्य को देख के तो महा पाप भी हाँ शर्मिन्दा थे ,
बस पूछतीं हूँ एक प्रश्न यही उस वक्त भी क्या तुम जिन्दा थे ।।

Written By: Deepti Pandey
From: Madhya pradesh
Regn No: SFOPC20210188
युद्ध कोई समाधान नही

युद्ध कोई समाधान नही बल्किअंत है,
मानवता की शुरुआत का,
शांति स्थापित करने और
मानवता को बचाने के लिए बनाए गए
नियमों की धज्जियां उड़ाने का
इतिहास साक्षी है,आजतक
शांति स्थापित करने के लिए
लड़े गए युद्धों का परिणाम
सदैव रहा है,मुर्दों का टिला
अपनी जीत का ध्वज़ रोहण
करने के लिए पार करना पड़ता है
मर्दों से भरा हुआ लबालब
एक लंबा मार्ग। वही मार्ग
जहाँ शैय्या पर लेटे
हुए लोग बन चुके है
शांति के प्रतीक।

Written By: भूपेंद्र रावत
From: Delhi
Regn No: SFOPC20210189
बारिश की बूंदे

बारिश की रिमझिम बूंदे
लाती है मन में शीतलता
इन्हीं बूंदों से खेत है सींचते
आती किसानों के मन में प्रसन्नता
वर्ष के चार महीने होता इनका राज
बारिश से रुकते इन दिनों काम काज
वर्षा का सटीक प्रयोग करना होगा आज
तभी बचेगा भावी समाज

Written By: Mohit Das
From: West Bengal
Regn No: SFOPC20210190
अमर जवान

सरहद पर खडे जवान हर एक माँ के दिल कि जान होते हैं.....
लडकीया जैसी चन्द दिन मायके कि
मेहमान और पिता का अभिमान होती हैं.....
पूछो उस सैनिक से वर्दी क्या हैं न घर
न परिवार वर्दी तो उनकी शान होती हैं.....
हसकर झेली गोली जिसने ऐलान कर देते हैं
रखो खयाल इस धरती माँ का दोस्तो अब हम चलते हैं..
तारीफ करू ️इस वर्दी कि तो रात बित जाती हैं.....
बोलते बोलते पता न चलता कब सुबह हो जाती हैं.
मोहोब्बत तो पूछो न उनकी कहते मिल्के तो सबकी होती हैं ऐसी मोहोब्बत करते हैं ये
जो दूर रहकर भी बढती हैं.....
तन मन धन सब अर्पित कर
सच्चा प्यार करते हैं
पुछ लिया गर कभी कौन हैं वो तो कहते हम
धरती माँ पे मरते हैं.....
खयाल रखणा अपना कहते हैं
तो जवाब मिलता हम न किसीसे डरते हैं .....
जब न आये पैगाम हमारा
तो समझ लेना तिरंगे में लपेटकर हर कोई नहीं जाता
हमें अमर जवान कहते हैं....

Written By: Gaikar Mansi Mohandas
From: Maharashtra
Regn No: SFOPC20210191
क्या एक लड़की है सिर्फ इसीलिए

क्या एक लड़की है बस इसीलिए
उसे कम बोलने के लिए कहा जाता है,
उसे सब कुछ खामोश होकर
सहने के लिए कहा जाता है...
सोचा था समाज में मिलेगा उसे
पुरूषों की भांति ही सम्मान,
पर खबर नहीं थी छाया रहेगा
उसके जीवन में गहन अंधकार...
क्या एक लड़की है बस इसीलिए
जब चाहा उसने अपने
जीवन के सपनों को साकार,
उसके ख्वाबों को तोड़कर
कांच के टुकड़े की तरह
दे दिया गया उसे आकार...
किताबों की जगह
उसके हाथों में दे दिया गया
गृहस्थी का भार
जब गृहस्थ जीवन में रखा पहला कदम
समाज ने गुणों की अपेक्षा
देखा पहले उसके आभूषणों की चमक,
उस पर चिल्लाया गया उसे मारा गया
दहेज के खातिर उसे जलाया गया...
अभी भी वक्त है पहचान लो
कुदरत की यह अनमोल रचना,
वरना बिगड़ जायेगी एक दिन
इस सृष्टि की संरचना...
तरस जाओगे एक मां,बेटी,
बहन,प्रेयसी के प्रेम को ,
और एक दिन खुद ही कोसोगे
अपने खुद के स्वरूप को...।।

Written By: Payal Jaiswal
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC20210193
Baarish Mai aur Tum

Baarish to aa gai ,
tum kab aaoge,
Is pyar ke rishtey ko kab tak nibhaoge
Y ishq hai janab, do pal ka waqt nhi
Jo aaj hai to kal nhi
Beshaq ruthe ho mujhse,maan jao,
Baarish aa gai tum bhi aa jao
Ye baarishein bhut tadpati hai,
Pal do pal tumhari yaad dilati hai...

Tumne mere is andhere se dil mai ek diya jalaya hai,
Jaise ek bhatkate banjare ko ghar dilaya hai
Khushiya to nhi gam to lakh the,
Tumne sabko ek ek karke mitaya hai,
Jaise ek andhere kamre mai diya jalaya hai
Baariah to aa gae tum kab aaoge,
Is pyar ke rishtey ko kab tak nibhaoge...

Written By: Prakriti Kushwaha
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC20210194
Morning Outing and It's Visualisation

The rest hour has gone to its den,
The rattling fairies have hidden in timechain,
The wind has now started its fan,
The dawn has made me tame.

I left my comfort cousin,
I stepped a little and did some household things,
And set my heart to feel the morning blessings,
The jugglery and Nature beauty and her coloured dressings.

The chirpings , barking, humming , vehicles roaring,
All caught my heart and soul during morn roaming,
The morning odor and ringing of temple bell,
A flock of ladies be going with their tell.

Crossing the lanes,
covering the silent way,
I entered the place,
the ladder of the hundred of boys and their ray,
Their passion for serving the nation,
It don't make them sleep soundly due to tention,

There was clamorous situation,
No one was giving none his attention,
Cricket, wrestling, running , yoga,
exercise were being taken,
The mind was released and refreshed from the burden.

Written By: Punita Kumari
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC20210195
चिड़ियों ने चहचहाना छोड़ा

चिड़ियों ने चहचहाना छोड़ा,
मुर्गा ने सुबह जगाना छोड़ा,
सोने बाघो का है रोना,
परिंदों ने अब आना छोड़ा।।

कहां है बसेरा,
कहां है आशियाना,
नहीं है इनका कहीं ठिकाना,
अपने खातिर हमने इनको,
मजबूर किया है छोड़ के जाना।।

बिना मयूर के सावन फिखा,
बिना कोयल के आम ना मीठा,
टे-टे ची-ची की आवाजें सुनकर,
हमने बोलना सीखा।।

सुंदर और रंग-बिरंगे तुम हो,
हो हरे और पीले भी तुम हो,
है वरीशा का नरम आंखों से कहना,
अपने भी तुम हो और दोस्त भी तुम हो।।

Written By: Varisha Mirza
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC20210196
मां भारती

कलम चल रही बारी बारी ,लिखती तेरा जयघोष।
मातृभूमि के चरणो में शीष नवा मिलता परितोष।
जो अटल शांति की परिचायक मै उस भूमि का वासी हूं।
जहां अखंडित एकता जीवित मैं.उस भूमि का वासी हूं ।

भारत जिसके नाम स्वरूप मिलता अनुराग।
द्वेष, बैर सब त्याग.सम्मिलित है प्रेम का मधुर राग।
जो जननी है वीर सपूतों की मैं उस भूमि का वासी हूं।
जो बलिदानों की अमर साक्षी मैं उस भूमि का वासी हूं।

भारत जिसके एक भाव मे ,बसते कितने रूप हजार।
दिये विश्व को गौरव दीपक , होते जिनके उच्च विचार।
भारी विपदा में जो न डोली मैं उस भूमि का वासी हूं।
जिस भूमि में लाखों बोली मैं उस भूमि का वासी हूं।

अर्जुन का जिसमें विजय रथ , गीता का है सार बसा।
यही भूमि है वीर राणा की , भीष्म का इसमे मान बसा ।
दानवीर का दान यही पे , ,द्रौपदी का सम्मान बसा।
धर्म शांति की ज्योति यही पे, मानव का कल्याण बसा।

शस्त्र-शास्त्र की जननी माता , तथागत की भूमि यही
महावीर की सम्यक दृष्टि का होकर जाता मार्ग यही
यही भूमि आचार्यों की , जो निर्माण-प्रलय साधते हैं
यही भूमि चरक-श्रुश्रुत की ,जो असाध्य रोग साध्य बनाते हैं।

है भूमि यही जिसके गर्भ में हर धर्मों का आदर है
है भूमि यही जहां राष्ट्रप्रेम का चिरस्थायी सागर है।
अक्क्षुन्न है मान इसी का ,बैरी जिसे मिथ्या कह जाते हैं
राष्टगौरव की इसी वेदी पर कई सर्वस्व लुटा कर जाते हैं।

है राष्ट्र यही जहां कृषकों के उपनामों में जय का सम्बोधन होता है।
है राष्ट्र यही जहां हर नारी में एक बालक देवी का रूप संजोता है ।
यह भूमि है पावन कृत्यों की , हे नवीन राष्ट्रजन तू दुष्कृत्य न कर ।
कालसर्पिणी कुंठित होगी, स्वयं का मार्ग अवरुद्ध न कर

हर पंक्तियाँ इतना कहती कि भारत सदैव महान रहे।
भारत जभी महान रहे जब भारतीय भी महान रहे।।
धर्म प्रेम सद्भाव की गंगा जमुना हरदम बहती हो।
रग रग मे बसता देशप्रेम ऐसी उर गति कहती हो

Written By: Ashkrit Tiwari
From: Madhya Pradesh
Regn No: SFOPC20210197
आखिरी मुलाकात

अच्छा सुनो,
जाते जाते खुद से इक एहसान कराते जावो ना
इस आखिरी मुलाकात को मेरी शरीक ए हयात बनाते जावो ना
आखीरी बार मुझे जी भर के देख लेने दीजिए मेरी मोहब्बत को
अपना नक्श और अक्स मेरे मन, मेरी रूह में बिठाते जावो ना
तुम्हारी जुल्फों की तलवार से घायल हो औंधे मुंह जहां गिरा हुं
जाते जाते मुझे उन बदनामीयो की दहलीज से उठाते जावो ना
माफ कर दूंगा में तुम्हारे हर गुनाह हर जुल्म को भी हस कर ही
बस तुम अपना वजूद मेरे वजूद में सदा को ही गवाते जावो ना
बस थोड़ी दूर जाते ही गुम हो जावोगे किसी चौराहे पर तुम भी
अपनी मजबूरी धीरे से , मेरे कानो में खुद ही बताते जावो ना
अब रोना तो है ही मुझे तुम्हे जाने के बाद उम्र भर तन्हाइयों में
तो क्यूं ना जाते जाते पहली बार तुम ही मुझे रुलाते जावो ना
मुड़ कर भी नहीं देखेगी मेरी बदनसीबी भी मुझे जिंदगी भर को
एक करम दो मुझ पर, तुम बस इसे एक बार बुलाते जावो ना
मोहब्बत के इस फूल को नाजुक से कदमों के नीचे कुचल के
साहिब पर भी एहसानो का बोझ आखिरी बार जमाते जावो ना

Written By: Sahib Khan
From: Rajasthan
Regn No: SFOPC20210198
Dream House

Let's live in a house
across the river that
ran away from paradise
rather than living in
a grey area between
rational opinions and
persecution without
another choice.

Let's live in a house
across the river that
ran away from paradise
where moral lessons of
childhood are not
left behind in adulthood,
where compassion and
empathy are in vogue
rather than humans who
are too good to be true.

Let's live in a house
across the river that
ran away from paradise
where people encourage
and uplift the spirits
of each other rather than
mentally tormenting,
harassing, or pushing them
towards frustration,
depression, or self-doubt.

Let's live in a house
across the river that
ran away from paradise
where modern-day humor
doesn't revolve around
insensitive jokes based on
religions, certain communities,
victims, and people of color.

Written By: Apeksha Patil
From: Madhya Pradesh
Regn No: SFOPC20210199
My Dad My superhero

O My Dear precious Adored father!
O My Dear Eternal Love!
Only you are my orbs colour from white to silver
Only you are my profound pain healer
O My Dear precious Adored father!
O My Dear Eternal Love!
Relentless love of yours for me
Ardourly sets my tired soul free
O My Dear precious Adored father!
O My Dear Eternal Love!
Ever smiling face of yours
Unruffle back all my fears
O My Dear precious Adored father!
O My Dear Eternal Love!
All I want is to drape around your arms
All I want is to desorb away your frowns
O My Dear precious Adored father!
O My Dear Eternal Love!
Thank you Dad for being an eventual soul healer
Thank you Dad for being an ultimate epitome of concealer.

Written By: Tahoor Hamid
From: Kashmir
Regn No: SFOPC20210200
इस क़ाबिल नहीं तुम

इस क़ाबिल नहीं तुम कि,
तक़ल्लूम की ख़्वाहिशात हो,
सियासत में जज़्बात का शग़्ल ना करो|

हुकमरानों से यूँ इल्तिजा है मेरी,
अब आवाम का यूँ ज़ियां ना करो,
अजल तो एक दिन सबके नसीब में हैं,
कत्लेआम हमारा सरेआम ना करो|

तुम्हारे गुनाहों का जो करेंगे कभी पर्दाफाश,
अर्श हिल उठेगा- ज़मीं कांप जाएगी,
दिखेंगे तुम्हारे एब शफ्फा़क |

बे-आ़बरू हो जाएगी तुम्हारी इज्ज़त,
हमें इस तरह मजबूर ना करो|

मुहब्बत के हिज्जे जो कर डाले हैं तुमने मुल्क़ मे यक़ीनन,
पर इससे हम पर तुम फतह की यूँ तव्व़को ना करो|

इस क़ाबिल नहीं तुम कि,
तक़ल्लूम की ख़्वाहिशात हो,
सियासत में जज़्बात का शग़्ल ना करो|

Written By: Karishma Khan
From: Madhya Pradesh
Regn No: SFOPC20210201
आओ बोले वंदेमातरम स्वाभिमान से

मत बाटो अब इन रंगों को तुम मजहब के हिसाब से
चाहे हरा हो या सफेद हो या हो भगवा तुम सबको मानो जान से

दूर कर दो बेर मन से गले लगा लो एक दूसरे को प्यार से
एक हो जाओ सब और मिला दो इन तीनो रंगों को शान से।

उठा लो तिरंगा हाथ मे और फहरा दो आसमा में अभिमान से
न फर्क रहे हममे कोई आओ बोले वंदेमातरम स्वाभिमान से।

Written By: Dharmendra Soni
From: Madhya Pradesh
Regn No: SFOPC20210202
Red Colour : Her - Story

Have you ever thought what is the significance of RED, a colour for her?

When SHE wanted to have her answer sheet scribbled red with her teacher's pen,

Her hands were - ALREADY - scribbled red with the colour of Henna instead...

When SHE wanted to hold her head up high with dreams of flying in the sky,

Her head was - ALREADY - weighted down lower with the burden of Sindoor instead...

When SHE wanted to open her arms wide and travel the world with pride,

Her hands were cuffed with the red coloured Bangles, to bind her in the prison of HIS house instead...

When SHE wanted to sit back on the recliner in her pyjamas while ruffling the pages of her favourite book,

Her body was tightly wrapped with the shadi ka joda and they imposed a heavy garland in her hands instead...
From bindi of the forehead to nail-paint of the toe;

Every inch of her body was painted RED, just a colour.

But as her independence ceased at the perpetual stages of life;

In the numb body, the only feeling she had was the feeling of Red coloured belt - hanging on her neck.

Her throat choked again and again, with the severe pain;

As the strap of that imaginary belt held in HIS hands.

By now, it's enough to get the fact that for her, Red was the colour that symbolised only the shattering of her dreams,
Instead of what it could have been.

Written By: Arpita Khare
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC20210203
अधूरी जिन्दगी

कुछ कहानी अधूरी रह गई कुछ किस्से अधूरे रह गए
कुछ ख्वाहिशे अधूरी रह गई कुछ सपने अधूरे रह गए
कुछ राहों ने साथ दिया तो कुछ काँटे बन गए
कुछ मंजिले मिली कुछ अधूरे रह गए
हमारी बातें पूरी ही ना हुई कुछ दूसरे कह गए
गुनाह किया किसी और ने जुल्म हम सहते रह गए
जिन्हें अपना कहते थे वो अपने अधूरे रह गए
कुछ आँखों में अश्क कुछ जज़्बात अधूरे रह गए
कुछ वो कुछ उनके यादें अधूरे रह गए
जो कभी अपना कह कर हमें अपना बताया करते थे आज वो बीच राह छोड़ गए
अभी हमारे बुरे वक़्त की गिनती शुरू ही हुई थी कुछ रिश्ते तोड़ गए
कुछ ने साथ दिया तो सिर्फ मतलब के लिए कुछ साथ छोड़ गए
कुछ जिंदगी अधूरी रह गई कुछ सांसे अधूरे रह गए
जब जीत मिली जिंदगी की तो सब हाथ बढ़ाने लगे
जब साथ दिया मौत ने तो सब कंधा उठाने लगे
भीड़ लगने लगी हमारे जनाजे के चारों तरफ और हम कब्र में चुपचाप लेटे रह गए
बहुत कुछ पूछना चाहा हमने उन आखिरी पलों में उस भीड़ से पर सब अनसुने बन गए
आखिरी लफ़्ज़ों में बयां किया हमारे कुछ जज़्बात
"अकेले आए थे दुनिया में जिंदगी भर अकेले रह गए"

Written By: Pooja Yadav
From: Himachal Pradesh
Regn No: SFOPC20210204
मेरा यार‌ मेरी जिंदगी

जब भी रूठती हूं मैं उससे
मना लेता है वो मुझे
जब भी रूठता है वो मुझसे
तब भाव बहुत खाता है वो मानने में
देर से ही सही
लेकिन बिना बात किए नहीं रहता
अंजान थे
जब मिले थे
पता ही नहीं चला कि
कब हम बन गये
एक दुसरे की जिंदगी का हिस्सा
तु जब नहीं था जिंदगी में मेरी
तब भी था सब कुछ
पर फिर भी
एक कमी सी थी
तेरे आने से हो गई
जिंदगी मेरी पूरी
बन गई वो खुबसूरत और हसी
रूठो , झगडो , मार लेना लेकिन
हो ना नहीं मुझसे दूर
क्योंकि..... ‌‌
मेरा यार है मेरी जिंदगी

Written By: Ayushi Vikrambhai Bhanderi
From: Gujarat
Regn No: SFOPC20210205
Ishq

Ishq dua hai ishq hai adaa
Ishq mashhoor ishq badnaam
Ishq marz hai ishq hai dawa
Ishq nasha hai ishq hai jaam
Ishq dard hai ishq hai zakham
Ishq sukoon ishq hi araam
Ishq ibaadat hai ishq hai inaayat
Ishq bakhsheesh ishq inteqaam
Ishq kusoor hai ishq ghuroor hai
Ishq ka hai buland maqaam
Ishq andaaz hai ishq hai ehsaas
Ishq kaafir hai ishq hi imaam
Ishq hai awwal ishq hi aakhir
Ishq halal hai ishq hi haraam
Ishq gunaah hai ishq khuda hai
Ishq kalma mera ishq mera kalaam
Jisne mehboob se kiya nakaam hua
Aise ishq ka nahi koi anjaam
Aur jisne khuda se kiya jannat kama li usne
Aise ishq par hai laakhon salaam....

Written By: Taleaa Ahmed
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC20210206
एक हूँ

मैं एक हूँ...
अनेक नहीं
नारी हूँ...
अब अबला नहीं हूँ...
मान सम्मान मेरा हैं।
दिक् दृष्टि दिव्य रखना
भला शातिर मत बनना...
अपनों संग अपने होते हो।
तो फिर परायों पर तिक्ष्ण चक्षु
क्यों लगाते हो...
घर मेरे दो होते हैं पर,
सदा पराये कोई नहीं बनते हैं।

Written By: Ashok Jani
From: Rajashthan
Regn No: SFOPC20210207
Societal Mindset

Why are people so abusive in nature,
busy destroying our coming future.

Today where women are
seen in every single field ;
Still there are places where,
before birth they are killed.

Where girls are caged inside the house,
and boys are sent to schools.
Where men's desicion is final,
and women's are fools.

When a girl child is born,
she's regarded as curse.
Boys are boon to all,
that he never face situations so worse.

She can't laugh the way she wants,
can't live the way she desires.
For her all she deserves is,
some societal abusive taunts.

A boy has to be strong,
he can't cry like sensitive girls.
But when they understand that,
boys too got feelings that ger hurt.

Everyone has their own fame,
don't treat them as shame.
Keep some humanity within yourself,
to create a beautiful world with respect.

Written By: Ankita Mishra
From:
Regn No: SFOPC20210208
इसी बात पर तो यक़ीन नहीं

यक़ीन इस बात पर
मुक्कमल जहां होगा कहीं
उस वक्त की बात अब
मजाक बन के रह गईं
इसी बात पर तो यक़ीन नहीं।
जहां ढूंढना चाहा हमने
ख्याबों का आशियाना
कब टुटता चला गया
इसी बात पर तो यक़ीन नहीं।
कसमे वादे किए थे हजार
अब वो ही बन गए बीच के दीवार
इसी बात पर तो यक़ीन नहीं।
दूर हुऐ तुमसे कबके फिर भी
धड़कन आपके लिए धड़के
इसी बात पर तो यक़ीन नहीं।

Written By: Diksha N. Shende
From: Maharashtra
Regn No: SFOPC20210209
रक्षा बंधन

जिस प्रथा को द्रोपदी ने द्वापर युग में चलाया था,
श्रीकृष्ण की चोट पर पट्टी रूपी मरहम लगाया था,
आज उस प्रथा को हम रक्षाबंधन के नाम से जानते हैं,
भाई-बहन के प्यार को हम अच्छी तरह पहचानते हैं,
बहन की चिंता और भाई की निडरता का यह त्योहार है,
अपनी बहन के लिए किसी भी हद तक जाना भाई को स्वीकार है,
भाई की कलाई पर राखी बांधते हुए उससे रक्षा का वादा वह लेती है,
साथ ही साथ उसे वह बहुत सारा प्यार देती है,
बहन के हाथ से मिठाई खाकर भाई का मन पवित्र होता है,
उस समय उसके मन में केवल अपनी बहन का ही चित्र होता है,
बहन हर पल, हर घड़ी अपने भाई की ही फिक्र करती है,
दिन-रात, सोते-जागते अपने भाई का ही जिक्र करती है,
भाई के प्यार से बड़ा उसके लिए कुछ नहीं होता,
और भाई का प्यार भी देखिए-
कोई दिन नहीं होता जब वह अपनी बहन को याद करते हुए नहीं सोता,
हर बहन मन से साफ होती है,
अपने भाई को परेशान करने वाली हर चीज के वह खिलाफ होती है,
भाई भी अपने फर्ज को अच्छी तरह निभाता है,
अपनी बहन को खुश करना उसे भी आता है,
भाई केवल भाई नहीं बहन की परछाई है,
भाई-बहन का प्रेम एक अटूट बंधन है इसमें कोई दुविधा नहीं पूरी सच्चाई है,
हर जन्म में अपने भाई के रूप में वह उसे ही देखना चाहती हैं,
भाई का प्रेम देखकर बहन प्रसन्न हो जाती है,
इसलिए माधव हर भाई-बहन के सम्मान के प्रति समर्पित है,
और उसका सारा जीवन भाई-बहन के पवित्र रिश्ते के प्रति अर्पित है ।

Written By: Madhav Taneja
From: Haryana
Regn No: SFOPC20210211
यादें

वो याद ही क्या जो हंसा ना दे,
वो याद ही क्या जो रुला ना दे,
वो याद ही क्या जो मजबूर ना कर दे सोचने को,
लोग नहीं रहते, रह जाती है यादें ।
वो याद ही क्या जो वक़्त ना रोक दे,
वो याद ही क्या जो हमको ना तोड़ दे,
वो याद ही क्या जिसमें गम ना हों,
वो याद ही क्या जिसमें खुश हम ना हों।
आते जाते हैं लोग यादें छोड़ जाते हैं,
मुंह फेर लेते हैं तो याद बहुत आते हैं,
चले जाते है लोग यादें छोड़ जाते हैं,
मान ही जाता है एक दिन ये दिल की,
लोग नहीं रहते,
साथ रह जाती हैं बस यादें ।
वो खुद तो चले गए,
मगर दे गए हमको अपनी यादें।
वो याद ही क्या जो हंसा ना दे,
वो याद ही क्या जो रुला ना दे।
वो याद ही क्या,
वो याद ही क्या।

Written By: Avani Bhalla
From:
Regn No: SFOPC20210212
तेजाब-एक स्त्री का अलंकार

सजधज हीरे-जवाहरात पहनकर वो आइ,
सारे जहाँ से अपने नये चेहरे की पहचान उसने कराई
ना आज घुंगट पहना, ना ही जखमोको छुपाया,
लोगों के नकाब उतरते हैं, दुष्टोंने उसका चेहरा ही उतारा।
हर जख्म को बरदाश कर, हर दाग को उसने स्वीकारा,
रो-रो कर ही सही, एक एक आसू को सुखाया।

सुंदर कोमल मासूम चेहरेका;तुने नक्षा बदला है,
दुर्गा पे अँसीड फेक कर, काली को ललकारा है।
कायर बनकर तुने, उसपे छुपकर वार किया ;
आज उसीने तुझे, दुनिया के सामने जलील किया।
सच पुछोतो आत्मविश्वास से संपूर्ण स्त्री आज भी रोई हैं
आयनेमे देख खुदको आज भी घबराई है।
टुटे बिखरे चेहरे को आज भी मलम लगाई है,
सुंदर उस बेदाग चेहरे की, आज भी उसे याद आई है।

माना उसका चेहरा बिघाडा;पर बोल आज भी सुंदर है ;
पलकों तक को ना बक्षा अँसीड ने,
पर आखो की चमक कायम है।
शरीर के हर हिस्से पर छिडको के नीशाण है;
पर दिल आज भी महफूज है;इसी बात की तसल्ली है।

दोबारा प्यार ना कर पाऊ या मुझसे कोई ना करे ;
निशाणो ने हमेशा मुझको यही बताया है ;
पर जग तो ईश्वर ने बनाया है,
बिना प्रेम के कौन जीया है?
हा! मैंने प्रेम विवाह किया है...।

खत्म नहीं,कहानी अब शुरू हुई है ;
क्योंकि, अभी तो मैंने बेटी को जन्म दिया है।
सहनशीलता के हर परीक्षा में स्त्री हमेशा अव्वल है ;
नौ महीने कोक में बेटी को यही पाठ पढ़ाया है।

Written By: Mrunmai
From:
Regn No: SFOPC20210213
हा मे उस देश का वासी हू भारत उसका नाम है

सुरज के उगने के साथ,
जहाँ चिडियाँ भी गीत गाती है...
और सोने से पहले,
हर रोज दादी एक कहानी सुनाती है...
हा मे उस देश का वासी हू
भारत उसका नाम है...

जहाँ हर सुबह शाम भगवान कि मूर्तिया सजती है....
तो उसी वक्त अल्लाह कि अजान भी बजती है....
हा मे उस देश का वासी हू,
भारत उसका नाम है...

हा यहा अतिथीयो को ईश्वर माना जाता है....
जहाँ हर रोज एक साथ बैठकर खाना खाया जाता है...
हा मे उस देश का वासी हू
भारत उसका नाम है...

भगत सिंग ने कुर्बानी दि थी....
तो झांसी कि रानी ने भी कई दुष्मनो कि जान ली थी...
हा मे उस देश का वासी हू
भारत उसका नाम है...

राधा किशन कि प्यार कि कहानी यही सच हुई थी...
तो धर्मस्थापना के लिये 'महाभारत' भी यही कि कहानी थी...
हा मे उस देश का वासी हू
भारत उसका नाम है...

इस देश मे मझहब इतने सारे खूब है...
पर फिर भी सबके लिये तिरंगा ही भगवान का रूप है...
हा मे उस देश का वासी हू
भारत उसका नाम है...

हा यहा पे हर एक सिपाही देश के लिये जवानी कुर्बान करता है...
और अगर मरता भी है वो,
तो अगले दिन उसका भाई सरहद पर होता है...
हा मे उस देश का वासी हू
भारत उसका नाम है...

हा यहा एक छत के नीचे कई समाज, भाषांये रहती है...
तो हर किसी के त्योहारो मे सबाकी ख़ुशी उछलती है....
हा मे उस देश का वासी हू
भारत उसका नाम है...

हा यहा आज भी माँ के आंचल को सुकून,
और पिता के पैरो को स्वर्ग माना जाता है...
और भिक्षुक भी भिक्षा मांग कर खाता है...
हा मे उस देश का वासी हू
भारत उसका नाम है...

हा यहा आज भी कई गावो मे मेले भरते है...
तो कुछ लोग आज भी शहरो मे छोटे छोटे घरो मे खुशहाली से रहते है...
हा मे उस देश का वासी हू
भारत उसका नाम है...

हा यहा अभी भी हर कोई माँ, बाप, बडो का सम्मान करता है...
तो हर कोई यहा अपने छोटे भाई - बहनो पर जान निछावर करता है....
हा मे उस देश का वासी हू
भारत उसका नाम है...

हा यहा आज भी अपनो से बडो को झुक कर प्रणाम किया जाता है...
तो साधू संतोको आज भी पूजा जाता है...
हा मे उस देश का वासी हू
भारत उसका नाम है...

हा यहा का इतिहास शूर विरोंकि गाथा गाता है...
तो विद्या संस्कृती को भी कई सालो से निभाता आता है...
हा मे उस देश का वासी हू
भारत उसका नाम है...

हा यहा पेडो पौधो को भी भगवान माना जाता है...
और यही पे नारी बेटीयो को देवीसमान पूजा जाता है...
हा मे उस देश का वासी हू
भारत उसका नाम है...

यहा कि हर एक बात बहुत कुछ कहती है...
यहा इन्सानो के खून मे मानवता बहती है...
हा मे उस देश का वासी हू
भारत उसका नाम है...

हा ये ऐसा पहला वतन होगा...
जो अपने देश को भी माँ कहता है...
हा मे उस देश का वासी हू
भारत उसका नाम है...

हा ये तिरंगा है,
जिसने हर एक सिपाही को शहिद होते देखा है...
ये सिर्फ झंडा नही,
इसका हर एक रंग कुछ कहता है...
हा मे उसी देश का वासी हू
भारत उसका नाम है...

Written By: Hemant Ashok Punaskar
From: Maharashtra
Regn No: SFOPC20210214
कभी - कभी

कभी दिल से बहुत खिलखिलाती हो तुम,
सच्ची मुस्कान भी झूठी लगती हैं कभी - कभी..

कभी लगता हैं जैसी भी ख़ुद में पूरी सी हो तुम,
ना जानें फ़िर क्यों अधूरी सी लगती हो कभी- कभी..

कभी दुखाया नहीं गलती से भी दिल किसी का,
बिखरे अरमानों सी लगती हो तुम कभी- कभी..

कभी खोल के रख देती हो हर राज़ तुम,
एक चुप्पी में भी हमराज़ ही लगती हो कभी- कभी..

कभी उदासी में आंखें नम कर लेती है तुम,
छुपा कर दर्द अपना, बेदर्द सी लगती हो कभी- कभी..

ना जानें कहा से लाती हो ये हुनर तुम
बे उम्मीद होकर भी एक उम्मीद सी लगती हो कभी- कभी..

Written By: Neha Gautam
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC20210215
वो दौर भी आसान नहीं था

हम जी गए वो दौर भी आसान नहीं था
हाँ उस फिजाँ में इतना गुमान नहीं था

नजरों में इंतज़ार था, दिल भी था बेक़रार
हाँ इश्क़ भी उस दौर में एहसान नहीं था

झुककर उठाये जाते थे हर नाज़- ए- माशूक़
हाँ प्रेम हर शहर में बदनाम नहीं था

पूछा था उनसे मेरे बारे में है पता?
हाँ मैं भी इंसान था, भगवान नहीं था

Written By: Prem Tiwari
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC20210216
बाबा तुम बिन सब सूना लगता है

बाबा तुम बिन ये अंगना अब सूना लगता है
वसंत के मौसम में भी सब पतझड़ जैसा है
बाबा तुम बिन ये अंगना अब सुना लगता है
सुबह सुबह अब चाय को कोई नहीं पुकारता
अब रोज़ कोई आप सा नहीं दुलारता।।
नहीं बताता कोई भी कैसे ज़िंदगी को जीना है
नहीं सिखाता कोई भी कि किस राह पर चलना है
किस्से कहानियां अब सब छूट गए
बाबा जब से तुम हाथ छुड़ा दूर हमसे चले गए
हसीं ठीटोली तो अब भी होती है,
पर किस्सा चले जब कभी आपका तो आंखे ये नम होती है।
मम्मी के माथे पर बिंदिया अब भी बड़ी सुहाती है
पर सिंदूर बिन माथा सूना लगता है
होंठो से तो हंसती रहती है,
पर आंखो से उनके अक्सर गम छलकता है
बाबा तुम बिन अब ये अंगना सूना लगता है
छोटे भाई का भी हाल बाबा अब बदल गया
पहले तो सिर्फ नालायक था, अब पूरा ही वो बिगड़ गया
आपकी एक डांट सुन जो घर में घुस जाता था
अब वो अक्सर रातो में घर नहीं आता है
मम्मी का उस पर अब रोज़ चिल्ला चिल्ला कर गला बैठ गया
बाबा बिन तुम्हारे अब ये अंगना सूना रह गया
बाबा बिन तुम्हारे वो कमरा भी मुझको नहीं अब भाता है
रिश्ता कितना भी संभालू किसी से, कोई ना कोई जरूर रूठ जाता हैं
तुम बिन बाबा अब मुझे कोई रंग नहीं भाता हैं
घर में तुम बिन बाबा कुछ भी ठीक नहीं रह गया,
सच कहती हूं बाबा तुम बिन अब ये अंगना सूना हो गया

Written By: Lalita Kumari
From: Delhi
Regn No: SFOPC20210217
Love

Love is a Belief

It gives us Relief

Love is Relaxment

Care for each other's Settlement

Love starts with Rose

And leads to Marriage Rings

We usually forget the Meeting Dates

But we do not able to forget Soulmate

We make memory by Heart

We do not indulge ourselves in flirt

Love is about Encouraging each other

It makes us a Teacher for one another

Written By: Priya Arora
From: Delhi
Regn No: SFOPC20210218
नींद

सोना तो चाहती हुँ मैं भी,
लेकिन नींद का कोई अता पता नहीं।
नींद दूर है जो मेरी आँखो से,
इस में मेरी कोई ख़ता नहीं।
ऐसा नहीं है कि शोर है हर तरफ़,
ख़ामोशी भी है, और हवा भी लापता नहीं।
जाने क्यूँ चैन नहीं है मेरे मन को,
तन्हाई का आलम भी हटा नहीं।
क्या पाना चाह रहा है मन मेरा,
कहता भी तो मुझसे कोई कथा नहीं।
सब बंधन तोड़ कर, आज़ाद घूम रहा है,
मानता तो पहले से ही कोई प्रथा नहीं।
महफ़िल में भी तनहा ख़ुद को पाती हुँ,
कैसे कहूँ कि है मुझको कोई व्यथा नहीं।
बयान नहीं कर पा रही मैं हालात अपने,
सुनाने को मेरे पास तो कोई कथा नहीं।
अकेले रह कर भी शान्ति नहीं मिल रही,
ढूँढ रही हुँ क्या मैं सत्यता नयीं.?
एकांत अच्छा लगता है मुझे वादियों का,
आसमान के नीचे होना चाहती हुँ लापता कहीं।
मक़सद क्या है अख़िर ज़िंदगी का,
हर सफ़र में दिल मेरा खोजता कहीं।

Written By: Pawanjeet Kaur
From: Haryana
Regn No: SFOPC20210219
कैसे?

इश्क है मगर जताएं कैसे?
लफ्जों में तुम्हे बताएं कैसे?
चलो बोल भी दें,
तो आँखें मिलाए कैसे?
आँखें मिला भी लें
तो नजरें हटाएं कैसे?
आंखों में बसा लिया तुम्हे
अब दुनिया से छुपाएं कैसे?
बहुत प्रेम है तुम्हारे लिए
मगर तुम पर बरसाएं कैसे?
तुम्हारे हैं हम,
तुम्हे भरोसा दिलाएं कैसे?
दूरियां हैं तुमसे
इन दूरियों को अपनाएं कैसे?
खत लिखे हैं तुम्हारे लिए
इन्हें तुम तक पहुंचाएं कैसे?
गीतों में यादें हैं तुम्हारी
मगर तुम्हे सुनाएं कैसे?
सब छोड़ कर आ गए हम
अब वापस जाएं कैसे?
इस दिल पर नाम है तुम्हारा
कहो हम मिटाएं कैसे?
हद से आगे बढ़ गया इश्क,
अब बताओ तुम्हे भुलाएं कैसे?

Written By: Bhagyalaxmi
From: Maharashtra
Regn No: SFOPC20210220
मुसाफ़िर

घर के आँगन में मुसाफ़िर सा हूँ,
नाराज मुझसे मेरे ही आशियाने की चारपाई है।

दो पल ना चैन से बैठ पाता हूँ,
परिवार के साथ बहुत सी गुफ़्तगू करनी बाकी है।

रोटी महँगी हो रही है ,
पानी भी अनमोल से मोल दार हो गया।

सर पर छत लाने के लिए,
खुले आसमान का मुसाफ़िर हो गया हूँ।

गुलाबी, नारंगी, जामुनी, कत्थई
नोटों की परते, मन की गिरह बन रही है।

फर्ज निभाने के खातिर,
अपनी ही इच्छाओं का कर्जदार हो गया हूं।

जीने के लिए यह सफर तय करना ही है,
देख जिंदगी, मैं तेरी राह का एक मुसाफ़िर हूँ।।

Written By: Sachin Singh
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC20210221
Poem of Life

Life has no fixed pattern,
Take it to enjoy all good ways,
And ready to bear in all rays.
Yet you don't to have that taught,
We all meant to learn that path.
Whenever life messing around you,
Fix the dim near by you.
Though we have every kindness,
Never given the voice to speakless.

Written By: G. Vinodhini
From: Tamilnadu
Regn No: SFOPC20210222
वियोग

तुम बेवफ़ा हम बावफ़ा,
तुम हर घड़ी हम हर दफा
जो सोचा वो कुछ मिला नहीं,
जो चाहा वो मिलता कहां मैं हर दुआ में मांगता रहा,
पर वो फैसला मेरे हक में कहां
हैं हारे इश्क खुद से खफा,
ये कैसा बर्ताव है गैर सा
कोई काम और जचता कहां,
बस वीराने में लिखते वफा सोचा नहीं कभी तेरे सिवा,
चाहत रही मेरी गुमशुदा
हम खोये तो खोये कहां,
न मंजिल न रास्ता रहा।
हमें जो रातें करती थी बयान,
उनसे वास्ता ही नहीं रहा।
शिकवे कहने को हजार हैं,
खैर अब कोई फायदा कहां।
मैं अक्सर ये पूछता रहा,
तुम में ये कैसा गुमान था।
मैंने बात भी ये छेड़ी थी
कि मैं बदल गया तो होगा क्या।
मैं खो गया तुमने पाया क्या
सोचा नहीं तो जताया क्या।
तुम किस सोच में डूबे रहे,
मैं बस दरिया था
जो बह गया।
तुम ढूंढने में लगे हो क्या,
मैं मिलता नहीं हर मर्तबा ।।

Written By: Shikhar Gairola
From: Uttarakhand
Regn No: SFOPC20210223
Bhai Behan ka Rishta

मेरे प्यारे भाई
हो तुम मुझसे छोटे
लेकिन रिश्ते यूँ निभाते हो
जैसे हो मेरे से बड़े
जीवन पथ पर चलत चलत
जब मेने ठोकर खाई
सर ऊँचा कर देखा
साथ तुम्हारा पाई।

जब तुमने मुझे देखा
मुख मलिन था मेरा
फिर तुम कभी न खुश रहते
तुम्हारी हर कोशिश मुझे खुश रखने की
लेकर आगे कदम बढ़ाया
सर उठा कर देखा तो
हाथ तुम्हारा आगे पाया।

आँखों में आसूं मेरे होते
मायूस तुम नजर आते
सांत्वना की बड़ी टोकरी ले
मेरे सामनेसदा तुम्हे ही पाया
सिर उठाकर देखा तो
पास तुम्हे ही पाया।।

कोई परेशानी न हो ऐसी
जिसका समाधान न तुमने पाया
मेरे से ज्यादा विश्वास तुमपर
सदा आधार उसे बनाया
सर उठाकर देखा तो
हाथ तुम्हारा आगे पाया।।

चंदा मामा से प्यारा मेरा मामा
सब बच्चों से हमेशा गाया
बाल मन पढने में माहिर
क्या तुमने जादू छड़ी घुमाया
जो काम तेरी बहन नही कर पाती
मेरे भैया तुमने झट से कर दिखाया
सर ऊँचा कर देखा तो
सामने तुम्हे ही खड़ा पाया

Written By: Namaratha Mehta
From: Telangana
Regn No: SFOPC20210224
होंसले, सफर और मंजिल

चल उठ,
खोज ले अपनी मंजिल की होंसलों से भारी
उड़ान ही बुलंदियों तक पहुंचती हैं
मनफी एहसास को मन से निकला डाल
ी की यही तो सफर के आगाज में रुकावत बन जाते हैं हैं
तू आगाज़ तो कर,
अंजाम भी देख लिया जाएगा
की योहनी तो तू वो पर्वत बनेगा जो बादलों से तकरायेगा
मैं फिर कहता हूं की उठा,
अपनी हिम्मत बढ़ा, कदम बढ़ा:
अपने अंजानो से में किसी कश्मकश में घूम रहे हैं,
नसमजो से, तू मत घबरा
तु गारो चल पड़ा तो पार भी हो जाएगा
मंजिल पर पांच कर सफर के किस सुनेगा वो किस्सा क्या है
ये मैं अभी तुम्हें बताता दूं
पर क्या आप वहां हैं जहां मैं हूं
जो आपको समझ दूं

Written By: Bhavini Cheke
From: M. P
Regn No: SFOPC20210225
Broken Heart

Even though, losing him was my fear,
Those three magical words I was glad to hear.

Some feelings in my heart are meant to die,
Circumstances won't change even if I try.

I apprise dazed mind not to worry,
It's my heart,that has thousands of feelings to bury.

Flashes from past still makes me cry,
All those talks and promises were fake and lie.

The person who left,transformed my world,
I wish screams of my soul,he could have heard.

Being his forever was all my delusion,
His adoration and concern was just an illusion.

Written By: Isha Joshi
From: Maharashtra
Regn No: SFOPC20210226
After 'You and Me'

Concealed in my heart, I’ve memories of you
We’ve had good times and I cherish a few.
Now that we’ve parted our ways,
With a heavy heart, I recall those days...
Our story, untold, unaccounted
When we were all, we ever wanted.
You’d see me with sheer affection
I’d pretend to pay no attention
Yet, eternally I was shy and overwhelmed.
Both of us had feelings- strong and unkempt.
Vividly I remember the day, we first went out
Jittery were we, wondering what to talk about
‘How dates function’-I’d no cue
Nervous I was, so were you
Finally we said- ‘hi’, at the same time
The fetish syllable was a ‘breaking the ice’ line.
From then on, we were inseparable
Days without you were irreparable.
Our conversations ranged from politics to music bands
We looked extremely cute holding hands.
Our intrepid warm walks
Those late night talks
Our clumsy bout-‘who’d hang up the call’
Really, I miss them all…

Our commitments have severed
Gone are those times-we endeavoured
We broke up, our bond was torn
Now that, we’ve both moved on
Even without you my life is fine
But those moments are still mine.

Written By: Namrata Sinha
From: Jharkhand
Regn No: SFOPC20210227
औरत का महत्व

जन्म लिया है जिसकी कोख से क्या वो नहीं किसी की बेटियाँ,
फिर क्यो लज्जा होती हैं
जब जन्म लेती है बेटियाँ|
बचपन से एक ही बात को सिखाया जाता हैं,
की घर को परिवार बनाने के लिए ही लड़कियों को विहायआ जाता हैं |
मयिका तो पराया दुनिया यह बतलाती हैं ,
पर क्या कभी किसी घर की बहु बेटी बन पाती हैं |
सब इच्छा अपनी छोड़ के हर रिश्ते को निभाती हैं ,
मगर कहीं न कहीं उससे भी उतने प्यार की ज़रूरत पड़ ही जाती हैं |
माँ , बहु , बेटी , पत्नी , बहन का रिश्ता अपने कंधो पे लेके ढोती हैं ,
पर औरत की इन रिश्तों को निभाने की रक़म आदमी से कम ही होती हैं |
हर कर्म को हर धर्म को दिल से वो निभाती हैं ,
पर न जाने क्यो वो दुनिया में परायी ही रह जाती हैं …
परायी ही रह जाती हैं|

Written By: Kashish Vats
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC20210228
नाविक और शांत समुद्र

एक नाविक जा रहा था एक देश से दुसरी देश की ओर,
तभी समुद्र में नाविक को रोका और पूछा ,""कहा जा रहे हो मेरे दोस्त"",
नाविक ने कहा,""जा रहे हो काम से तुम्हारी दुसरी छोरी,
ये बताओ तुमने कैसे मान लिया मुझे अपना दोस्त,

समुद्रने कहा, ""विशाल हो में जितना, गहरा हो मैं उतना""
करोडो जीव जंतु ने बसाया है मेरे अंदर अपना संसार,
जिन्हे मानता हो में अपना परिवार,
उन सब से हो तुम बहुत विचित्र, इसलिये मैंने चुन लिया तुमने अपना मित्र,

नाविक मुस्कुराया और कहा,""तुम हो मेरे अन्नदाता, तुम पर बसा है मेरा संसार,
नहीं दे पाउंगा इस मित्रता की भेंट तुम्हे, क्योंकि मैं हूं लाचार,
ये सुन समुद्र बोले, भेंट नहीं चाहता, चाहता हो में एक वचन,
नहीं करोगे गन्दा तुम मेरा ये समुंद्री वतन,
कारखानों की गंदगी, घर का कुड़ा करत डाल करते हो तुम नादियों को ख़राब,
नहीं जानते तुम ये नदियों का पानी मिलाता है मेरे अंदर,
जान जाति है मेरे लाखो जीवो की इस से ,
जान कर भी कुछ ना कर पाता हो मैं,
मैंने देखा है उन्हे गुटगुट मरते हुए,

करते हो तुम जैसे अपने परिवार से प्यार ,
मांगते हो ईश्वर से उनकी लंबी उमर का वरदान,
वैसे करता हूं मैं प्रार्थना तुमसे,
दे दो मेरे परिवार को जीवनदान,

सर झुकाया, जोड़े हाथ मांगी समुद्र से नाविक ने माफ़ी,
रखेंगे अब से हम सब नदी, नाले को साफ, मिलेगा आपको भी इंसाफ,

जैसे मन्नी है नाविक ने अपनी गलती,
तुम सब भी ले लो उनसे सीख,
नहीं करना चाहिए बरबाद पानी,
कथा है ये पुरानी....

Written By: Surbhi Joshi
From: Maharashtra
Regn No: SFOPC20210229
Brainy

I proposed her when I found my love true
My proposal for her was not at all new
""Sorry but I dont have same feelings for you""
This reply made a silence between we two
Should I continue one sided or Withdrew.

Mind is shouting""there's only pain""
Heart is whispering ""she is in your vein""
In the Fight of Heart and Brain,
This Brain is far behind again.

I don't know why it's so intense?
She is away , still I feel her presence,
This is ""One Sided Love"" in my sense,
Our future together is fully Suspense.

May be She will feel same one day,
May be She will only delay and delay,
May be She will never say ,
I can do nothing except pray and pray!..

Written By: Mohit
From: Haryana
Regn No: SFOPC20210230
महोब्बत

महबूब, महोब्बत, मुकम्मल!
कुछ आपस में यह शब्द रिश्ता बनाते हैं,
महोब्बत, न चाहते हुए भी पता नहीं क्यू हो जाती है,
और यह किसी खुशकिस्मत की पूरी हो पाती हैंll

अक्सर प्रेम कहानी अधूरी ही हुआ करती हैं,
प्यार का मतलब महज यह होता है ,
जिसे सोच कर ही चिहरे पर मुस्कुराहट आ जाए, जिस के पास बैठ कर सब कुछ भूल जाया करते हैं,
जो हमारी हर बात सुने,
अपनी हर बात कहे!
जो हमारे सिवा किसी और को न चाहे,
उसे कोई और न भाये,
हमारी जिसमानी महोब्बत से मीलों की दूरियां हैं,
कोई ऐसा सक्षश आए,
जो हमारी सीरत से हमें चाहें,
हाँ, हम बहुत rude हैं,
वो हमें प्यार से समझाए। ।

Written By: Anmol Kauldhar
From: Punjab
Regn No: SFOPC20210231
The "Future" of Our Country

We all were mad but none were shocked
Proving how over the years, rape culture has rocked
New cases pop up within an eye's blink
Just the disgusting new ways is what makes us think
The ""future of our country"" to them we say
It hurts to admit, that's also where the problems lay
More than the ones involved, I look up in disgust
To them, who are trying to prove them just
It's not the roads that aren't safe out late
It's these millennials, who see us as a bait
And to all those calling this issue lame
Giving it feminism's name
It's just about respect, which nobody needs to crave
Just like giving out threats from behind a screen doesn't make you brave
Raising their voice against this, an army of the youth we see
These are the exact hands in which our future should be.

Written By: Remya Nair
From: Maharashtra
Regn No: SFOPC20210232
Mohabbat ke Pannoh ka Safar

Mohabat karo asi ki log saadiyo na bhule mohabat ke panno ka safar hai zara sa ki roshan chehra ab na mil jaye uski gumnam dillo mai ki ruh sadiyo tk na kaap uthe us pahmano tak ki safar khatm hoke bhi rah na jana adhura uske dilo ki manzillo mai dastak deni hai toh yaar pyaar se do varna ruh toh bahut hai ruh toh bhut hai uske pahmano mai waqt na phisl jaye taqdeer ka aur ginte rah jao uske dilo ka safar uske ruh ka safar ......bs zindagyi yhi hai yaaro nahi jee na hi nhi jeeyo ab hr lamhe sugando ki chahakti khuzhbo se aur ujala ki kiran ki tarah pateh nhi kb bishaar na jana uske pahmane mai ......

Written By: Aishwarya Singh
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC20210233
एक नई शुरुआत

चलो आओ
फिरसे एक नई शुरुआत करें
जो बीत गया उसे क्यों याद करें!
चलो एक नई मंजिल की ओर एकसाथ बढते हैं,
चलो आओ
फिरसे एक नई शुरुआत करते हैं।

कुछ तुम अपनी सुनाना
कुछ हम भी बोलेंगे!
एक दूसरे का थाम हाथ,
खुशियां हमारी ओर मोडेंगे।
कडवी यादों को भूल कर
आओ मीठे सपनों को बुनते हैं
चलो आओ
फिरसे एक नई शुरुआत करते हैं।।

Written By: Barkha Kumari
From: Jharkhand
Regn No: SFOPC20210234
काश ज़िंदगी एक किताब होती

काश,जिंदगी सचमुच किताब होती

पढ़ सकता मैं कि आगे क्या होगा?

क्या पाऊँगा मैं और क्या दिल खोयेगा?

कब थोड़ी खुशी मिलेगी, कब दिल रोयेगा?

काश जिदंगी सचमुच किताब होती,

फाड़ सकता मैं उन लम्हों को

जिन्होने मुझे रुलाया है..

जोड़ता कुछ पन्ने जिनकी यादों ने मुझे हँसाया है...

खोया और कितना पाया है?

हिसाब तो लगा पाता कितना

काश जिदंगी सचमुच किताब होती,

वक्त से आँखें चुराकर पीछे चला जाता..

टूटे सपनों को फिर से अरमानों से सजाता

कुछ पल के लिये मैं भी मुस्कुराता,

काश, जिदंगी सचमुच किताब होती।

Written By: Harshit Gupta
From: Rajasthan
Regn No: SFOPC20210235
FAIRYTALE

She was an angel, gentle and caring

Caged within walls, sorrow and pain she sings,

Lost in her world, oblivious of prince charming,

On one gloomy night, their love bloom under stars and moonlight,

Returning at time of twelve her lost slipper seeks his sight,

Chasing her, at last, he lowered down on one knee,

earning a smile as the glass slipper perfectly fit.


She was a beauty, lived in a village,

Books were her life, wishing to live a beautiful life ahead.

Looking for her lost father, she stepped inside an enchanted castle,

Come across with a cursed prince, a hideous beast luring fear and rage.

The spell broke by her care and affection between,

She taught him love, filled with tenderness found within.


She was a jewel, sparkling and shimmering,

Heart of an ocean, the 7th daughter of the king,

Searching for human treasure, she reached on the surface water,

A dreadful storm swept across, saved prince singing melody engross,

Desire to live on land, giving voice to witch she got trapped,

Seeing them together, evil planned all the mischief,

But getting killed by the prince, they live together on the seashore ever since.


Have faith, and life will become an eventful fantasy,

Have belief, and love will bring the brightest story,

Because once in a while,

Moments, sudden and strange, in the midst of ordinary life,

Love gives us a fairytale.

Written By: Nikita Anand Kumthekar
From: Maharashtra
Regn No: SFOPC20210236
Waqt

Unhone kaha
Ki hum pyar to bohot karte h
Par jatane ka humare pass waqt ni h
Hum sath dena to chahte h
Har dukh me sath khade hona to chahte h
Par kya kare humare pass waqt ni h
Vo us din jab tumhari tabiyat bohot kharab thi
Aur tum puri rat roi thi
Hal chal puchne ka mann to bohot tha
Par kya kare janab waqt ni tha
Jab tumne hume phli bar dekh ke muskuraya tha
Jo jab tumne apne dil ka hal bataya tha
Acha to bohot laga tha hume par kya kare batane ka waqt ni tha
Tumhara humse dur jana
Bin bat ke naraz ho jana
Choti choti bat pe roo jana
Bura to bohot lagta h
Par tumhe hasane ka ,manane ka waqt hi to ni h
Vo tumhara aur jode ko dekh ke umeed krna
Vo barish me sath bhegne ka sochna
Vo humse hasi ki chah krna
Sari khwaish puri krne ka mann to humara v bohot h
Par kya kare waqt hi to ni h
Tumhe aur logo se bat karta dekh dil dukhta to bohot h
Kai bar khud ko koste v h
Is adhere se bohot darte h
Par meri jaan waqt hi to ni h

Humne v has kar keh diya

Kahi is uchi udan me peeche reh na jaye hum
Ap sona khojte rhe aur khazana banke kho na jaye hum
Dard dene ka vaade to kiya ni tha tumne
Kabse bina khe vaade nibhane lag gye tum
Abhi waqt ni par aane ki chah h
Kya pata kal waqt ho aur hum ni
Kehte h Taj mahal puri duniya ne dekha h
Par meri jaan Mumtaz ne ni

Written By: Aditi Agrawal
From: Uttrakhand
Regn No: SFOPC20210237
दोस्त हो या यार याद रखो माँ बाप का प्यार

दिल है ये जनाब कोई कांच नहीं जिसे हर कोई तोड़ कर चला जाये....

प्यार है ये जनाब कोई कागज़ नहीं,
जिसे हर कोई मरोड़ कर चला जाये .....

महोब्बत के भी क्या रंग है,
जिसमे हर कोई छोड़ कर चला जाये.....

माँ बाप के बिना ऐसा कोई नहीं,
जो मुसीबत में भी दौड़ता चला आये.....

अरे वो भी क्या इंसान जो साल भर की महोब्बत के लिए,
बीस साल के लाड़ प्यार को नकार कर चला जाये......

अरे वो भी क्या दिल जो किसी अजनबी के लिए,
अपने माँ बाप को तड़पता छोड़ कर चला जाये......
दिल है ये जनाब कोई कांच नहीं,
जिसे हर कोई तोड़ कर चला जाये.....

नहीं यकीन तो आज़मके देख लो....

नहीं यकीन तो आज़मके देख लो....

कोई है.... ??

जो माँ बाप के बिना तुम्हारा कुछ संवार के चला जाये.....

ये प्यार है जनाब कोई कागज़ नहीं,
जिसे हर कोई मरोड़ कर चला जाये.... !!

Written By: Juhi Chandla
From: Punjab
Regn No: SFOPC20210240
Dil se Dil Milakar to Dekho

Shakal to har koi dekhta hai,
kahbhi dil se dil milakar to dekho,
Ek baari logon ko jaankar to dekho,
Hote honge kuch dhokebaaz iss anjaan shehar me,
Unke wajah se sachhe dilwalo ko pehchaankar to dekho,
Shakal to har koi dekhta hai,
kabhi dil se dil milakar to dekho.

Q buro k wajh se achhon ka mol nahi,
Unke dhokhe ki saza q har kisi ko ho rahi,
Ek baar logon k andar jhaank kar to dekho,
Shakal to har koi dekhta hai,
kabhi dil se dil milakar to dekho.

Na gora, na kala dekho,
Har koi insaan hai ye tum aankhein khol kar to dekho,
Shareer ka mail to har koi saaf karta hai,
Kabhi dimaag ka mail saaf karke to dekho,
Shakal to har koi dekhta hai,
kabhi dil se dil milakar to dekho.

Ha hojati hai har kisi se galtiyan,
Tum ek baar unhe sudharne ka mauka to dekar dekho,
Iss duniya me koi perfect nahi hota,
Tum bhi nahi ho, mai bhi nahi hu iss sachhai ko jaankar to dekho,
Zaroori nahi ki hamesha qismat ka hota dosh hai,
Kabhi tum khud k andar jhaank kar to dekho,
Galtiyan tum khud bhi karte ho,
To uski galtiyon ko samjhkar to dekho,
Tum uski izzat karna bhulna mat wo bhi tanha reh chuka hai,
wo bhi iss daur se guzar chuka hai,
Zindagi k iss utaar chadaav me tum uska haath thaam kar to dekho,
Hote nahi hai sab ek jaise ye wo dikhla dega tumhe,
Usko ek mauka dekar to dekho,
Shakal to har koi dekhta hai,
kabhi dil se dil milakar to dekho......
kabhi dil se dil milakar to dekho.....

Written By: Janvi
From: Maharashtra
Regn No: SFOPC20210241
नही चाईए अब हमें

ना अब हमे उनसे कोई पियार चाइए
ना अब हमे उनसे कोई इंतेकम चाइए
और यह राह तो बोहत कठीन है मगर
हमे ना उनसे अब कोई इनाम चाइए
और ख़ुश हो में उनके बिना भी यारो
बस एक यह उंतक हमे पैगाम चाइए
और साथ गुज़रे वक्त बेशक गुजर गए
मगर उनके नाम पर हमे एक शाम चाइए
और दर्द सेह लिया हमने अपने हिस्से के बाहत मगर
अपनी ज़िन्दगी में हमे बस अब आराम चाइए

Written By: Shaikh Nusrat Jahan
From: Bihar
Regn No: SFOPC20210242
अंतर्यात्रा

एक दिन जब मैं दुनिया देखने निकली ,
चारों तरफ गहन अंधियारा ही मिली !
जातिवाद ,आतंकवाद ,अत्याचार,
साम्प्रदायिकता ,हत्या ,लूट, बलात्कार!
हर क्षेत्र में बस इन्ही का था चमत्कार!!
चारों तरफ मैं ढूढती रही उजियारा ,
तब मुझे मिला एक नन्हा सा दिया !
उसकी वाणी सुनकर हिल गया मेरा जिया !!
पता है उसने क्या कहा वहाँ ?
अपने एक वाक्य में भर दिया सारा जहां !
बोला -मैं मिट्टि का नन्हा सा दिया ,
छोटा सा हृदय है मेरा !
भरकर नेह हृदय में अपने ,
खुद को अंधियारे में रखकर !
रौशन कर दूँ जग सारा ,फिर तुम
फिर तुम तो मानव हो !
बड़ा सा हृदय है तुम्हारा ,तो फिर क्यों
नहीं भरकर नेह हृदय में अपने ,
आलोकित कर देते जग के सपने !
अमानवीय कृत्यो का मिटा देते अधियारा ;
तब मानवता का लगा देते तरूवर,
और बहा देते उजाले का सरोवर !
फिर उस सरोवर में डुबकी लगाकर ,
मिटाते सारे पाप !
तब हे मानव! तुम धन्य हो जाते,
अपने आप!!

Written By: Archana Chaurasiya
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC20210243
जाने क्यों

हकीकत से अंजान थी
मानो जैसे हालातों से परेशान थी
कौन कहता है सच होते हैं सपने सबके
मेरी तो किस्मत ही बेईमान थी
मासूमियत थी आंखों में मेरी
अरे ! मैं भी तो इंसान थी
फिर न जाने क्यूं ये मजहब ने आंसुओं को गिराया
इंसानों को इंसानों से दूर रहना सिखाया
जाने क्यों ये खेल हर किसी को सुहावना लगता है
हमें तो दिल दुखाने का बहाना लगता है
मतलबी है इस जहां के रिश्ते
हमें तो ये बेरहम जमाना लगता है
छोटी सी-उम्र थी , आंखों में चमक
न दिखी किसी को उस बच्ची की खुशी की खनक
खेल के दिन थे , मुस्कुराहटों का सहारा
बचपना था सब में बचपन ही किनारा
शाम को निकलते थे पैर उसके
साथ में अपनी बहन को लिए
क्या मालूम था उसे कि नन्ही सी उम्र में भेदभाव समझना पड़ेगा
साथ रहकर भी दूर से ही दूर रहना पड़ेगा
दिल पे एक गहरी चोट सी पड़ी
शायद नहीं मालूम था उसे अब से यही सहना पड़ेगा
मजहब के नाम पर लोग न जाने क्यों खून बहाते हैं
क्या इस देश में सब झूठे ही एकता के गुण गाते
न जाने क्यों सब भूल गए की जिस मिट्टी से बने हैं
मरने के बाद उसी मिट्टी में सब मिल जाते हैं
फिर फर्क बस खुदा का रहा
जो हर किसी का एक है
भले ही नाम अनेक हो
पर मकसद उसका एक नेक है
न जाने क्यों ये लफ्ज़ दूसरे मजहब के लोगों को भाई बुलाने से डरते हैं
जबकि हर कोई एक ही मंजिल से गुजरते हैं
हम तो खुद को इंसान मानते हैं जो सबकी मदद करते हैं
ना जाने कब इन सब से आजादी मिलेगी
देश को प्यार की आबादी मिलेगी
आबादी मिलेगी...!

Written By: Yasmeen Siddiqui
From: Haryana
Regn No: SFOPC20210244
Yaad wo Raat

Yaad hai wo raat mujhe
Jab tu mere chote se aashiyane mai aaya tha,
Kisi ko pta na chale is wajah se
Tune dheere se darwaza khatkhataya tha,
Mujhe pta tha ki tu aa rha hai
To tere taak mai baith gai thi,
Kisi ko pta na chale to chupchap si rah gai thi,
Wo raat bhut sharmai thi
Jab tere paas phli baar aai thi,
Haath mai ek kitaab thi
Jo tune band kia tha aur
Humari pyar ki kahani ko shuru kia tha...

Wo raat bhut ghabrai
Jab tu mere kaarib aya
Aur mujhe apne seene se lagaya,
Yaad karo meri jaan
Tumne mujhe apne sirhane litaya tha
Aur dheere se kaano mai fusfusaya tha,
Ki kabhi mujhe mat chhorna
Aur maine jawab mai haa kaha tha,
Ek baat btau meri JAAN
Maine ye wada dil se kia tha...
JAAN....
yaad hai wo raat mujhe
Jab tu mere chhote se aashiyane mai aaya tha,
Aur mere dil mai samaya tha....

Written By: Prakriti Kushwaha
From: Uttar Pradesh
Regn No: SFOPC20210245